Pitru Paksha in God Worship : पितृ पक्ष में क्या भगवान की पूजा "वर्जित"... आइए जानें क्या कहते हैं वेद शास्त्र और नियम
Pitru Paksha in God Worship : धार्मिक मान्यता और पौराणिक शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में सभी प्रकार के मांगलिक व शुभ कार्य वर्जित होते हैं। शास्त्रों में देवी-देवताओं की पूजा के साथ पूर्वजों की पूजा भी वर्जित मानी जाती है।
Pitru Paksha in God Worship : धार्मिक मान्यता और पौराणिक शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में सभी प्रकार के मांगलिक व शुभ कार्य वर्जित होते हैं। शास्त्रों में देवी-देवताओं की पूजा के साथ पूर्वजों की पूजा भी वर्जित मानी जाती है।
ऐसे में सबके मन में एक सवाल आता है कि पितृपक्ष में देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए या नहीं। इस विषय पर जब एनपीजी न्यूज ने शहर के पंडित और ज्योतिषाचार्य से बात की तो उनहोने कहा कि पितृ पक्ष में देवी-देवताओं की पूजा होनी चाहिए, बरशते कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। साथ ही पितृ उपासक द्वारा पितृ पक्ष में पूजा नहीं करनी चाहिए.
देवी देवताओं की पूजा के बिना पितृपक्ष में श्राद्ध, पिंडदान इत्यादि का फल नहीं मिलता है। इसीलिए पितृपक्ष के दौरान प्रातः काल स्नान करने के बाद नित्य की तरह ही देवी-देवता की पूजा करनी चाहिए।
देवी-देवता की पूजा सही या गलत
पितरों को पूजनीय माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष के दौरान पितर पृथ्वी पर वास करते हैं। ऐसे में इस दौरान पितरों की पूजा करना बेहद कल्याणकारी माना गया है। लेकिन क्या पितृपक्ष के दौरान देवी-देवता की पूजा करनी चाहिए या नहीं? शास्त्रों के अनुसार पितर पक्ष में प्रतिदिन की तरह ही पूजा करनी चाहिए। हालांकि इस दौरान पितर हमारे पूजनीय अवश्य हैं लेकिन ईश्वर से उच्च नहीं है। इसीलिए इस दौरान हमें देवी-देवता की पूजा करनी चाहिए।
इन बातों का ध्यान जरूरी
पितृपक्ष यानी श्राद्ध का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। पितृपक्ष में पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद करके उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है। श्राद्ध न केवल पितरों की मुक्ति के लिए किया जाता है, बल्कि उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए भी किया जाता है।
- घर के मंदिर में कभी भी देवी-देवताओं की तस्वीर के साथ पूर्वजों या दिवगंत परिजनों की तस्वीर न लगाएं। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार पितरों की तस्वीर का मुख हमेशा घर में दक्षिण दिशा की तरफ रखें।
- वास्तु शास्त्र की मानें तो घर में पितरों की एक से अधिक तस्वीर नहीं होनी चाहिए।
- इस बात का ध्यान रखें कि देवी देवताओं की पूजा के बिना पितृपक्ष में श्राद्ध, पिंडदान इत्यादि का फल नहीं मिलता है।
- इसीलिए पितृपक्ष के दौरान प्रातः काल स्नान करने के बाद नित्य की तरह ही देवी-देवता की पूजा करनी चाहिए।
पितृपक्ष में पितृ दोष दूर करने के उपाय
पितृ दोष के छुटकारा पाने के लिए पीपल के पेड़ जल अर्पित करें।
अमावस्या के दिन पीपल में जल से साथ-साथ ही फूल, अक्षत, दूध और काले तिल भी चढ़ाएं।
पितृ दोष दूर करने के लिए पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण-श्राद्ध और पिंडदान करें।
दक्षिण दिशा में पितरों की तस्वीर लगाकर रोज उनको प्रणाम करने से पितृ दोष से राहत मिलती है।