Jyotirlinga Darshan 8 (Rameshwaram Jyotirlinga) : इस ज्योतिर्लिंग का नाम जुड़ा है भगवान राम से, ब्रम्ह हत्या के पाप से मुक्ति के लिए श्री राम ने की थी पूजा, जानिए इनका महत्व और सब कुछ
Rameshwaram Jyotirlinga : Lord Shri Ram worshipped Shiva to get salvation from the sin of killing Brahma

Rameshwaram Jyotirlinga : हम आज आपको एक ऐसे ज्योतिर्लिंग के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका नाम भगवान राम से जुड़ा हुआ है. हम बात कर रहे हैं रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की. आज NPG NEWS आपको 12 ज्योतिर्लिंग दर्शन की कड़ी में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग से रुबरु करने जा रहे हैं. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का स्थान 12 ज्योतिर्लिंग में सातवां है.
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है. यह मंदिर हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से घिरे एक द्वीप पर बसा है.
यहां पहुंचने का सफर भी उतना ही रोमांचक है जितना कि इस मंदिर का महत्व। आपको बता दें कि कंक्रीट के 145 खंभों पर टिका सौ साल पुराने पुल से ट्रेन के द्वारा इस मंदिर में जाया जाता है। तो चलिए जानते हैं इस मंदिर की खासियत, पौराणिक कथा, यात्रा और इस मंदिर से जुड़ी हर जानकारी के बारे में।
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति की कथा ?
महादेव के पवित्र रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का पौराणिक इतिहास भगवान राम से जुड़ा हुआ है. भगवान राम ने रावण का वध कर दिया तो ऋषि-मुनियों ने उन्हें ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए शिव पूजन करने को कहा. जहां भगवान राम ने हनुमान जी को कैलाश पर्वत से शिवलिंग लाने का आदेश दिया. हालांकि हनुमान जी के आने में देर हो गई तो माता सीता ने स्वयं समुद्र के किनारे रेत से एक शिवलिंग बनाया और भगवान राम ने उसी की पूजा की. जहां इस शिवलिंग को 'रामेश्वरम' कहा जाता है.
वहीं जब हनुमान जी कैलाश से शिवलिंग लेकर लौटे, तो उन्होंने देखा कि पूजा पहले ही हो चुकी है. इससे वे काफी दुखी हो गए. जहां इसके बाद भगवान राम ने उन्हें सांत्वना दी और उनके लाए हुए शिवलिंग को भी वहीं स्थापित करने का वचन दिया. इस शिवलिंग को 'हनुमदीश्वर' कहा जाता है. इसी कारण से रामेश्वरम में दो शिवलिंगों की पूजा होती है.
आस-पास घूमने की जगहें
रामेश्वरम केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां आस-पास घूमने के लिए कई शानदार और आकर्षक जगहें मौजूद हैं.
श्री रामनाथस्वामी मंदिर
यह मंदिर रामेश्वरम का बेहद पवित्र धार्मिक स्थल है. इसका आर्किटेक्चर बहुत जबरदस्त है. वहीं यहां दर्शन के लिए देश के कौने-कौने से लोग आते हैं. इस मंदिर का गलियारा दुनिया के सबसे बड़े गलियारों में से एक है.
धनुषकोडी
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के आस-पास बसा यह एक शांत और खूबसूरत बीच है, जिसे 'घोस्ट टाउन' भी कहा जाता है. माना जाता है कि यहीं से राम सेतु का निर्माण शुरू हुआ था. यह सूर्यास्त और सूर्योदय के अद्भुत दृश्यों के लिए यह एक बेहतरीन जगह है.
अग्नितीर्थम
यह रामनाथस्वामी मंदिर के पास स्थित एक पवित्र स्नान घाट है. भक्त यहां पवित्र स्नान करते हैं. वहीं ऐसी मान्यता है कि यहां स्नान करने से भक्तों के पाप धुल जाते हैं.
गंधमादन पर्वतम
यह एक छोटी पहाड़ी है, जहां से रामेश्वरम शहर और आस-पास के द्वीपों का शानदार नजारा दिखाई देता है. माना जाता है कि भगवान राम ने यहीं से श्रीलंका के लिए पुल बनाने से पहले भगवान शिव की पूजा की थी.
कोठंडारामस्वामी मंदिर
यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है और माना जाता है कि यहीं पर विभीषण ने भगवान राम की शरण ली थी।
पंचमुखी हनुमान मंदिर
यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है, जहां उनके पंचमुखी रूप की पूजा होती है.
रामेश्वरम मंदिर की खास बातें
विशाल आकार और अद्भुत वास्तुकला
यह मंदिर करीब 1000 फुट लंबा और 650 फुट चौड़ा है। इसका प्रवेश द्वार 40 मीटर ऊंचा है। मंदिर की दीवारें और गलियारे द्रविड़ शैली की वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण हैं। बता दें कि इस मंदिर को बनाने के लिए पत्थरों को श्रीलंका से नाव के जरिए लाया गया था।
दुनिया का सबसे लंबा गलियारा
रामेश्वरम मंदिर का गलियारा विश्व प्रसिद्ध है। यह उत्तर से दक्षिण 197 मीटर और पूर्व से पश्चिम 133 मीटर लंबा है। यहां तीन गलियारे हैं, जिनमें से एक गलियारा 12वीं सदी का माना जाता है।
22 पवित्र कुंड
मंदिर परिसर में 22 पवित्र कुंड हैं, जहां श्रद्धालु पूजा से पहले स्नान करते हैं। यहां के कुंडों का पानी भी चमत्कारिक गुणों से भरपूर है। कहा जाता है कि यहां के अग्नि तीर्थम में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और बीमारियां दूर हो जाती हैं।
145 खंभों पर टिका पुल
रामेश्वरम पहुंचने के लिए एक सौ साल पुराना पुल है, जो 145 खंभों पर टिका हुआ है। समुद्र के बीच से गुजरती ट्रेन का नजारा इतना खूबसूरत है कि इसे देखने का अनुभव जीवनभर याद रहता है।
इन कुओं के जल से दूर होता है सारा दोष
रामेश्वरम मंदिर में कुल 24 कुएं हैं। ऐसी मान्यता है कि इसे स्वयं भगवान राम ने बनाया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन कुओं स्नान करने से व्यक्ति के जीवन से जुड़े सारे दु:ख और दोष दूर हो जाते हैं।
रामेश्वरम तक कैसे पहुंचे?
1. रामेश्वरम कैसे पहुंचे ?
हवाई मार्ग
सबसे नजदीकी हवाई अड्डा: मदुरै एयरपोर्ट (रामेश्वरम से 175 किमी दूर)
कैसे पहुंचे :
मदुरै से टैक्सी या बस लेकर रामेश्वरम पहुंच सकते हैं (लगभग 3.5 से 4 घंटे का सफर)।
चेन्नई, बेंगलुरु और कोयंबटूर से मदुरै के लिए सीधी फ्लाइट मिल जाती है।
रेल मार्ग
रामेश्वरम रेलवे स्टेशन (RMM) भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
महत्वपूर्ण ट्रेनें :
रामेश्वरम एक्सप्रेस– चेन्नई से
सेथु एक्सप्रेस – मदुरै, त्रिची, चेन्नई से
सड़क मार्ग
रामेश्वरम अच्छे सड़क नेटवर्क से जुड़ा हुआ है।
चेन्नई से दूरी: 560 किमी
मदुरै से दूरी: 175 किमी
मदुरै, कन्याकुमारी, त्रिची और तंजावुर से बसें और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं।
मंदिर के दर्शन का समय :
सुबह 5:00 AM - दोपहर 1:00 PM दर्शन का पहला सत्र
शाम 3:00 PM - रात 8:30 PM दर्शन का दूसरा सत्र
मंदिर में महत्वपूर्ण पूजाएं और अनुष्ठान :
मणि दर्शन (सुबह 4:30 - 5:00 AM) – यह विशेष दर्शन केवल सुबह होते हैं।
22 तीर्थ स्नान (अग्नि तीर्थ स्नान) – मंदिर परिसर के 22 कुंडों में स्नान करने की परंपरा है।
अभिषेकम, रुद्राभिषेकम और अर्चना – श्रद्धालु विशेष पूजा बुक कर सकते हैं।
क्या है ड्रेस कोड ?
पुरुषों को धोती या पारंपरिक वस्त्र पहनने चाहिए।
महिलाओं को साड़ी, सलवार-कुर्ता या पारंपरिक पोशाक पहनने की सलाह दी जाती है।
यात्रा के लिए महत्वपूर्ण टिप्स
दर्शन के लिए सुबह जल्दी पहुंचें, क्योंकि भीड़ कम होती है।
22 तीर्थ स्नान करने के लिए अतिरिक्त कपड़े साथ रखें।
गर्मी के मौसम में छतरी या टोपी लेकर जाएं, क्योंकि रामेश्वरम में तेज धूप होती है।
यदि आप विशेष पूजा कराना चाहते हैं, तो मंदिर प्रशासन से पहले ही संपर्क करें।
धनुषकोडी जाते समय गाइड के निर्देशों का पालन करें, क्योंकि यह क्षेत्र संवेदनशील है।
