Pitru Paksha 2025 : 100 वर्षों के बाद चंद्रग्रहण से प्रारंभ हो रहा पितृ पक्ष, इस बार 15 दिन का पितृ पक्ष
Pitru Paksha 2025 : इस वर्ष षष्टि तिथि लोप हो जाने के कारण पितृ पक्ष 15 दिनों का हैं|

Pitru Paksha 2025 : अपने पूर्वजों से मनुष्य का आत्मिक सम्बन्ध बना रहे और उनकी शिक्षाओं का समय समय पर स्मरण आता रहे इसी दृष्टिकोण से पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिये आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावास्या तक के पंद्रह दिन पितरों याने पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिये रखें गए हैं| इसे पितृ पक्ष का नाम दिया गया है| शास्त्रों में कहा गया है,'श्रद्धया:इदं श्राद्धम', अर्थात जो श्रद्धा से किया जाये वो श्राद्ध है| पितृ पक्ष में हम अपने पितृओं के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त कर उन्हे विश्वास दिलाते हैं कि हम आपके दर्शाए गए मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं|
15 दिन का है पितृ पक्ष
ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार वैसे तो शास्त्रों में उल्लेखित है कि पितृ पक्ष्, भाद्रपद मास की पूर्णिमा याने पौष्टपदी पूर्णिमा से ही प्रारम्भ हो जाता है| इस तरह पितृ पक्ष 16 दिनों का होता है, लेकिन इस वर्ष षष्टि तिथि लोप हो जाने के कारण पितृ पक्ष 15 दिनों का हैं|
पंचबलि से पितृ होंगे प्रसन्नदोपहर के समय श्राद्ध करने वालों को दक्षिण मुखी होकर हाथ में तिल, त्रिकुश और जल लेकर यथाविधि संकल्प कर पंचबलि दानपूर्वक ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिये । गो-बलि, श्वान-बलि ,काक बलि, देवादि बलि, और पिपीलाकादि बलि के रूप में पंच बलि दें।पितरों के लिए श्रद्धापूर्वक तिल, कुश तथा जल आदि पदार्थों के त्याग एवं दान कर्मों को श्राद्ध कहा जाता है। पितरों के प्रति श्रद्धा ही श्राद्ध की भावना व आधार है।
श्राद्ध कर्म एवं विधि को निम्न प्रकार से करना चाहिए
1.सर्वप्रथम ब्राह्मण का पैर धोकर सत्कार करें
2.साफ आसन ग्रहण करवाएं ।
3.ब्राह्मण को उत्तराभिमुख बिठाकर उन्हें भोजन कराएं ।
4. तिल मिश्रित जल से देवताओं को अर्ध्य दें तथा धूप, दीप, फूल अर्पण करें।
इसके पश्चात पितृ-पक्ष के लिए यज्ञोपवीत या वस्त्र या गमछा को दाएँ कंधे पर रखकर निवेदन करें तथा ब्राह्मण की अनुमति से कुशाओं का दान करके मंत्रोच्चारण द्वारा पितरों का आह्वान करें व अर्ध्य दें। ब्राह्मणों की आज्ञा से शाक तथा अन्न द्वारा मंत्रों से अग्नि में आहुति दें। “अग्नये काव्यवाहनाय स्वाहा” “सोमाय पितृमते स्वाहा” और आहुतियों से शेष अन्न को ब्राह्मणों के पात्रों में परोस दें। तत्पश्चात ब्राह्मणों को भोजन परोसें . श्राद्ध-भूमि पर तिल छिड़कें तथा अपने ब्राह्मण रुपी पितरों का चिंतन करें।
पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति ज्योतिष शास्त्र में सूर्य, चंद्र की पाप ग्रहों जैसे राहु और केतु से युति को पितृ दोष के रूप में व्यक्त किया गया है| इस युति से मनुष्य जीव न भर केवल संघर्ष करता रहता है| मानसिक और भावनात्मक आघात जीवन पर्यंत उसकी परीक्षा लेते रहते हैं| पितृ पक्ष में अधोलोखित मंत्रों से, या किसी एक मंत्र से कली तिल, चावल और कुशा मिश्रित जल से तर्पण देने से घोर पितृ दोष भी शांत हो जाता है|
मंत्र :
1. ॐ ऎं पितृ्दोष शमनं हीं ॐ स्वधा !!
2. ॐ क्रीं क्लीं ऎं सर्वपितृ्भ्यो स्वात्म सिद्धये ॐ फट!!
3. ॐ सर्व पितृ प्रं प्रसन्नो भव ॐ!!
4. ॐ पितृ्भ्य्: स्वधायिभ्य: स्वधानम: पितामहेभ्य: स्वाधायिभ्य: स्वधानम:| प्रपितामहेभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम: अक्षन्न पितरो मीमदन्त पितरोतीतृ्पन्त पितर: पितर: शुन्दध्वम ॐ पितृ्भ्यो नम: ||
