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Saubhagya Sundari Vrat Kya Hota Hai सौभाग्य सुंदरी व्रत क्या होता है? जानिए पूजन विधि और इस दिन की महिमा

Saubhagya Sundari Vrat Kya Hota Hai सौभाग्य सुंदरी व्रत क्या होता है? मां पार्वती और शिव की पूजा कर अखंड सौभाग्य प्राप्त करनेका दिन होता है, जानिए कैसे करें पूजा व्रत...

Saubhagya Sundari Vrat Kya Hota  Hai सौभाग्य सुंदरी व्रत क्या होता है? जानिए  पूजन विधि और इस दिन की महिमा
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By Shanti Suman

Saubhagya Sundari Vrat Kya Hota Hai सौभाग्य सुंदरी व्रत क्या होता है?सौभाग्य सुंदरी व्रत मार्गशीर्ष या अगहन माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। यह व्रत सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए रखती हैं लेकिन इसे कुंवारी लड़कियां भी रख सकती हैं। इस दिन शिव-पार्वती की पूजा से वैवाहिक दोष दूर होते हैं और मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।अगहन माह की तृतीया तिथि पर महिलाएं सौभाग्य सुंदरी व्रत रखेंगी। इस बार तृतीया तिथि 30 नवंबर को है।

यह माता गौरी पार्वती की जन्म तिथि मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि मां पार्वती ने इसी तिथि में घोर तपस्या कर शंकर जी को वर रूप में प्राप्त किया था। इसके बाद गणेश और कार्तिकेय जैसे दो बेटे प्राप्त हुए। तभी से अगहन तृतीया को सौभाग्य सुंदरी की व्रत पूजा होती है। इसमें महिलाएं और कन्याएं तीज की तरह सजती संवरती हैं। और पूरे शिव परिवार की पूजा करती हैं। शिव परिवार की पूजा से घर में धन और ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है।

सौभाग्य सुंदरी व्रत पूजा का समय

पंचांग के अनुसार इस साल यह तिथि 30 नवंबर 2023 को है। ऐसे में 30 नवंबर को सौभाग्य सुंदरी व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती का पूजन किया जाता है।

सौभाग्य सुंदरी व्रत में पूजन सामग्री

पूजन सामग्री में फूलों की माला, फल, भोग के लिए लड्डू, पान, सुपारी, इलायची, लौंग व सोलह श्रृंगार की वस्तुएं होना आवश्यक है। सुहाग सामग्री में लाल साडी़, चूडियां, बिंदी, कुमकुम, मेहंदी, पायल रखते हैं। साथ ही सात प्रकार के अनाज जल, दूध, दही, रोली, चन्दन, सिन्दुर, मेहंदी, मेवे, सुपारी, लौंग आदि।

सौभाग्य सुंदरी व्रत की पूजा विधि

सुहागिन स्त्री इस दिन सोलह श्रृंगार कर पूजा स्थान पर चौकी बिछाकर उस पर पूरे शिव परिवार को स्थापित करें। जिसमे देवी पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा को लाल वस्त्र से लपेट कर स्थापित करें। फिर जल से भरे कलश को रखे। धूप-दीप जलाकर पूजा आरम्भ करें। सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। उनको जल से छींटे लगाये, फिर रोली से तिलक करे, अक्षत लगायें, मोली चढ़ायें, चंदन व सिंदूर लगाकर फूलमाला और फल अर्पित करें। फिर भोग लगाएं। साथ में सूखे मेवे, पान, सुपारी, लौंग, इलायची और दक्षिणा चढ़ायें। फिर नवग्रह की पूजा करें। भगवान कार्तिकेय की पूजा करें। तत्पश्चात् देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें। पूजा के समय देवी पार्वती की प्रतिमा को दूध, दही और जल से स्नान करायें। फिर उन्हे वस्त्र पहनाकर रोली चावल से तिलक करें, मौली चढ़ायें।

ॐ उमाये नमः ।

देवी देइ उमे गौरी त्राहि मांग करुणानिधे माम् अपरार्धा शानतव्य भक्ति मुक्ति प्रदा भव ॥

भगवान शिव की पूजा करते समय ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करे।

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