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Ramnami: जानिए..कौन हैं रामनामी, क्‍यों पूरे शरीर पर गुदवाते हैं राम का नाम

Ramnami: मेरे मन में राम, तन में राम, मेरे रोम-रोम में राम...यह भजन सभी ने सुनी होगी, लेकिन बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि वास्‍तव में ऐसे भी लोग हैं जिनके पूरे तन पर राम रहते हैं। शरीर का कोई अंग ऐसा नहीं रहता जहां राम का नाम न हो।

Ramnami: जानिए..कौन हैं रामनामी, क्‍यों पूरे शरीर पर गुदवाते हैं राम का नाम
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By Sanjeet Kumar

Ramnami: रायपुर। राम की जन्‍मभूमि अयोध्‍या में 22 जनवरी को राम लला की विराजमान होंगे। सदियों के इंतजार के बाद अयोध्‍या में राम लला का मंदिर बन कर तैयार हुआ है। 22 जनवरी को इसके भव्‍य आयोजन की तैयारी चल रही है। पूरे देश इस वक्‍त राममय हो गया है। ऐसे में हम आपको एक ऐसे समाज के बारे में बताने जा रहे है जिनके पूरे तन पर राम जी विराजते हैं। इन्‍हें रामनामी कहा जाता है। इस संप्रदाय को मानने वाले लोगों के सिर से पैर तक शरीर के हर एक अंग पर राम नाम लिखा रहता है। शरीर पर राम नाम गोदना से लिखा जाता हैं। यहां तक की जीफ पर भी राम नाम का गोदना रहता है। यहां तक की जो पकड़े पहनते ओढ़ते हैं उस पर भी राम नाम लिखा रहता है।

जानिए...कहां पाए जाते हैं रामनामी

रामनामी संप्रदया की उत्‍पत्ति छत्‍तीसगढ़ में हुई है। इस संप्रदाय के अधिकांश लोग छत्‍तीसगढ़ में ही रहते हैं। जांजगीर- जांचा जिला में स्थित चारपारा इस संप्रदाय का सबसे बड़ा केंद्र है। 1890 में इसी गांव से इस संप्रदाय की शुरुआत हुई थी।


जानिए...कौन था पहला रामनामी

जानकारों के अनुसार रामनामी संप्रदाय की शुरुआत उस दौर में हुई जब भारत में छुआछूत का असर बहुत ज्‍यादा था। दलित या अछूत मानी जाने वाली जातियों को मंदिरों में प्रवेश और पूजापाठ का अधिकार नहीं था। मंदिन में प्रवेश या पूजा करने पर सजा दी जाती थी। ऐसे दौर में एक दलित युवक परशुराम ने इस संप्रदाय की शुरुआत की। बताते हैं कि परशुराम राम के भक्‍त थे, लेकिन दलित होने की वजह से उन्‍हें मंदिर में प्रवेश करने नहीं दिया जाता था। राम नाम लिखते तो उसे मिटा दिया जाता। ऐसे में परशुराम ने अपने पूरे शरीर पर ही राम नाम गुदवा लिया। यहीं से रामनामी संप्रदाय की शुरुआत हुई।

जानिए...कितनी है रामनामी समाज की आबादी

रामनामी समाज के केंद्र जांजगीर-चांपा जिला है। इनकी आबादी एक लाख के करीब मानी जाती है, लेकिन नई पीढ़ी अब पूरे तन पर राम नाम नहीं गुदवा रही है। सिर के साथ एक-दो स्‍थानों पर राम नाम गुदवा लेते हैं। इसके बावजूद पूरे तन पर रामनाम गुदवाने वालों संख्‍या आज भी हजारों में है।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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