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Rakshabandhan pooja rules : अपने भैया को इस दिशा में बिठाकर बांधे रक्षासूत्र

अपने भैया को पूर्व की दिशा की ओर मुख करके बैठाए तथा बहने खुद पश्चिम की ओर मुख कर के बैठें l स्वयं और भैया के उपर थोडा सा जल छिडकें l भैया को रोली और अक्षत का तिलक लगा कर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए रक्षासूत्र बांधे.

Rakshabandhan pooja rules  : अपने भैया को इस दिशा में बिठाकर बांधे रक्षासूत्र
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By Meenu

Rakshabandhan pooja rules : सोमवार 19 अगस्त को श्रावण मास की पूर्णिमा है| इस दिन भाई और बहन के अटूट संबंधों का पर्व रक्षाबंधन मनाया जाता है|

ऐसे तो भाई बहन का यह त्यौहार अदभुत होता है, लेकिन नियम के अनुसार मनाया जाए तो बेहतर होता है।

ज्योतिषाचार्य दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार अपने भैया को पूर्व की दिशा की ओर मुख करके बैठाए तथा बहने खुद पश्चिम की ओर मुख कर के बैठें l स्वयं और भैया के उपर थोडा सा जल छिडकें l भैया को रोली और अक्षत का तिलक लगा कर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए रक्षासूत्र बांधे :

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।

तेन त्वाम प्रति बध्नामि रक्षय मा चल मा चल।।

तत्पश्चात भैया की आरती उतार कर मिष्ठान्न खिलाएं और भैया अपनी बहन को उपहार भेंट करें.



वचन और प्रतिबद्धता को समर्पित पर्व: कथा

पद्म पुराण मे रक्षा बंधन से जुडी बहुत सी कथायें हैं, जिसमे से एक कथा विष्णु भगवान द्वारा राजा बली को वामन रूप धारण करके छलने की है |इस कथा में वर्णन है कि छले जने के पश्चात भी राजा बली ने भगवान से कुछ नही कहा।इस कथा में वर्णन है कि, भगवान विष्णु राजा बली की कर्तॅव्य परायणता से प्रसन्न होकर स्वेच्छा से, उनका द्वारपाल बनकर पाताल लोक चले जाते है | माँ लक्ष्मी बडी सहजता से राजा बली को श्रावण पूर्णिमा को भाई के रूप मे सम्बोधित कर रक्षा सूत्र बांधती है और अपने पति श्री विष्णु को वापस लेकर आ जाती है |यह छोटी सी कथा भाई बहन के सम्बंधो को ही नही अपितु प्रतिज्ञा,सह्र्दयता,समानता और प्रेम सभी तथ्यो को प्रदर्शित करती है | इस घटना का ही प्रतिफल है कि रक्षा सूत्र बान्धते समय भी राजा बली का ही स्मरण, ’येन बद्धो बली राजा’ कहकर किया जाता है।

शिशुपाल का वध करते समय कृष्ण, की तर्जनी में चोट आ गई, तो द्रौपदी ने लहू रोकने के लिए अपनी साड़ी फाड़कर चीर उनकी उंगली पर बांध दी थी। यह भी श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। कृष्ण ने चीरहरण के समय उनकी लाज बचाकर द्रौपदी की रक्षा कर अपनी प्रतिबद्धता प्रकट की ।

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