Sharad Poornima 2025 : भद्रा के चलते रात 10.50 बजे के बाद ही होगी पूजा बटेगी खीर... संतान सुख, विवाह और अच्छे सेहत के लिए करें इनकी आराधना
6 तारीख को शरद पूर्णिमा है| 6 तारीख को प्रात:कालीं चतुर्दशी है लेकिन रात्री मे पूर्णिमा होने से 6 तारीख को ही शरद पूर्णिमा मनाई जायेगी| चन्द्रमा के सप्तम भाव में रहते यह शरद पूर्णिमा पड़ रही है| वृद्धि योग होने से यह शरद पूर्णिमा सभी के लिए लाभदायक है लेकिन जिन्हें सर्दी संबंधी और भावनात्मक कष्ट संबंधी समस्या है उन्हें सावधान रहना चाहिए|

Sharad Poornima 2025 : आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा,कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहते हैं| प्रति वर्ष इसी दिन चन्द्र पूर्णता को प्राप्त करता है अर्थात सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसी को कौमुदी व्रत भी कहते हैं। इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचा था। मान्यता है इस रात्रि को चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार पूरे वर्ष में बारह पूर्णिमा आती हैं। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है।
यह पूर्णिमा शरद ऋतु में आने के कारण इसे शरद पूर्णिमा भी कहते हैं। वैसे तो शरद ऋतु की इस पूर्णिमा को पूर्ण चंद्र का अश्विनी नक्षत्र से संयोग होना श्रेष्ठ माना जाता है, क्यों कि इस नक्षत्र के स्वामी अश्विनीकुमार आरोग्य के स्वामी हैं और पूर्ण चंद्रमा अमृत का स्रोत और एक कथा के अनुसार च्यवन ऋषि को आरोग्य का पाठ और औषधि का ज्ञान अश्विनीकुमारों ने ही दिया था। यही कारण है कि ऐसा माना जाता है कि इस पूर्णिमा को ब्रह्मांड से अमृत की वर्षा होती है। लेकिन किसी भी अन्य नक्षत्र में भी यह पूर्णिमा पडने पर प्रभाव मे किसी तरह की कमी नही आती।
भद्रा का प्रभाव
कुम्भ राशि की भद्रा होने से पृथ्वी पर होगी अत: रात्री 10.50 बजे के बाद ही शरद पूर्णिमा मनाएं|
यह है पौराणिक कथा
कथा एक साहुकार के दो पुत्रियाँ थी। दोनो पुत्रियाँ पुर्णिमा का व्रत रखती थी। परन्तु बडी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधुरा व्रत करती थी। परिणाम यह हुआ कि छोटी पुत्री की सन्तान पैदा ही मर जाती थी। विद्वानो से जब इसका कारण पूछा गया तो उन्होने बताया की छोटी पुत्री पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थी जिसके कारण उसकी सन्तान पैदा होते ही मर जाती है।उसने पंडितों की सलाह पर पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया। उसके लडका हुआ परन्तु शीघ्र ही मर गया। उसने लडके को पीढे पर लिटाकर ऊपर से पकडा ढक दिया। फिर बडी बहन को बुलाकर लाई और बैठने के लिए वही पीढा दे दिया। बडी बहन जब पीढे पर बैठने लगी जो उसका घाघरा बच्चे का छू गया। बच्चा घाघरा छुते ही बच्चा जीवित हो उठा।
लक्ष्मी जी को करें प्रसन्न दीपावली के ठीक पन्द्रह दिन पूर्व मनाये जाने वाला पर्व शरद पूर्णिमा, कोजाजरी प्रव के रूप में इसीलिये जाना जाता है क्यों कि इस का सम्बन्ध रात्रि जागरण से है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, शरद ऋतु में आश्विन माह की पूर्णिमा की रात में विष्णुप्रिया लक्ष्मी जी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और यह देखती हैं कि कौन उनका स्वागत करने के लिए जाग रहा है। जिस घर में उनके स्वागत के लिए रात्रि-जागरण, स्मरण, पूजन-संकीर्तन हो रहा होता है, वहां वे प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का वरदान देकर वैकुंठ वापस लौट जाती हैं। यदि रात्रि काल में चन्द्र की स्मित आभा में लक्ष्मी जी की वन्दना और स्तुति की जाये तो निश्चित ही धन धान्य और ऐश्वर्य का मार्ग प्रशस्त होता है।
ऐसे करें पूजन
चन्द्रोदय के पश्चात श्री सूक्त का पाठ करते हुए दूध और चावल से बने खीर से अभिषेक करें। इसके पश्चात शुद्ध जल से स्नान कराकर लक्ष्मी जी को एक पीले आसन पर स्थापित कर हल्दी, कुंकुम, लाल चन्दन वस्त्र इत्यदि अर्पित करते हुए पूजन करें। अभिषेक किये हुए खीर को चन्द्र की रोशानी में रखने के पश्चात प्रसाद स्वरूप वितरण करें। स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होगी।
शिवजी के पूजन से दूर होगा चन्द्र दोष
शरद पूर्णिमा चन्द्र को समर्पित पर्व है, और हमारा सभी यहाँ जानते हैं कि भगवान शिव अपने शीश पर चन्द्र धारण करते हैं। यदि आप की कुंडली में चन्द्र,राहु केतु या शनि युक्त है अथवा वृश्चिक राशी में पडकर नीच का हो गया है, तो शरद पूर्णिमा के दिन शिव जी का रुद्राभिषेक करवायें या साधारण जल दूध से स्वयं शिवजी का अभिषेक करें। चन्द्र की दिव्य आभा में शिव जी को एक चान्दी का चन्द्रमा समर्पित कर दें। चुंकि चन्द्र दोष से अस्थमा जैसे व्याधि होती है और विवाह में भी विलम्ब होता है, अत: चन्द्र दोष के दूर होते ही लाभ होगा।
शीघ्र होगा विवाह
यदि विवाह होने में विलम्ब या व्यवधान हो तो शरद पूर्णिमा को घी का दीपक जला कर चाँद की राशनी में 8 बार अर्गला स्त्रोत्र का पाठ करें| शीघ्र विवाह होगा|
