Ram Lalla Aarti Live Today : कड़ाके की ठंड के बीच प्रभु का दिव्य श्रृंगार, जागृति आरती से राममय हुई अयोध्या धाम, आप भी करें लाइव दर्शन
Ram Lalla Aarti Live Today : आरती के दौरान राम मंदिर का गर्भगृह अगरबत्ती और कपूर की खुशबू से सराबोर रहा। मुख्य पुजारी द्वारा की गई इस पहली आरती में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं ने भाव-विभोर होकर 'जय श्री राम' के नारे लगाए।

Ram Lalla Aarti Live Today : कड़ाके की ठंड के बीच प्रभु का दिव्य श्रृंगार, जागृति आरती से राममय हुई अयोध्या धाम, आप भी करें लाइव दर्शन
Ram Lalla Aarti Live Today : अयोध्या | अयोध्या धाम में प्रभु श्री रामलला के भव्य मंदिर में आज की सुबह एक नई आध्यात्मिक ऊर्जा लेकर आई। भीषण ठंड और घने कोहरे के बावजूद, राम जन्मभूमि परिसर में रामलला जागृति आरती (मंगला आरती) का आयोजन अत्यंत दिव्यता के साथ संपन्न हुआ। ब्रह्म मुहूर्त में जब मंदिर के कपाट खुले, तो घंटों-घड़ियों की गूंज और वेदमंत्रों के उच्चारण ने पूरी अयोध्या को राममय कर दिया। सबसे पहले प्रभु को प्रेमपूर्वक जगाया गया, जिसके बाद दूध, दही, घी और शहद के पंचामृत से उनका अभिषेक हुआ। आज श्री रामलला का विशेष श्रृंगार स्वर्ण आभूषणों और ताजे सुगंधित पुष्पों से किया गया, जो भक्तों के लिए किसी दिव्य स्वप्न से कम नहीं था।
Ram Lalla Aarti Live Today : आरती के दौरान राम मंदिर का गर्भगृह अगरबत्ती और कपूर की खुशबू से सराबोर रहा। मुख्य पुजारी द्वारा की गई इस पहली आरती में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं ने भाव-विभोर होकर 'जय श्री राम' के नारे लगाए। मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए दर्शन मार्ग पर हीटर और गरम पानी की विशेष व्यवस्था की है ताकि ठंड में भक्तों को असुविधा न हो। आरती की समाप्ति के बाद भक्तों को विशेष प्रसाद वितरित किया गया। रामलला के मुखमंडल पर आज की सुबह एक विशेष चमक देखी गई, जिसे देखकर दूर-दूर से आए श्रद्धालु अपनी सुध-बुध खो बैठे। अयोध्या की यह सुबह न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान थी, बल्कि नए भारत की अटूट आस्था का प्रतीक भी नजर आई।
शुद्धोदक स्नान और भव्य श्रृंगार
मंगला आरती के तुरंत बाद प्रभु को विश्राम की अवस्था से पूर्ण चैतन्य स्वरूप में लाया जाता है। इसके बाद सरयू जल और गंगाजल से 'शुद्धोदक स्नान' कराया जाता है। स्नान के पश्चात प्रभु का राजसी श्रृंगार होता है। प्रतिदिन के वार के अनुसार प्रभु के वस्त्रों का रंग बदलता है (जैसे आज के लिए विशेष रंग)। उन्हें बहुमूल्य रत्नजड़ित मुकुट, कौस्तुभ मणि, स्वर्ण की पैंजनी और धनुष-बाण धारण कराए जाते हैं। प्रभु के मस्तक पर चंदन का तिलक और आंखों में काजल लगाकर उन्हें 'बाल स्वरूप' में सजाया जाता है।
2. शृंगार आरती
श्रृंगार पूर्ण होने के बाद सुबह लगभग 6:30 से 7:00 बजे के बीच 'श्रृंगार आरती' की जाती है। इस आरती में प्रभु के सुंदर रूप की नजर उतारी जाती है। इसी समय से आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन की कतारें तेजी से आगे बढ़ती हैं और भक्त अपने आराध्य के सजधज कर तैयार स्वरूप का दर्शन कर पाते हैं।
3. बालभोग आरती
सुबह लगभग 8:00 से 9:00 बजे के आसपास प्रभु को 'बालभोग' लगाया जाता है। चूंकि श्री रामलला यहाँ बालक स्वरूप में विराजमान हैं, इसलिए उन्हें दूध, मलाई, रबड़ी, ताजे फल और हलवे का भोग प्रिय है। इसके बाद एक संक्षिप्त आरती होती है जिसे 'बालभोग आरती' कहा जाता है।
4. राजभोग और मध्याह्न आरती
दोपहर 12:00 बजे मंदिर की सबसे प्रमुख 'राजभोग आरती' होती है। इस समय प्रभु को पूर्ण भोजन (छप्पन भोग) अर्पित किया जाता है जिसमें पूरी, कचौड़ी, दाल, चावल, अनेक प्रकार की सब्जियां और केसरिया खीर शामिल होती है। आरती के दौरान गर्भगृह में विशेष घंटियां बजाई जाती हैं। इस आरती के बाद प्रभु को 'विश्राम' कराने की परंपरा है, इसलिए दोपहर में कुछ समय के लिए मंदिर के कपाट बंद किए जाते हैं।
5. संध्या आरती
सूर्यास्त के समय शाम को 'संध्या आरती' का आयोजन होता है। इस समय पूरा मंदिर परिसर दीपों और आधुनिक रोशनी से जगमगा उठता है। शाम की आरती में सामूहिक रूप से 'श्री राम स्तुति' और भजनों का गायन होता है, जो भक्तों को एक अलग ही शांति प्रदान करता है।
6. शयन आरती
रात लगभग 9:00 से 10:00 बजे के बीच 'शयन आरती' की जाती है। यह दिन की अंतिम सेवा है। प्रभु को रात के विशेष वस्त्र पहनाए जाते हैं और उनके पास दूध का कटोरा और जल रखा जाता है। अंत में लोरी गाकर प्रभु को सुलाया जाता है और गर्भगृह के कपाट अगली सुबह तक के लिए बंद कर दिए जाते हैं।
मंदिर परिसर के भीतर स्थित कुबेर टीला आस्था केंद्र
अयोध्या की पावन धरती पर प्रभु श्री रामलला के दर्शन के साथ-साथ अब संपूर्ण परिसर का भ्रमण एक दिव्य अनुभव बन गया है। मंदिर परिसर के भीतर स्थित कुबेर टीला आस्था का एक प्रमुख केंद्र है, जहाँ स्थापित प्राचीन शिव मंदिर और जटायु राज की विशाल प्रतिमा त्रेतायुग की याद दिलाती है। श्रद्धालु जब रामलला के मुख्य मंदिर से बाहर निकलते हैं, तो वे इस टीले पर जाकर महादेव का आशीर्वाद लेते हैं। इसके साथ ही, मंदिर के चारों ओर बने विशाल परकोटे में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ और माता शबरी जैसे सात ऋषियों व पात्रों के उप-मंदिर बनाए जा रहे हैं, जो भारतीय संस्कृति की समावेशी परंपरा और रामायण के गौरवशाली इतिहास को एक ही स्थान पर जीवंत कर देते हैं।
राम मंदिर की आध्यात्मिक यात्रा तब पूर्णता की ओर बढ़ती है, जब शाम के समय श्रद्धालु पवित्र सरयू तट की ओर रुख करते हैं। सूर्यास्त के बाद नया घाट पर होने वाली 'सरयू आरती' का दृश्य अद्भुत होता है; हज़ारों दीपों की रोशनी जब नदी की लहरों पर थिरकती है, तो ऐसा प्रतीत होता है मानो साक्षात आकाश के तारे धरती पर उतर आए हों। मंत्रोच्चार और शंखध्वनि के बीच होने वाली यह आरती भक्तों के मन को असीम शांति प्रदान करती है। अब अयोध्या आने वाले यात्रियों के लिए सुबह की मंगला आरती से लेकर शाम की सरयू आरती तक का पूरा समय भक्ति और आनंद के एक ऐसे सागर में डूबने जैसा है, जहाँ हर कदम पर राम नाम की महिमा महसूस होती है।
