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Sawan aur Bilvapatra : बिल्वपत्र के त्रिदल तीन जन्मों के पाप को करता है नाश, जाने चढाने के नियम

Sawan Bilvapatra 2024 : शास्त्रों में वर्णित है कि यदि कोई व्यक्ति भगवान शिव को पूर्ण श्रद्धा के साथ एक बिल्वपत्र अर्पित करता है, तो बिल्वपत्र के अर्पण से उत्पन्न पुण्य से उसे अत्यधिक लाभ प्राप्त होगा।

Sawan aur Bilvapatra : बिल्वपत्र के त्रिदल तीन जन्मों के पाप को करता है नाश, जाने चढाने के नियम
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By Meenu

Sawan and bilva patra : श्रावण मास में भगवान शिव को प्रसन्न करने के अनेक उपायों में से एक उपाय है, श्रद्धा भाव के साथ शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना। शिव जी पर बेलपत्र चढ़ाने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

शास्त्रों में वर्णित है कि यदि कोई व्यक्ति भगवान शिव को पूर्ण श्रद्धा के साथ एक बिल्वपत्र अर्पित करता है, तो बिल्वपत्र के अर्पण से उत्पन्न पुण्य से उसे अत्यधिक लाभ प्राप्त होगा। पुराणों के अनुसार बिल्वपत्र के त्रिदल तीन जन्मों के पाप नाश करने वाले होते हैं।




त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिआयुधम्। त्रिजन्म पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम् ।।

श्रावण मास और बिल्व पत्र

सावन मास में भगवान शिव की नित्य पूजा में बिल्वपत्र का प्रयोग अवश्य करना चाहिए, नित्य पूजा में कम से कम 5, 11 या 21 बिल्वपत्र शिवलिंग पर ओम् नमः शिवाय का उच्चारण करतु हुए अर्पित करें। यदि किसी व्यक्ति की विशेष मनोकामना है और उसकी पूर्ति नहीं हो पा रही हो या फिर जाने-अन्जाने किसी अपराध के कारण व्यक्ति परेशान हो, तो इस दोष निवारण के लिए भगवान शिव को श्रावण मास में बिल्वपत्र अर्पित करना चाहिए। इसके लिए नित्य 18 बिल्वपत्रों पर लाल चंदन से चिकनी सतह पर ‘राम‘ लिखकर एक-एक बिल्वपत्र शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए। सामान्य पूजन के रूप में 5 या 7 बिल्वपत्र ही पर्याप्त हैं।

कैसे चढ़ाना चाहिए बिल्वपत्र

बिल्वपत्र के सम्बन्ध में विशेष तथ्य यह है कि अन्य सभी पुष्प आदि तो सीधी अवस्था में भगवान पर चढ़ाए जाते हैं, लेकिन एकमात्र बिल्वपत्र ही ऐसा है जो उल्टा रखकर भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है। बिल्वपत्र को पुनः धोकर भी चढ़ाया जा सकता है, इसमें किसी भी प्रकार का दोष नहीं लगता है। यदि नित्य बिल्वपत्र तोड़ना या प्राप्त करना सम्भव न हो, तो मंदिर में अन्य भक्तजनों द्वारा चढ़ाए गए जो बिल्वपत्र उपलब्ध हैं, उन्हें ही पुनः धोकर पूर्ण श्रद्धा के साथ भगवान शिव पर चढ़ाऐं किन्तु जहां आसानी से यह उपलब्ध हो जाते हैं, वहां ताजा बिल्वपत्र ही अर्पित करें। मंदिरों में अर्पित किसी भी पुष्पादि का पुनः प्रयोग वर्जित है किन्तु बिल्वपत्र इसका अपवाद है, इसके लिए यह विचार किया जा सकता है कि भगवान शिव श्रावण मास में अपने किसी भी भक्त को उनकी कृपा से वंचित रखना नहीं चाहते हैं, इसलिए बिल्वपत्र के पुनः प्रयोग को अनुचित नहीं माना गया है।

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