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Pitru Paksh 2024 : जो श्रद्धा से किया जाये वो श्राद्ध है... आइये जानें "पितृ पक्ष" में क्या करें की हो जाएं "पितृ दोष" से मुक्त

पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिये आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावास्या तक के पंद्रह दिन पितरों याने पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिये रखें गए हैं| इसे पितृ पक्ष का नाम दिया गया है|

Pitru Paksh 2024 : जो श्रद्धा से किया जाये वो श्राद्ध है... आइये जानें पितृ पक्ष में क्या करें की हो जाएं पितृ दोष से मुक्त
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By Meenu

Pitru Paksh 2024 : हमारे जीवन में जो भी असाध्य रोग और पारिवारिक अशांति है उसका कारण पितृ दोष को ही माना गया है| संतान सम्बंधी समस्या जैसे विवाह न होना, विकृति होना, रोजगार न मिलना और मानसिक समस्या का होना आदि पितृ दोष के कारण ही उत्पन्न होते हैं| पितृ पक्ष में पितृओं को प्रतिदिन तर्पण देने के साथ ही एक निर्दिष्ट प्रक्रिया का पालन किया जाये तो, इन सभी समस्याओं से मुक्ति अवश्य मिलेगी|

ज्योतिषचार्य दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार शास्त्रों द्वारा मनुष्य के लिए तीन प्रकार के ऋण अर्थात कर्त्तव्य बताए गए हैं- देवऋण, ऋषिऋण तथा पितृऋण। अतः स्वाध्याय द्वारा ऋषिगण से, यज्ञों द्वारा देवऋण से तथा श्राद्घ एवं तर्पण द्वारा पितृऋण से मुक्ति पाने का रास्ता बतलाया गया है। इन तीनों ऋणों से मुक्ति पाए बिना व्यक्ति का पूर्ण विश्वास एवं कल्याण होना असंभव है।

पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिये आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावास्या तक के पंद्रह दिन पितरों याने पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिये रखें गए हैं| इसे पितृ पक्ष का नाम दिया गया है| शास्त्रों में कहा गया है,'श्रद्धया:इदं श्राद्धम', अर्थात जो श्रद्धा से किया जाये वो श्राद्ध है| पितृ पक्ष में हम अपने पितृओं के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त कर उन्हे विश्वास दिलाते हैं कि हम आपके दर्शाए गए मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं|


पंचबलि से पितृ होंगे प्रसन्न

दोपहर के समय कुतुप काल में श्राद्ध करने वालों को दक्षिण मुखी होकर हाथ में तिल, त्रिकुश और जल लेकर यथाविधि संकल्प कर पंचबलि दानपूर्वक ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिये । गो-बलि, श्वान-बलि ,काक बलि, देवादि बलि, और पिपीलाकादि बलि के रूप में पंचबलि दें। पितरों के लिए श्रद्धापूर्वक तिल, कुश तथा जल आदि पदार्थों के त्याग एवं दान कर्मों को श्राद्ध कहा जाता है। पितरों के प्रति श्रद्धा ही श्राद्ध की भावना व आधार है। श्राद्ध कर्म एवं विधि को निम्न प्रकार से करना चाहिए ।




  • 1.सर्वप्रथम ब्राह्मण का पैर धोकर सत्कार करें.
  • 2.साफ आसन ग्रहण करवाएं ।
  • 3.ब्राह्मण को उत्तराभिमुख बिठाकर उन्हें भोजन कराएं ।
  • 4. तिल मिश्रित जल से देवताओं को अर्ध्य दें तथा धूप, दीप, फूल अर्पण करें।

इसके पश्चात पितृ-पक्ष के लिए यज्ञोपवीत या वस्त्र या गमछा को दाएँ कंधे पर रखकर निवेदन करें तथा ब्राह्मण की अनुमति से कुशाओं का दान करके मंत्रोच्चारण द्वारा पितरों का आह्वान करें व अर्ध्य दें। ब्राह्मणों की आज्ञा से शाक तथा अन्न द्वारा मंत्रों से अग्नि में आहुति दें। “अग्नये काव्यवाहनाय स्वाहा” “सोमाय पितृमते स्वाहा” और आहुतियों से शेष अन्न को ब्राह्मणों के पात्रों में परोस दें। तत्पश्चात ब्राह्मणों को भोजन परोसें . श्राद्ध-भूमि पर तिल छिड़कें तथा अपने ब्राह्मण रुपी पितरों का चिंतन करें।


पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य, चंद्र की पाप ग्रहों जैसे राहु और केतु से युति को पितृ दोष के रूप में व्यक्त किया गया है| इस युति से मनुष्य जीव न भर केवल संघर्ष करता रहता है| मानसिक और भावनात्मक आघात जीवन पर्यंत उसकी परीक्षा लेते रहते हैं| पितृ पक्ष में अधोलोखित मंत्रों से, या किसी एक मंत्र से कली तिल, चावल और कुशा मिश्रित जल से तर्पण देने से घोर पितृ दोष भी शांत हो जाता है|

मंत्र:

  1. ॐ ऎं पितृ्दोष शमनं हीं ॐ स्वधा !!
  2. ॐ क्रीं क्लीं ऎं सर्वपितृ्भ्यो स्वात्म सिद्धये ॐ फट!!
  3. ॐ सर्व पितृ प्रं प्रसन्नो भव ॐ!!
  4. ॐ पितृ्भ्य्: स्वधायिभ्य: स्वधानम: पितामहेभ्य: स्वाधायिभ्य: स्वधानम:| प्रपितामहेभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम: अक्षन्न पितरो मीमदन्त पितरोतीतृ्पन्त पितर: पितर: शुन्दध्वम ॐ पितृ्भ्यो नम: ||

ऐसे में सभी कष्टों से मुक्त होंगे 16 दिनों में




  • 1. जिस तिथि को घर के पूर्वज गुजरें हों उस तिथि को उपवास रखें और उनकी मन पसन्द खाद्य सामग्री का दान करें|
  • 2. सोमवार को काला तिल, चावल और गुड दोपहर को श्वेत गाय को खिलायें और अधिक से अधिक पानी पिलायें। गाय को प्रणाम करें और अपने उन्नति तथा समस्या के समाधान हेतु प्रार्थना करें। इस प्रक्रिया को प्रत्येक अमावास्या को दोहरायें। समस्या का समाधान अवश्य होगा।
  • 3. सोमवार को काली उडद, काला छाता और पानी से भरा घडा किसी वृद्ध, ब्राह्मण या किसी जरूरतमन्द को दान करें। इस प्रक्रिया को पाँच अमावस्या तक दोहराये। लाभ होगा।
  • 4. काली रंग की वस्तुओं का त्याग करें| अशुद्धि से दूर रहें|
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