Raksha Bandhan 2025: इस साल कब है रक्षाबंधन, जानिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
Raksha Bandhan Kab Hai 2025: रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) भाई-बहन के प्रेम, स्नेह और रक्षा के अटूट बंधन को दर्शाता है। यह राखी (Rakhi) का त्योहार भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है। राखी का पर्व हर साल सावन मास की पूर्मिणा तिथि को मनाया जाता है। तो चलिए जाते हैं कब है रक्षाबंधन (Kab Hai Raksha Bandhan) और क्या है राखी बाधने का शुभ मुहूर्त? (Rakhi Bandhne Ka Shubh Muhurt)

Raksha Bandhan Kab Hai 2025: रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) भाई-बहन के प्रेम, स्नेह और रक्षा के अटूट बंधन को दर्शाता है। यह राखी (Rakhi) का त्योहार भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती है। साथ ही भाई की ओर से बहन की रक्षा का संकल्प देना है। राखी का पर्व हर साल सावन मास की पूर्मिणा तिथि को मनाया जाता है। तो चलिए जाते हैं कब है रक्षाबंधन (Kab Hai Raksha Bandhan) और क्या है राखी बाधने का शुभ मुहूर्त? (Rakhi Bandhne Ka Shubh Muhurt)
रक्षाबंधन 2025 की तिथि और दिन: (Raksha Bandhan 2025 Date)
इस साल रक्षाबंधन का पर्व 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।
रक्षाबंधन 2025 का शुभ मुहूर्त: (Rakhi Bandhne Ka Shubh Muhurt )
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि राखी भद्रा काल में बांधी जाए, तो इसे अशुभ माना जाता है। ऐसे में शुभ मुहूर्त में ही राखी बांधना चाहिए।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त: सुबह 10:58 बजे से शाम 7:07 बजे तक
सावन पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 10 अगस्त को सुबह 5:36 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 11 अगस्त को सुबह 7:11 बजे
भद्रा काल: सुबह 5:36 बजे से 10:58 बजे तक
राखी बांधने के लिए भद्रा काल समाप्त होने के बाद का समय, यानी 10:58 से शाम 7:07 तक का समय अत्यंत शुभ माना गया है। इस समय राखी बांधने से भाई-बहन के रिश्ते में शुभता, समृद्धि और सुरक्षा बनी रहती है।
रक्षाबंधन का महत्व: (Rakhi Bandhne Ka Mahatav)
रक्षाबंधन केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि भावनाओं और संबंधों का डोर को और मजबूत करने वाला अवसर है। यह दिन न सिर्फ सगे भाइयों-बहनों के लिए खास होता है, बल्कि आजकल बहनें चचेरे, ममेरे, फुफेरे भाइयों, यहां तक कि राखी के भाई को भी यह पवित्र धागा बांधती हैं।
आधुनिक परिप्रेक्ष्य में रक्षाबंधन:
वर्तमान समय में यह पर्व केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। ऑनलाइन राखियों का चलन भी बढ़ा है। वहीं, सेना, पुलिस और डॉक्टरों जैसे रक्षाकर्मियों को भी राखी बांधकर बहनें अपने आभार का भाव प्रकट करती हैं।
धार्मिक मान्यता:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, रक्षाबंधन की परंपरा का संबंध द्रौपदी और श्रीकृष्ण से भी जुड़ा हुआ है। जब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की उंगली से खून बहते देखा, तो उन्होंने अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर पट्टी बांधी थी। बदले में कृष्ण ने द्रौपदी की लाज की रक्षा का वादा किया था।