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Sawan Somwar Vrat Katha Hindi: जरूर पढ़ें सावन सोमवार का व्रत कथा, जाने क्या है शुभ मुहूर्त

Sawan Somvar Vrat Katha: 11 जुलाई 2025 से सावन (Sawan Somvar 2025) के पवित्र महीने की शुरुआत हो चुकी है। हिंदू धर्म में सावन को बहुत ही पवित्र माना गया है, साथ ही इस माह को भगवान भोलेनाथ (Bhagwan Bholenath) की अराधना के लिए उत्तम माना जाता है। सावन के पहले सोमवार का व्रत (Sawan Somvar Vrat) 14 जुलाई 2025 को रखा जाएगा। सावन सोमवार के व्रत को व्रत कथा (Sawan Somvar Vrat Katha) और भगवान भोलेनाथ की आरती (Bhagwan Bholenath Ki Aarti) के बिना अधूरा माना गया है,

जरूर पढ़ें सावन सोमवार का व्रत कथा,  जाने क्या है शुभ मुहूर्त
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By Chitrsen Sahu

Sawan Somvar Vrat Katha: 11 जुलाई 2025 से सावन (Sawan Somvar 2025) के पवित्र महीने की शुरुआत हो चुकी है। हिंदू धर्म में सावन को बहुत ही पवित्र माना गया है, साथ ही इस माह को भगवान भोलेनाथ (Bhagwan Bholenath) की अराधना के लिए उत्तम माना जाता है। सावन के पहले सोमवार का व्रत (Sawan Somvar Vrat) 14 जुलाई 2025 को रखा जाएगा। सावन सोमवार के व्रत को व्रत कथा (Sawan Somvar Vrat Katha) और भगवान भोलेनाथ की आरती (Bhagwan Bholenath Ki Aarti) के बिना अधूरा माना गया है, तो चलिए जानते हैं सावन सोमवार की व्रत कथा (Sawan Somvar Vrat Katha) और भगवान भोलेनाथ की आरती (Bhagwan Bholenath Ki Aarti)।

सावन सोमवार व्रत कथा

प्राचीन काल में एक साहूकार था, जो पुत्रहीन था। वह प्रत्येक सोमवार को व्रत (Somvar Vrat) रखकर भगवान शिव की उपासना करता था। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे पुत्र रत्न का वरदान दिया, परंतु शर्त यह थी कि पुत्र 12 साल तक ही जीवित रहेगा। साहूकार ने इसे भी भगवान की कृपा मानकर स्वीकार किया। पुत्र जन्मा, बड़ा हुआ और बारहवें साल की उम्र में उसकी मृत्यु हो गई। साहूकार और उसकी पत्नी ने फिर भगवान शिव में विश्वास बनाए रखा। कुछ समय पश्चात शिव और पार्वती ब्राह्मन रुप में आए और 16 सोमवार का व्रत (16 Somvar Vrat) रखने को कहा। साहूकार ने यह व्रत किया और उसका पुत्र पुनः जीवित हो गया । इस व्रत कथा से यह संदेश मिलता है कि शिवभक्ति, श्रद्धा और व्रत से असंभव भी संभव हो जाता है।

सावन सोमवार व्रत विधि

अगर आप भी व्रत रखने जा रहे हैं तो सबसे पहले सुबह उठकर स्नान कर साफ सुथरे कपड़े पहने। इसके बाद मंदिर में शिवलिंग पर गंगाजल , दूध , बेलपत्र , भस्म और अक्षत अर्पित करें। आखिर में दिन भर व्रत रखें और शाम को पूजा-कथा करके आरती करें।

शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 4:15 से लेकर 4:59 तक

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:5 से लेकर 12:57 तक

पूजा का समय: सुबह 6:00 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक

शिव जी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ।। ॐ हर हर हर महादेव ।।

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसासन गरुड़ासन वृशवाहन साजे ।। ॐ हर हर हर महादेव ।।

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे ।

तीनों रूप निरखता त्रिभुवन मन मोहे ।। ॐ हर हर हर महादेव ।।

अक्षमाला बनमाला मुण्माला धारी ।

चंदन मृदमद चंदा, सोहे त्रिपुरारी ।। ॐ हर हर हर महादेव ।।

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

ब्रह्मादिक सनकादिक भूतादिक संगे ।। ॐ हर हर हर महादेव ।।

कर के मध्य कमंडल चक्र त्रिशुल धर्ता ।

जगकर्ता जगहर्ता जगपालनकर्ता ।। ॐ हर हर हर महादेव ।।

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षरक के मध्ये ये तीनों एका ।। ॐ हर हर हर महादेव ।।

त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ।। ॐ हर हर हर महादेव ।।

(अस्वीकरण- अइस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है। NPG न्यूज इसकी पुष्टी नहीं करता है)

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