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Ram Lala Aarti Live : अयोध्या से लाइव : राम लला का राजसी श्रृंगार, भक्ति के रंग में डूबी रामनगरी; यहाँ देखें आज की दिव्य आरती की झलक

Ram Lala Aarti Live : साल के अंत में अपने आराध्य का आशीर्वाद लेने के लिए देश-देशांतर से आए श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है।

Ram Lala Aarti Live : अयोध्या से लाइव : राम लला का राजसी श्रृंगार, भक्ति के रंग में डूबी रामनगरी; यहाँ देखें आज की दिव्य आरती की झलक
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Ram Lala Aarti Live : अयोध्या से लाइव : राम लला का राजसी श्रृंगार, भक्ति के रंग में डूबी रामनगरी; यहाँ देखें आज की दिव्य आरती की झलक

By UMA

Ram Lalla Darshan Today 30 Dec 2025 : अयोध्या | 30 दिसंबर 2025 : धर्म नगरी अयोध्या में आज की सुबह एक अलग ही आध्यात्मिक ऊर्जा लेकर आई है। जैसे ही राम जन्मभूमि मंदिर के कपाट खुले, शंखध्वनि और घंटों की गूंज से पूरी अयोध्या नगरी गुंजायमान हो उठी। साल के अंत में अपने आराध्य का आशीर्वाद लेने के लिए देश-देशांतर से आए श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है।

Ram Lalla Darshan Today 30 Dec 2025 : राम लला के दिव्य स्वरूप का वर्णन आज सुबह की मंगल आरती में प्रभु श्रीराम लला का स्वरूप अत्यंत मनमोहक और अलौकिक था। प्रभु के बाल स्वरूप को आज स्वर्ण जड़ित पीले वस्त्रों (पीतांबर) से सजाया गया है, जो उनकी आभा को और भी तेजस्वी बना रहे थे। उनके कोमल माथे पर हीरे-पन्ने से जड़ा तिलक चमक रहा था और हाथों में स्वर्ण का धनुष-बाण शोभायमान था। गले में कौस्तुभ मणि और ताजे गुलाब के फूलों की लंबी माला प्रभु के दिव्य सौंदर्य में चार चांद लगा रही थी। राम लला की वह मंद मुस्कान देखकर ऐसा लग रहा था मानो साक्षात मर्यादा पुरुषोत्तम अपने भक्तों का स्वागत कर रहे हों।



दिनभर की अन्य आरतियों का क्रम मंगल आरती के बाद प्रभु की सेवा का क्रम दिनभर जारी रहेगा:

श्रृंगार आरती: सुबह लगभग 6:30 बजे प्रभु का भव्य श्रृंगार पूरा कर यह आरती की गई, जिसमें भक्तों ने उनके राजसी स्वरूप के दर्शन किए।

भोग आरती: दोपहर 12:00 बजे प्रभु को विशेष व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा। इस समय की आरती में शामिल होने के लिए भक्तों में भारी उत्साह रहता है।

संध्या आरती: शाम 7:30 बजे जब पूरी अयोध्या दीपों से जगमगाएगी, तब प्रभु की संध्या आरती होगी। ढोल-मंजीरों की थाप पर होने वाली यह आरती मन को असीम शांति प्रदान करती है।

शयन आरती: रात 8:30 से 9:00 बजे के बीच प्रभु को विश्राम कराने के लिए शयन आरती की जाएगी, जिसके बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाएंगे।

भक्तों के लिए व्यवस्था भीषण ठंड को देखते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने भक्तों के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। दर्शन मार्ग पर जूट की मैट बिछाई गई है और जगह-जगह हीटर की व्यवस्था है ताकि श्रद्धालुओं को असुविधा न हो। 'सुगम दर्शन' के जरिए हज़ारों भक्त बिना किसी रुकावट के राम लला की एक झलक पा रहे हैं।


राम महिमा : मर्यादा का आदर्श

प्रभु श्री राम केवल एक राजा या देवता नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति के प्राण हैं। उनकी महिमा इस बात में है कि उन्होंने एक 'ईश्वर' होकर भी एक 'साधारण मनुष्य' की तरह संघर्ष किया और मर्यादा की सीमाओं को कभी नहीं लांघा। राम की महिमा उनके धैर्य में है, जो वनवास के कष्टों में भी नहीं डगमगाया, और उनके न्याय में है, जो रावण जैसे विद्वान के अंत के बाद भी उसके गुणों का सम्मान करना सिखाता है। आज अयोध्या में राम लला का विराजमान होना केवल एक मूर्ति की स्थापना नहीं है, बल्कि सत्य, त्याग और धर्म की पुनर्स्थापना का प्रतीक है। राम का नाम एक ऐसा सेतु है, जो सदियों से भक्त को भगवान से और इंसान को इंसानियत से जोड़ता आ रहा है।


संघर्ष की सदियां और अटूट आस्था राम जन्मभूमि का इतिहास केवल एक स्थान की कहानी नहीं, बल्कि पाँच शताब्दियों के अटूट धैर्य और संघर्ष की मिसाल है। मुगल काल के दौरान जब मूल ढांचे को नुकसान पहुँचाया गया, तब से लेकर आधुनिक भारत तक, यह भूमि करोड़ों हिंदुओं के लिए आस्था का सबसे बड़ा केंद्र रही। पीढ़ियां बदलती रहीं, साम्राज्य आए और चले गए, लेकिन राम भक्तों का यह संकल्प कभी नहीं डिगा कि एक दिन प्रभु अपने जन्मस्थान पर फिर से विराजमान होंगे। इस बीच अनगिनत संतों और कारसेवकों ने अपनी तपस्या और बलिदान से इस आंदोलन की अलख को जलाए रखा।

कानूनी लड़ाई और न्याय का ऐतिहासिक मोड़ मंदिर का आधुनिक इतिहास दशकों तक अदालती गलियारों में भी चला। यह दुनिया के सबसे लंबे समय तक चलने वाले भूमि विवादों में से एक था। दस्तावेजों, पुरातात्विक साक्ष्यों (ASI Survey) और पौराणिक प्रमाणों की लंबी जांच के बाद, 9 नवंबर 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना कि यह स्थान प्रभु श्री राम का जन्मस्थान है। इस निर्णय ने न केवल विवाद को खत्म किया, बल्कि देश में सद्भाव और एकता का एक नया अध्याय शुरू किया।

शिलान्यास से भव्यता के शिखर तक 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंदिर का शिलान्यास किया गया, जिसने निर्माण के उस सपने को हकीकत में बदलना शुरू किया जो सदियों से देखा जा रहा था। राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के गुलाबी पत्थरों से नागर शैली में बने इस मंदिर ने आज एक भव्य रूप ले लिया है। 22 जनवरी 2024 को जब राम लला की प्राण प्रतिष्ठा हुई, तो वह पल केवल अयोध्या के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के राम भक्तों के लिए भावुक कर देने वाला 'स्वर्ण युग' का उदय था। आज यह मंदिर आधुनिक इंजीनियरिंग और प्राचीन शिल्प कला का एक अद्भुत संगम बनकर दुनिया के सामने खड़ा है।


अयोध्या धाम में राम लला के दर्शन के बाद और भी कई ऐसे पवित्र स्थान हैं, जहाँ की यात्रा के बिना आपकी अयोध्या दर्शन अधुरा माना जाता हैं: हनुमान गढ़ी और कनक भवन की दिव्यता अयोध्या पहुँचते ही सबसे पहले भक्त हनुमान गढ़ी के दर्शन करते हैं। मान्यता है कि अयोध्या की सुरक्षा का जिम्मा स्वयं बजरंगबली के पास है, इसलिए प्रभु राम के पास जाने से पहले उनकी आज्ञा लेना जरूरी है। यह मंदिर एक ऊंचे टीले पर स्थित है जहाँ हनुमान जी 'बाल रूप' में विराजमान हैं। इसके बाद आपको कनक भवन जरूर जाना चाहिए। इसे माता कैकेयी ने माता सीता को मुंह दिखाई में उपहार स्वरूप दिया था। इस महल रूपी मंदिर की भव्यता और यहाँ की शांति ऐसी है कि भक्तों का मन वहीं रम जाता है। यहाँ की दीवारों पर की गई नक्काशी और प्रभु राम-जानकी की मनमोहक मूर्तियाँ साक्षात प्रेम का प्रतीक लगती हैं।

सरयू तट की शांति और पौराणिक स्थल पवित्र सरयू नदी के तट पर स्थित राम की पैडी आज के समय में अयोध्या का सबसे आधुनिक और सुंदर स्थल बन गया है। यहाँ शाम के समय होने वाली दीपों की रोशनी और लेजर शो देखने लायक होता है। सरयू में स्नान करने के बाद भक्त नागेश्वरनाथ मंदिर जाते हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे प्रभु राम के पुत्र कुश ने बनवाया था। इसके अलावा आप दशरथ महल, मणि पर्वत और छोटी छावनी जैसे स्थलों का भी रुख कर सकते हैं। 30 दिसंबर की इन सुहानी सर्दियों में इन सभी स्थानों को फूलों और लाइटों से सजाया गया है, जिससे पूरी अयोध्या नगरी वैकुंठ के समान प्रतीत हो रही है।

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