Begin typing your search above and press return to search.

Parivartini Ekadashi 2025: क्यों है परिवर्तिनी एकादशी व्रत बेहद खास? जानिए महत्व और आध्यात्मिक संदेश

Parivartini Ekadashi Mahatv: सितंबर 2025 में आने वाली परिवर्तिनी एकादशी हिंदू धर्म की एक अत्यंत पुण्यकारी तिथि है. यह व्रत न सिर्फ आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाने वाला होता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रतीक भी माना जाता है.आइए जानते हैं परिवर्तिनी एकादशी का महत्व और नियम.

क्यों है परिवर्तिनी व्रत बेहद खास? जानिए महत्व और आध्यात्मिक संदेश
X
By Anjali Vaishnav

Parivartini Ekadashi Mahatv: सितंबर 2025 में आने वाली परिवर्तिनी एकादशी हिंदू धर्म की एक अत्यंत पुण्यकारी तिथि है. यह व्रत न सिर्फ आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाने वाला होता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रतीक भी माना जाता है.

सनातन परंपरा में एकादशी व्रत को मोक्ष की ओर बढ़ने वाली सीढ़ी के रूप में देखा जाता है. परिवर्तिनी एकादशी, जिसे पद्मा एकादशी या वामन एकादशी भी कहा जाता है, हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. साल 2025 में यह तिथि 3 सितंबर को पड़ रही है.

क्यों कहते हैं इसे परिवर्तिनी? (Parivartini Ekadashi Mahatv)

"परिवर्तिनी" शब्द का अर्थ है बदलाव लाने वाली. यह बदलाव सिर्फ खगोलीय नहीं, आध्यात्मिक भी है. मान्यता के अनुसार, चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में विश्राम करते हैं, और इस दिन वे अपनी शयन मुद्रा में करवट बदलते हैं. यह करवट सिर्फ ईश्वरीय लीला नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि ब्रह्मांड के संचालन में भी बदलाव का समय आया है. इसी कारण इस दिन को परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है.

परिवर्तिनी एकादशी का महत्व

परिवर्तिनी एकादशी सिर्फ एक तिथि नहीं, बल्कि आध्यात्मिक पुनर्जागरण का अवसर है. यह व्रत आत्मचिंतन, अनुशासन और आस्था के साथ जीवन को सुधारने का मार्ग दिखाता है. इस दिन उपवास रखने और भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मन में स्थिरता आती है. जीवन की सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है, साख ही मनोकामना भी जल्द ही पूरी होती है. यह व्रत जीवन में आंतरिक परिवर्तन लाने का एक माध्यम भी है. यह समय होता है जब व्यक्ति स्वयं के भीतर झाँककर देख सकता है कि उसे किस दिशा में बदलाव की ज़रूरत है.

परिवर्तिनी एकादशी व्रत के नियम

एकादशी व्रत करने वालों के लिए नियम महत्वपूर्ण हैं. हालांकि इसकी कठोरता व्यक्ति की स्थिति और श्रद्धा पर निर्भर करती है. कुछ लोग निर्जला व्रत करते हैं, कुछ सिर्फ फलाहार लेते हैं और कुछ सात्विक भोजन तक सीमित रहते हैं महत्वपूर्ण बात यह है कि व्रत सिर्फ शरीर का नहीं, मन और विचारों का भी होना चाहिए. इस दिन अहिंसा, सत्य और संयम का पालन करना आवश्यक माना गया है.

परिवर्तिनी एकादशी विशेष रूप से यह याद दिलाती है कि बदलाव ही जीवन का नियम है. यदि भगवान भी समय के साथ करवट बदलते हैं, तो हमें भी जीवन में ठहराव के बजाय आंतरिक विकास की ओर कदम बढ़ाना चाहिए.

पंचांग के अनुसार विशेष दिन

साल 2025 में परिवर्तिनी एकादशी की तिथि 3 सितंबर है. यह दिन पूजा, ध्यान, जप और उपवास के लिए आदर्श माना जाता है. इस दिन किया गया जप और ध्यान व्यक्ति के भीतर गहरी चेतना जगाता है.

(Disclamer: दी गई सारी जानकारी धर्मिक मान्यताओं के आधार पर है NPG.NEWS इसकी पुष्टी नहीं करता.)

Next Story