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Plant in Home : घर में कौन सा पेड़ शुभ और कौन सा है अशुभ ?, आईये जाने किस पेड़ को लगाना कितना शुभ होता है और क्या फल देता है

सामान्यता दूध या फल देने वाले पेड़ घर पर नहीं लगाने चाहिए, लेकिन नारंगी और अनार अपवाद है । यह दोनों ही पेड़ शुभ माने गए है और यह सुख एवं समृद्धि के कारक भी माने गए है ।

Plant in Home : घर में कौन सा पेड़ शुभ और कौन सा है अशुभ ?, आईये जाने किस पेड़ को लगाना कितना शुभ होता है और क्या फल देता है
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By Meenu

बागवानी के शौकिन घर के बगीचे में तरह-तरह के पेड़ पौधे लगाते हैं, लेकिन यह भी सच है कि उनमें से कई पेड़ पौधों का घर के आस-पास होना अशुभ माना जाता है और कई ऐसे होते है जो दोष निवारक माने गए हैं।


सामान्यता दूध या फल देने वाले पेड़ घर पर नहीं लगाने चाहिए, लेकिन नारंगी और अनार अपवाद है । यह दोनों ही पेड़ शुभ माने गए है और यह सुख एवं समृद्धि के कारक भी माने गए है । धन, सुख समृद्धि और घर में वंश वृद्धि की कामना रखने वाले घर के आग्नेय कोण (पूरब दक्षिण) में अनार का पेड़ जरूर लगाएं। यह अति शुभ परिणाम देता है।वैसे अनार का पौधा घर के सामने लगाना सर्वोत्तम माना गया है । घर के बीचो-बीच पौधा न लगाएं। अनार के फूल को शहद में डुबाकर नित्यप्रति या फिर हर सोमवार भगवान शिव को अगर अर्पित किया जाए, तो भारी से भारी कष्ट भी दूर हो जाते हैं और व्यक्ति तमाम समस्याओं से मुक्त हो जाता है।


यह अवश्य ही ध्यान दे कि जो व्यक्ति अपने घर से पूर्व, उत्तर, पश्चिम अथवा ईशान दिशा में बाग बगीचा बनाता है वह धनि, यशस्वी, दानी, मृदुभाषी और धार्मिक प्रवर्ति का होता है लेकिन जो व्यक्ति आग्नेय, दक्षिण, नैत्रत्य अथवा वायव्य दिशा में वाटिका बनाता है उसे धन और संतान की हानि होती है , वह स्वयं भी अल्प आयु और रोगी होता है। वह पाप कर्म में लिप्त होता है और उसे इस लोक और परलोक में अपयश का सामना करना पड़ता है अत: घर में वाटिका किस ओर हो इसका निश्चय ही ज्ञान रखना चाहिए ।

आइए जानें, कौन सा पेड़ लगाना होता है अच्छा और कौन सा है अशुभ



तुलसी के पौधे

हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे को एक तरह से लक्ष्मी का रूप माना गया है। कहते है की जिस घर में तुलसी की पूजा अर्चना होती है उस घर पर भगवान श्री विष्णु की सदैव कृपा दृष्टि बनी रहती है । आपके घर में यदि किसी भी तरह की निगेटिव एनर्जी मौजूद है तो यह पौधा उसे नष्ट करने की ताकत रखता है। हां, ध्यान रखें कि तुलसी का पौधा घर के दक्षिणी भाग में नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि यह आपको फायदे के बदले काफी नुकसान पहुंचा सकता है। तुलसी को घर में ईशान या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए । हर मनुष्य को रविवार को छोड़कर नित्य प्रात: स्नान के पश्चात तुलसी पर जल चढ़ाना चाहिए । कहते है जो मनुष्य प्रति बृहस्पतिवार को प्रात: तुलसी के पौधे को कच्चे दूध से सींचता है और रविवार को छोड़कर संध्या के समय तुलसी के समीप शुद्द घी का दीपक जलाता है उसके यहाँ माँ लक्ष्मी सदैव निवास करती है ।

बेल का वृक्ष

भगवान शिव को बेल का वृक्ष अत्यंत प्रिय है। मान्यता है इस वृक्ष पर स्वयं भगवान शिव निवास करते हैं। भगवान शिवजी का परम प्रिय बेल का वृक्ष जिस घर में होता है वहां धन संपदा की देवी लक्ष्मी पीढ़ियों तक वास करती हैं। इसको घर में लगाने से धन संपदा की देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और सारे संकट भी दूर होते है । बेल वृक्ष को सींचने से पितर तृप्त होते है। माना जाता कि बेल वृक्ष और सफ़ेद आक् को जोड़े से लगाने पर उस घर में माँ लक्ष्मी की स्थाई रूप से कृपा प्राप्त होती है। बेल के वृक्ष का सुबह शाम अवश्य ही दर्शन करना चाहिए इससे जाने अनजाने में हुए पापो का नाश होता है। बेल के वृक्ष को लगाने से वंश वृद्धि होती है परन्तु इसे नष्ट करने से मनुष्य घोर पाप का भागी बनता है ।

शमी का पौधा

शमी का पौधा घर में होना भी बहुत शुभ माना जाता है । शमी के पौधे के बारे में तमाम भ्रांतियां मौजूद हैं और लोग आम तौर पर इस पौधे को लगाने से डरते-बचते हैं। ज्योतिष में इसका संबंध शनि से माना जाता है और शनि की कृपा पाने के लिए इस पौधे को लगाकर इसकी पूजा-उपसना की जाती है। इसका पौधा घर के मुख्य द्वार के बाईं ओर लगाना शुभ है। शमी वृक्ष के नीचे नियमित रूप से सरसों के तेल का दीपक जलाएं, इससे शनि का प्रकोप और पीड़ा कम होगी और आपका स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा। विजयादशमी के दिन शमी की विशेष पूजा-आराधना करने से व्यक्ति को कभी भी धन-धान्य का अभाव नहीं होता। शमी का पौधा घर में बाहर की तरफ ऐसे स्थान पर लगाएं जिससे यह घर से निकलते समय दाहिनी ओर पड़े ।

अश्वगंधा

अश्वगंधा को भी बहुत ही शुभ माना जाता है । इसे घर में लगाने से समस्त वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं । अश्वगंधा का पौधा जीवन में शुभता को बढ़ाकर जीवन को और भी अधिक सक्रिय बनाता है। यह एक अत्यन्त लोकप्रिय आयुर्वेदिक औषधि है।

आंवले का पेड़

यदि घर में आंवले का पेड़ लगा हो और वह भी उत्तर दिशा और पूरब दिशा में तो यह अत्यंत लाभदायक है। यह आपके कष्टों का निवारण करता है। आंवले के पौधे की पूजा करने से सभी मनौतियाँ पूरी होती हैं। इसकी नित्य पूजा-अर्चना करने से भी समस्त पापों का शमन हो जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवले के वृक्ष में सभी देवताओं का निवास होता है तथा यह फल भगवान विष्णु को भी अति प्रिय है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास में तो स्वयं भगवान विष्णु आँवले की जड़ में निवास करते है ।

संस्कृत में आँवले को अमरफल भी कहते है । मान्यता है कि जिस घर में उत्तर दिशा में आँवले का पौधा लगा होता है उस घर में भगवान श्री हरि की कृपा से धन-धान्य, सुख समृद्धि की कोई भी कमी नहीं रहती है । शास्त्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति एक आँवले का पौधा लगाकर उसकी देखभाल करता है तो उसे राजसूय यज्ञ का फल मिलता है । वास्तु के अनुसार भी घर में आँवले का पौधा लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है । इसलिए यदि आप अपने जीवन में मनवाँछित सफलता चाहते है तो आँवले का पौधा लगाकर उसकी सेवा करें ।

अशोक के वृक्ष


हिन्दू धर्म में अशोक के वृक्ष को बहुत ही शुभ और लाभकारी माना गया है। अशोक का शब्दिक अर्थ है- शोक का न होना। अशोक अपने नाम के अनुसार ही शोक को दूर करने वाला और प्रसन्नता देने वाला वृक्ष है। इससे घर में रहने वालों के बीच आपसी प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।सभी मांगलिक एवं धार्मिक कार्यों में अशोक के पत्तों का प्रयोग होता है। मान्यता है कि अशोक वृक्ष घर में लगाने से या इसकी जड़ को शुभ मुहूर्त में धारण करने से मनुष्य को सभी शोकों से मुक्ति मिल जाती है। घर में अशोक के वृक्ष होने से घर में सुख शांति एवं धन समृद्धि का वास होता है एवं उस घर में किसी की भी अकाल मृत्यु नहीं होती। अशोक का वृक्ष दो तरह का होता है- एक असली अशोक वृक्ष और दूसरा नकली अशोक वृक्ष। असली अशोक का वृक्ष आम के पेड़ जैसा छायादार वृक्ष होता है। इसके पत्ते 8-9 इंच लंबे और दो-ढाई इंच चौड़े होते हैं। इसके पत्ते शुरू में तांबे के रंग के जैसे होते हैं । अशोक के वृक्ष में वसंत ऋतु में नारंगी रंग के फूल आते हैं, जो बाद में लाल रंग के होजाते हैं। इन सुनहरे लाल रंग के फूलों के कारण इसे 'हेमपुष्पा' भी कहा जाता है। जबकि नकली अशोक वृक्ष देवदार के पेड़ की तरह लंबा वृक्ष होता है। इसके पत्ते भी आम के पत्तों जैसे ही होते हैं। और इस अशोक में सफेद और पीले फूल तथा लाल रंग के फल होते हैं।

श्वेतार्क

श्वेतार्क गणपति का पौधा दूधवाला होता है। वास्तु सिद्धांत के अनुसार दूध से युक्त पौधों का घर की सीमा में होना अषुभ होता है। किंतु श्वेतार्क या आर्क इसका अपवाद है। श्वेतार्क के पौधे की हल्दी, अक्षत और जल से सेवा करें। ऐसा करने से इस पौधे की बरकत से उस घर के रहने वालों को सुख शांति प्राप्त होती है। ऐसी भी मान्यता है कि जिसके घर के समीप श्वेतार्क का पौधा फलता-फूलता है वहां सदैव बरकत बनी रहती है। उस भूमि में गुप्त धन होता है या गृह स्वामी को आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है ।

गुडहल

गुडहल का पौधा ज्योतिष में सूर्य और मंगल से संबंध रखता है, गुडहल का पौधा घर में कहीं भी लगा सकते हैं, परंतु ध्यान रखें कि उसको पर्याप्त धूप मिलना जरूरी है। गुडहल का फूल जल में डालकर सूर्य को अघ्र्य देना आंखों, हड्डियों की समस्या और नाम एवं यश प्राप्ति में लाभकारी होता है। मंगल ग्रह की समस्या, संपत्ति की बाधा या कानून संबंधी समस्या हो, तो हनुमान जी को नित्य प्रात: गुडहल का फूल अर्पित करना चाहिए। माँ दुर्गा को नित्य गुडहल अर्पण करने वाले के जीवन से सारे संकट दूर रहते है ।

नारियल का पेड़

नारियल का पेड़ भी शुभ माना गया है । कहते हैं, जिनके घर में नारियल के पेड़ लगे हों, उनके मान-सम्मान में खूब वृद्धि होती है।

नीम केे वृक्ष

घर के वायव्य कोण में नीम केे वृक्ष का होना अति शुभ होता है। सामान्तया लोग घर में नीम का पेड़ लगाना पसंद नहीं करते, लेकिन घर में इस पेड़ का लगा होना काफी शुभ माना जाता है। पॉजिटिव एनर्जी के साथ यह पेड़ कई प्रकार से कल्याणकारी होता है। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति नीम के सात पेड़ लगाता है उसे मृत्योपरांत शिवलोक की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति नीम के तीन पेड़ लगाता है वह सैकड़ों वर्षों तक सूर्य लोक में सुखों का भोग करता है।

केले का पौधा

केले का पौधा धार्मिक कारणों से भी काफी महत्वपूर्ण माना गया है। गुरुवार को इसकी पूजा की जाती है और अक्सर पूजा-पाठ के समय केले के पत्ते का ही इस्तेमाल किया जाता है। इसे भवन के ईशान कोण में लगाना चाहिए, क्योंकि यह बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधि वृक्ष है।इसे ईशान कोण में लगाने से घर में धन बढ़ता है। केले के समीप यदि तुलसी का पेड़ भी लगा लें तो अधिक शुभकारी रहेगा। इससे विष्णु और लक्ष्मी की कृपा साथ-साथ बनी रहती है। कहते हैं इस पेड़ की छांव तले यदि आप बैठकर पढ़ाई करते हैं तो वह जल्दी जल्दी याद भी होता चला जाता है।

बांस का पौधा

बांस का पौधा घर में लगाना अच्छा माना जाता है। यह समृद्धि और आपकी सफलता को ऊपर ले जाने की क्षमता रखता है। अगर आपकी तमाम कोशिशो के बाद भी आपको अपने कार्यक्षेत्र में मनचाही सफलता नहीं मिल रही है तो आपको अपने भवन / कार्यालय में बांस का पौधा लगाना चाहिए। फेंगशुई में बांस के पौधे को बहुत महत्व दिया गया है। बांस संसार का अकेला ऐसा पौधा है जो हर वातावरण में हर मुश्किलों के बाद भी तेजी से बढ़ता है। इसी लिए इसे उन्नति, दीर्घ आयु और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

भारतीय वास्तु शास्त्र में भी बांस को बहुत शुभ माना गया है। मान्यता है कि जहां बांस का पौधा होता है वहाँ से बुरी आत्माएं दूर ही रहती हैं। भगवान श्री कृष्ण भी हमेशा अपने पास बांस की बनी हुई बांसुरी रखते थे। सभी शुभ अवसरों जैसे मुण्डन, जनेऊ और शादी आदि में बांस का अवश्य ही उपयोग किया जाता है । बांस का पौधा घर के मुखिया के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। जिस घर में यह लगा होता है उस घर के निवासियों को थोड़े से ही परिश्रम से अपने कार्यों में सफलता प्राप्त हो जाती है । उस घर में स्वत: ही धन, यश और समृद्धि का आगमन होता है। यह पौधा सुख समृद्धि, अच्छे भाग्य और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है। आजकल बाजार में शीशे के जार में बहुत से फेंगशुई के बाँस के पौधे मिल जायेंगे जिसे आप आसानी से लाकर अपने घर में लगा सकते है ।बाँस के इस पौधे को पूर्व दिशा में रखना चाहिए ।

मनीप्लांट

ऐसी मान्यता है कि घर में मनीप्लांट लगाने पर सुख-समृद्धि का वास होता है। इसी के चलते लोग अपने घरों में यह पौधा जरूर लगाते हैं। मनीप्लांट का पौधा घर में कहीं भी आसानी से लग जाता है और इसका बहुत रखरखाव भी नहीं करना पड़ता है । लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर यह पौधा घर में सही दिशा में नहीं लगा हो तो आर्थिक नुकसान भी हो सकता है। वास्तु शास्त्रियों के अनुसार घर में मनीप्लांट के पौधे को लगाने के लिए आग्नेय दिशा सबसे उचित दिशा है। आग्नेय दिशा में यह पौधा लगाने से सर्वाधिक लाभ मिलता है। क्योंकि इस दिशा के देवता गणेशजी और प्रतिनिधि शुक्र हैं। भगवान गणेशजी विघ्न दूर करते हैं जबकि शुक्र देव धन,सुख-समृद्धि के प्रतीक है। लेकिन मनीप्लांट को कभी भी उत्तर-पूर्व दिशा अर्थात ईशान कोण में नहीं लगाना चाहिए। यह दिशा इमनीप्लांट के लिए बहुत ख़राब मानी गई है, ईशान दिशा का प्रतिनिधि देवगुरु बृहस्पति माना गया है और शुक्र तथा बृहस्पति में शत्रुवत संबंध है। इसलिए शुक्र से संबंधित मनीप्लांट को ईशान दिशा में लगाने से नुकसान ही होता है।


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