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Sarvapitri Pitru Amavasya 2025 : आइये जानें इस दिन किनका होता है श्राद्ध, पितृ मंत्र और तर्पण के नियम और मुहूर्त

Sarvapitri Pitru Amavasya 2025 : पितृ अमावस्या के दिन पितर वापस अपने लोक लौट जाते हैं.

Sarvapitri Pitru Amavasya 2025 : आइये जानें इस दिन किनका होता है श्राद्ध, पितृ मंत्र और तर्पण के नियम और मुहूर्त
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By Meenu Tiwari

Sarvapitri Pitru Amavasya 2025 : पंद्रह दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष का समापन सर्वपितरी अमावस्या ( Sarvapitri Pitru Amavasya) के दिन किया जाता है. पितृ अमावस्या के इस दिन को सर्वपितरी श्राद्ध (Sarvapitri Shradh) और पितृ विसर्जन का दिन भी कहा जाता है. इस वर्ष 21 सितंबर 2025 को सर्व पितृ अमावस्या पड़ रही है. मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष के दिनों में धरती लोक पर आये पितरों को इस दिन विदाई दी जाती है. कहा जाता है कि पितृ अमावस्या के दिन पितर वापस अपने लोक लौट जाते हैं. उनकी विदाई के इस दिन पितरों से आशीर्वाद मांग कर उनको सम्मान के साथ विदा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. आइये जानते हैं कि पितृ अमावस्या के दिन किन लोगों का श्राद्ध व तर्पण किया जाता है और पितरों को विदाई किस तरह से दी जाती है.


अमावस्या को किन लोगों का किया जाता है श्राद्ध

पितृ अमावस्या के इस दिन उन सभी लोगों का श्राद्ध व तर्पण किया जाता है, जिनकी मृत्यु अमावस्या के दिन हुई हो. इसके साथ ही उनका श्राद्ध भी इस दिन किया जाता है जिनके मृत्यु की तिथि किसी कारणवश याद नहीं होती है या किसी को पता ही नहीं होती है. अमावस्या के दिन आप उन लोगों का श्राद्ध भी कर सकते हैं जिनका श्राद्ध पितृ पक्ष के बाकी दिनों में किसी वजह से करना रह गया हो.




ऐसे कर सकते हैं पितृ पक्ष का समापन

पितृ अमावस्या यानी पितृ विसर्जन के दिन आपको सुबह जल्दी उठकर पानी में गंगाजल मिलाकर नहाना चाहिए. साफ कपड़े पहन कर अपने पितरों का श्राद्ध करना चाहिए. इस दिन घर की महिलाओं को नहा-धोकर भोजन पकाना चाहिए. साथ ही आपको ब्राह्मण को भोजन करवाना चाहिए और और पंचबलि भोग के तहत देव, गाय, कौआ, कुत्ता और चीटियों के लिए भोग निकालना चाहिए. अगर अमावस्या के दिन आप किसी का श्राद्ध नहीं भी कर रहे हैं. तो भी आपको उस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए. इस दिन पितरों को विदाई देने के लिए आपको शाम के समय मिट्टी के चार दीपक लेकर उनमें सरसों का तेल डालकर जलाएं और इन सभी को घर की चौखट पर रख दें. इसके बाद आप एक दीपक प्लेट में लें और एक लोटे में जल लेकर अपने पितरों से प्रार्थना करें कि पितृ पक्ष का समापन हो गया है. आप घर के सभी सदस्यों को आशीर्वाद देकर अपने लोक को वापस चले


पितृ के मंत्र

1। ॐ पितृ देवतायै नम:।

2। ॐ आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम’

3। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।

4। ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।

5। ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च


कब है सर्व पितृ अमावस्या 2025




  • अमावस्या तिथि की शुरुआत: 20 सितंबर, रात 12:17 बजे
  • अमावस्या तिथि की समाप्ति: 21 सितंबर, रात 1:24 बजे
  • इस हिसाब से सर्व पितृ अमावस्या 2025 की तिथि: 21 सितंबर (रविवार)


सर्व पितृ अमावस्या 2025: श्राद्ध और तर्पण के नियम

  • सबसे पहले स्नान करके शुद्ध और पवित्र स्थान पर बैठें, संभव हो तो नदी किनारे.
  • हाथ में चावल लेकर पूर्वजों को याद करते हुए श्राद्ध करने का संकल्प लें.
  • सबसे पहले देवताओं को अक्षत के साथ जल अर्पित करें.
  • फिर पूर्वजों के नाम से तर्पण करें, इसके लिए हाथ में काला तिल और सफेद फूल लेकर जल अर्पण करें.
  • कुशा घास को अंगूठे और तर्जनी के बीच पकड़कर ‘अंजलि’ बनाएं.
  • “ओम पितृभ्य नमः” मंत्र बोलते हुए तीन बार जल अर्पित करें.
  • तर्पण का जल पेड़ की जड़ में डालें.
  • इसके बाद घर पर ब्राह्मण को भोजन कराएं और यथाशक्ति दान दें.
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