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Pitru Paksha 2025 : क्यों खिलाया जाता है श्राद्ध में कौआ, चींटी, कुत्ता और गाय को भोजन ? जानिए यहाँ

Pitru Paksha 2025 : श्राद्ध के भोजन का पहला भाग कौए को दिया जाता है। यदि कौआ भोजन स्वीकार कर ले, तो यह संकेत होता है कि पितरों ने तर्पण स्वीकार कर लिया और वे प्रसन्न हैं।

Pitru Paksha 2025 : क्यों खिलाया जाता है श्राद्ध में कौआ, चींटी, कुत्ता और गाय को भोजन ? जानिए यहाँ
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By Meenu Tiwari

Significance of different animals in Pitru Paksha : 7 सितम्बर 2025 से पितृ पक्ष शुरू हो चूका है, पितृ पक्ष में तर्पण और श्राद्ध का विशेष महत्व है। इस दौरान पितरों के लिए नियमों में रहकर मनपसंद खाना बनाया जाता है और उन्हें पशु-पक्षियों को खिलाया जाता है, ताकि वो भोजन उनके पितरों तक पहुँच सके और उनकी आत्माओं को तृप्त कर सके।


पितर जीवों के माध्यम से हम तक पहुंचते हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि श्राद्ध के लिए कौआ, चींटी, कुत्ता और गाय जैसे विशेष जानवर ही क्यों चुने गए हैं? तो चलिए फिर जानते हैं.


गाय - 'गवां मध्ये पितरः स्थिताः'


शास्त्रों में कहा गया है - 'गवां मध्ये पितरः स्थिताः' यानि गाय के माध्यम से पितर तृप्त होते हैं। पितृ पक्ष में गाय को हरा चारा, रोटी, गुड़ आदि खिलाने से पितरों को संतोष मिलता है। यह सेवा पापों के क्षय, धन-धान्य की वृद्धि और आशीर्वाद की प्राप्ति का मार्ग है।

कुत्ते को भोजन कराना


कुत्ता यमराज का दूत माना जाता है। कुता, काल भैरव की सवारी भी है, जिन्हें काल और मृत्यु का देवता माना जाता है। मान्यता है कि कुत्ते को रोटी, दूध या मीठा भोजन देना पितरों के मार्ग को सुगम और सुरक्षित बनाता है। इसके अलावा कुत्ते को भोजन कराना अकाल मृत्यु के दोष से भी मुक्ति दिलाता है।




कौए को भोजन कराना


कौआ को पितरों का संदेशवाहक माना जाता है। श्राद्ध के भोजन का पहला भाग कौए को दिया जाता है। यदि कौआ भोजन स्वीकार कर ले, तो यह संकेत होता है कि पितरों ने तर्पण स्वीकार कर लिया और वे प्रसन्न हैं।

चींटी को भोजन कराना


पितृ पक्ष में चींटियों को आटे और शक्कर से बनी गोलियां चींटियों को डालना शुभ होता है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। मान्यता है कि अगर आपके पितर अधोलोक में हैं, तो चींटियाँ उनतक खाना पहुँचती हैं। और

मछली और जलचर


आटे की गोलियां या आटे की लोई में घी और गुड़ डालकर जलचर जीवों को खिलाना भी पितृ तर्पण का अंग माना गया है। यह जल तत्त्व और पितरों के संतोष का प्रतीक है।

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