Pitra Paksha 2025 : पितृ पक्ष में इसके फल और पत्तों के बिना श्राद्ध कर्म अधूरी, अर्घ्य से लेकर भोजन के लिए होता है उपयोग
pitru paksha me taroi ka mahtva : परंपरानुसार तोरई के पत्तों से ही पितरों को अर्घ्य दिया जाता है, तोरई के पत्ते पर रखकर ही भोजन दिया जाता है. पितृ तर्पण के लिए बनाए जाने वाले भोजन में तोरई होना आवश्यक होता है.

pitru paksha me taroi ka mahtv : पितृ पक्ष में इस चीज के बिना श्राद्ध कर्म अधूरा माना जाता है. इस चीज के बिना श्राद्ध की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती. और वो है तोरई के फल और पत्ते. पितृपक्ष में तोरई सब्जी और इसके पत्ते का विशेष महत्व है. प्राचीन परंपरानुसार तोरई के पत्तों से ही पितरों को अर्घ्य दिया जाता है, तोरई के पत्ते पर रखकर ही भोजन दिया जाता है. पितृ तर्पण के लिए बनाए जाने वाले भोजन में तोरई होना आवश्यक होता है.
तोरई की सब्जी पितृ भोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है, और ब्राह्मणों को भी इसका भोग लगाया जाता है, जिससे वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. तोरई के पत्तों को पितरों का निवास स्थान माना जाता है, और यह माना जाता है कि इन पत्तों पर अर्पित भोजन सीधे पूर्वजों तक पहुँचता है.
पंडितों के अनुसार पितृ देव को भोग उत्तर और पूर्व दिशा में दिया जाता हैं. इसमें चावल तिल और जौ मिलाया जाता है और पितृ को अर्पण करना है तो दक्षिण दिशा में दिया जाता हैं. इसमें चावल तिल और जौ के साथ उरद दाल मिलाई जाती है, अर्पण देते समय तोरई के पत्ते में ये सभी को रख कर किया जाता है अगर तोरई का पत्ता नही मिल पाता तो सफेद कपड़े में रख कर घर के समीप तालाब में या घर अर्पण किया जाता हैं और तोरई को छौंक कर इसको भोग लगाया जाता हैं.
अग्नि पुराण के अनुसार
पितृ पक्ष में पूर्वजों को जल और भोजन अर्पित करते समय तोरई के पत्तों का उपयोग करने की एक प्राचीन परंपरा है. अग्नि पुराण के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान ब्राह्मणों को तोरई की सब्जी खिलानी चाहिए, क्योंकि यह भोजन सीधे पितरों के हिस्से में जाता है और उन्हें प्रसन्न करता है. पितरों को तोरई के पत्तों में भोजन अर्पित किया जाता है, यह मानते हुए कि ये पत्ते पितरों के निवास स्थान हैं, जिससे पितृ भोजन ग्रहण कर सकें.
हवन और भोग
तोरई की सब्जी का उपयोग हवन में भी किया जाता है, और पितरों के भोग के रूप में भी यह विशेष है. तोरई की सब्जी को पहले भून लिया जाता है और फिर इससे हवन किया जाता है.
बाजारों में बढ़ी मांग, बढे रेट
पितृ पक्ष में तोरी और उसके पत्तों का बहुत महत्व है। ऐसे में सीजन की शुरुआत के साथ ही बाजार में इसकी मांग बढ़ गई है। मांग ज्यादा होने और आवक कम होने से तोरी के दाम रातों-रात आसमान पर चढ़ गए हैं। इसके साथ ही तोरई के पत्तों की काफी मांग है। शहर में खेती कम होने के कारण कुछ लोग पैसे देकर अपने परिचितों से संपर्क कर गांवों से पत्ते मांग रहे हैं, ताकि अनुष्ठान किया जा सके।
