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Who should perform Shradh : पुत्र नहीं है... तो ये हो सकते हैं "श्राद्ध कर्म" के अधिकारी, जानिए क्या कहते हैं जानकार

ज्योतिषाचार्य दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार शास्त्रों के अनुसार अगर पुत्र न हो तो कुछ रिश्ते भी श्राद्ध के अधिकारी हो सकता है।

By Meenu

Pitru Paksha 2024 : कुछ ही दिनों बाद पितरों को पूजे जाने का दिन "पितृ पक्ष" शुरू हो जाएगा. इन दिनो पूर्वजों के उपासकों द्वारा पितृों की आत्मा के शांति के लिए तर्पण और श्राद्धकर्म किये जाते हैं.

कहा जाता है की नरक से मुक्ति "पुत्र" द्वारा ही मिलती है। इसलिए पुत्र को ही श्राद्ध, पिंडदान का अधिकारी माना गया है और नरक से रक्षा करने वाले पुत्र की कामना हर मनुष्य करता है।



ज्योतिषाचार्य दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार शास्त्रों के अनुसार अगर पुत्र न हो तो कुछ रिश्ते भी श्राद्ध के अधिकारी हो सकता है।

इसलिए यहां जानते हैं कि शास्त्रों के अनुसार पुत्र न होने पर कौन कौन श्राद्ध का अधिकारी हो सकता है -




1.पिता के श्राद्ध पुत्र के द्वारा।

2.पुत्र के न होने पर पत्नी के द्वारा।

3.पत्नी न होने पर सगा भाई और उसके भी अभाव में संपिंडों के द्वारा।

4.एक से अधिक पुत्र होने पर सबसे बड़ा पुत्र श्राद्ध करता है।

5.पुत्री का पति एवं पुत्री का पुत्र भी श्राद्ध के अधिकारी हैं।

6.पुत्र के न होने पर पौत्र या प्रपौत्र भी श्राद्ध कर सकते हैं।

7.पुत्र, पौत्र या प्रपौत्र के न होने पर विधवा स्त्री श्राद्ध कर सकती है।

8.पत्नी का श्राद्ध तभी कर सकता है, जब कोई पुत्र न हो।

9.पुत्र, पौत्र या पुत्री का पुत्र न होने पर भतीजा भी श्राद्ध कर सकता है।

10.गोद में लिया पुत्र भी श्राद्ध का अधिकारी है।

11.कोई न होने पर राजा को उसके धन से श्राद्ध करने का विधान है।


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