Rishi Panchami 2025 : आज जो महिलाएं करेंगी व्रत-पूजा, सारे पाप से मिल जाएगी मुक्ति
Rishi Panchami 2025: रजस्वला स्त्री यदि मासिक धर्म के नियमों का त्याग कर दे या पूजा के नियमों का उल्लंघन कर दे, तो उस पाप को नष्ट करने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत है।

इस दिन स्त्रियां अपने शरीर और आत्मा को शुद्ध करने के लिए व्रत रखती हैं और सप्तऋषियों की पूजा करती हैं। स्कंद पुराण, पद्म पुराण, और अन्य धर्मशास्त्रों में इस व्रत का उल्लेख है। इसे करने से महिलाएं जीवन में प्राप्त अशुद्धियों से मुक्त होती हैं और उन्हें शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।
पूजा विधि
स्नान : सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
संकल्प : व्रत का संकल्प लें।
मंडप और सप्तऋषि : पूजा स्थल पर मिट्टी का चौकोर मंडल बनाकर उस पर सप्तऋषियों की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। यदि प्रतिमा न हो तो सात छोटे पात्रों में जल, चावल, पुष्प आदि रखकर प्रतीकात्मक रूप से पूजन करें।
अभिषेक और सामग्री : गंगाजल, दूध, पंचामृत और शुद्ध जल से अभिषेक करें। जनेऊ, अक्षत, रोली, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
पुष्प अर्पण : सप्तऋषियों के नाम ध्यान में लेते हुए उन पर पुष्प अर्पित करें।
मोरधन और दही खाने की परंपरा
इस व्रत में साठी का चावल (मोरधन) और दही खाने की परंपरा है। हल से जुते हुए अन्न और नमक का सेवन इस दिन नहीं किया जाता।
मासिक धर्म में हुए पाप से मिलेगी मुक्ति
इस दिन स्त्रियां अपने शरीर और आत्मा को शुद्ध करने के लिए व्रत रखती हैं और सप्तऋषियों की पूजा करती हैं। स्कंद पुराण, पद्म पुराण, और अन्य धर्मशास्त्रों में इस व्रत का उल्लेख है। इसे करने से महिलाएं जीवन में प्राप्त अशुद्धियों से मुक्त होती हैं और उन्हें शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।
स्कंद पुराण में ऋषि पंचमी का वर्णन इस प्रकार आया है –
“रजस्वला नियमात्यागा याच्च पूजाविलङ्घनम्। ऋषीणां तद्विनाशाय ऋषिपञ्चमिका व्रतम्॥”
अर्थ : “रजस्वला स्त्री यदि मासिक धर्म के नियमों का त्याग कर दे या पूजा के नियमों का उल्लंघन कर दे, तो उस पाप को नष्ट करने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत है।” पद्म पुराण में ऋषि पंचमी व्रत का उल्लेख आता है, जिसमें यह व्रत महिलाओं के मासिक धर्म के दौरान हुई अशुद्धियों का प्रायश्चित करने और शुद्धि प्राप्त करने का मार्ग बताया गया है।
“राजस्वला द्विजाः स्त्रीणां दूष्यन्ते नात्र संशयः। ऋषिपञ्चम्यां पूता हि सप्तानां पापनाशिनी॥” पद्म पुराण, सृष्टि खंड, अध्याय 57:
अर्थ: “रजस्वला स्त्री चाहे अनजाने में ही क्यों न हो, यदि किसी भी प्रकार का पाप कर बैठती है, तो इसमें कोई संदेह नहीं कि ऋषि पंचमी के दिन व्रत करने से वह सप्तऋषियों की पूजा द्वारा उन पापों से मुक्त हो जाती है और पवित्र होती है।”
