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Rakshabandhan 2024 : स्नेह बंधन का पर्व रक्षाबंधन 19 अगस्त को, शोभन और सिद्धि योग में "राखी" का त्यौहार

Rakhi festival : ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार सोमवार 19 तारीख को श्रावण मास की पूर्णिमा है| इस दिन भाई और बहन के अटूट संबंधों का पर्व रक्षाबंधन मनाया जाता है.

Rakshabandhan 2024  : स्नेह बंधन का पर्व रक्षाबंधन 19 अगस्त को, शोभन और सिद्धि योग में राखी का त्यौहार
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By Meenu

Rakshabandhan 2024 : भारतीय आध्यात्म अत्यंत प्राचीन है, और इस आध्यात्म ने समाज के प्रत्येक वर्ग को सम्बन्धों को सुरक्षित रखने के लिय बहुत से अवसर और उपाय दिये हैं,इन्ही में से एक है,’रक्षा बन्धन’ का पर्व। ‘रक्षा’ शब्द से तात्पर्य ही किसी भी तथ्य के क्षय होने से रोकने की प्रक्रिया से है। श्रावण मास की पूर्णिमा पर चन्द्र प्रधान श्रवण नक्षत्र की उपस्थिति में यह भावनात्मक प्रगाढता का प्रव मनाया जाता है।

हम सभी को किसी न किसी वस्तु या किसी के सम्बन्ध को खोने का भय सदैव चिंतित बनाये रखता है। कारण यह है कि हम सामाजिक प्राणी हैं, हमारी और हमारे अपनो की आवश्यकताएं है, उनका तो हमें ध्यान रखना तो होता ही है,साथ ही किसी वस्तु का नुकसान या ‘क्षय’ न हो जाए इस ओर भी हमारी निगाहें सतत लगी होती है।

आधुनिक युग में सम्बन्धों के क्षय होने को लेकर हम सभी बहुत ज्याद तनाव में होते हैं। ऐसा लगता है कि सम्बन्ध जहाँ एक ओर चिंता और तनाव से मुक्ति के कारक हैं वहीं कहीं न कहीं सम्बन्धों के ‘क्षय’ होने से, ये चिंता के कारक भी बन जाते हैं।

19 तारीख को शोभन योग मे बन्धेगी राखी

ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार सोमवार 19 तारीख को श्रावण मास की पूर्णिमा है| इस दिन भाई और बहन के अटूट संबंधों का पर्व रक्षाबंधन मनाया जाता है| इस दिन प्रात:कालीन श्रवण नक्षत्र और शोभन तथा सिद्धि योग होने से यह पर्व एक बहुत ही शुभ योग बन गया है| सायंकाल 7 बजे से पूर्व यदि रक्षाबंधन मना लिया जाए तो श्रेष्ठ होगा क्यों की इसके पश्चात पंचक लग रहा है|



रक्षा बन्धन के शुभ मुहुर्त :

  • प्रात: काल : सिंह लग्न में प्रात 7.46 बजे तक|
  • मध्यान्ह काल : वृश्चिक लग्न में दोपहर 12.08 बजे से 2.23 बजे तक
  • सायंकाल : कुम्भ लग्न में सायंकाल 6.16 बजे से रात्री 7.51 बजे तक

भद्रा का प्रभाव नहीं

सोमवार को दोपहर 1.30 बजे तक भद्रा है| इस दिन श्रवण नक्षत्र है जो की मकर राशि मे आता है| यह एक असमंजस की स्थिति है| लेकिन शास्त्रों मे वर्णित है की मकर राशि मे विचरण कर रही भद्रा पाताल लोक की होती है अत: इसका पृथ्वी लोक पर कोई प्रभाव नहीं है|

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