Begin typing your search above and press return to search.

Jyotirlinga Darshan 11(Omkareshwar Jyotirlinga) : हर रोज सजते है चौसर और पासे... सुबह मिलते है बिखरे हुए, महाकाल से है गहरा सम्बन्ध

Omkareshwar Jyotirlinga : janen kyon pada inka nam Omkareshwar, kaise pahunche

Jyotirlinga Darshan 11(Omkareshwar Jyotirlinga) : हर रोज सजते है चौसर और पासे... सुबह मिलते है बिखरे हुए, महाकाल से है गहरा सम्बन्ध
X
By Meenu Tiwari

Omkareshwar Jyotirlinga : 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। नर्मदा नदी के बीच एक द्वीप पर बने ओंकार पर्वत पर यह मंदिर स्थित है। ओंकारेश्वर मंदिर में हर रात भगवान शिव और माता पार्वती विश्राम करने के लिए आते हैं। रात में यहां गुप्त शयन आरती की जाती है, जिसमें मंदिर का सिर्फ एक पुजारी मौजूद रहता है। इसके बाद यहां चौसर और पासे रखकर मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। सुबह मंदिर खोलने पर चौसर के पासे बिखरे हुए मिलते हैं।


12 ज्योतिर्लिंग दर्शन की कड़ी में आज हम आपको ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से रूबरू करा रहे हैं. आइये जानते हैं इनकी महिमा और रहस्य.


पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम के वंशज राजा मंधाता और कुबेर ने यहां भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। इससे प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिए और ज्योति के रूप में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में स्थापित हो गए। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को स्वयंभू माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह स्वयं प्रकट हुआ है, किसी ने इसे स्थापित नहीं किया है। मान्यता है कि नर्मदा नदी ने स्वयं इस ज्योतिर्लिंग को चारों तरफ से घेरा हुआ है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।


ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन टाइम


ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सुबह 5 बजे से रात 9:30 बजे तक खुला रहता है, जिसमें मंगल आरती 5 बजे, मध्याह्न भोग 12:20 बजे, और रात की आरती 9 बजे होती है। आरती और श्रृंगार के समय दर्शन बंद रहते हैं, और विशेष अवसरों पर दर्शन का समय बदल सकता है


ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का रहस्य




ओंकारेश्वर को लेकर मान्यता है कि यहां राजा मंधाता और कुबेर ने घोर तप कर भोलेनाथ को प्रसन्न किया था। तब शिव स्वयं प्रकट होकर ज्योति के रूप में यहां विराजमान हो गए। यही कारण है कि इसे स्वयंभू ज्योतिर्लिंग कहा जाता है — जिसे किसी ने स्थापित नहीं किया, बल्कि जो स्वयं प्रकट हुआ।

मोक्षदायिनी और ऊर्जा का केंद्र


ऐसा माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां स्थित ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बिना ओंकारेश्वर के दर्शन अधूरे माने जाते हैं। वहीं ओंकार पर्वत की परिक्रमा करने से शरीर और मन दोनों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

महाकाल से भी जुड़ा है संबंध

ओंकारेश्वर मंदिर के ठीक ऊपर महाकालेश्वर मंदिर भी स्थित है, ठीक उसी तरह जैसे उज्जैन के महाकाल मंदिर के ऊपर ओंकारेश्वर मंदिर बना हुआ है। यह आध्यात्मिक संतुलन दर्शाता है कि दोनों ज्योतिर्लिंग एक-दूसरे से कैसे जुड़े हुए हैं।




ओंकारेश्वर मंदिर कहां है

भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। मंदिर नर्मदा नदी में मांधाता द्वीप पर स्थित एक सुंदर स्थान है। मान्यता है कि ओंकारेश्वर में स्थापित लिंग किसी मनुष्य के द्वारा गढ़ा, तराशा लिंग नहीं बल्कि प्राकृतिक शिवलिंग है। यह शिवलिंग हमेशा चारों ओर से जल से भरा रहता है। ओंकारेश्वर मंदिर पूर्वी निमाड़ (खंडवा) जिले में नर्मदा के दाहिने तट पर है, जबकि बाएं तट पर ममलेश्वर है।


ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा


ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना विन्ध्य पर्वत के भगवान शिव की उपासना के बाद हुई थी। विन्ध्याचल ने शिव की पार्थिव मूर्ति बनाकर छह महीने तक तपस्या की। इस पर भगवान शिव ने विंध्य को अपने दिव्य दर्शन दिए और कार्य की सिद्धि के लिए अभीष्ट बुद्धि का वरदान दिया। इस दौरान सभी देवगण और ऋषि मुनियों ने शिव जी की स्तुति करते हुए वहीं निवास करने का आग्रह किया। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर ऋषियों और देवों की बात स्वीकार कर ली। ओंकार लिंग वहां दो स्वरूपों में विभक्त हो गया। एक ओंकार नाम से जाना जाता है, और पार्थिव मूर्ति में जो ज्योति प्रतिष्ठित हुई थी, वह परमेश्वर लिंग के नाम से विख्यात हुई। परमेश्वर लिंग को ही अमलेश्वर भी कहा जाता है।


ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे



अगर आप हवाई यात्रा कर रहे हैं तो ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से 77 किलोमीटर दूर इंदौर हवाई अड्डा है। यहां से बस व टैक्सी के माध्यम से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा 133 किमी की दूरी पर उज्जैन हवाई अड्डा भी है। उज्जैन जा रहे हैं तो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन भी यात्रा के दौरान किए जा सकते हैं।

वहीं अगर आप रेल से ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो ओंकारेश्वर के सबसे करीब रतलाम-इंदौर-खंडवा लाइन पर स्थित ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से महज 12 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। सड़क मार्ग से भी ओंकारेश्वर जा सकते हैं। राज्य परिवहन निगम की बसें आसानी से ओंकारेश्वर पहुंचा देंगी।


ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास स्थित दर्शनीय स्थल

इस ज्योतिर्लिंग के पास ही अंधकेश्वर, झुमेश्वर, नवग्रहेश्वर नाम से भी बहुत से शिवलिंग स्थित हैं, जिनके दर्शन के लिए जा सकते हैं। इसके अलावा प्रमुख दार्शनिक स्थलों में अविमुक्तेश्वर, महात्मा दरियाई नाथ की गद्दी, श्री बटुक भैरव, मंगलेश्वर, नागचंद्रेश्वर और दत्तात्रेय व काले-गोरे भैरव भी है।

33 करोड़ देवताओं संग विराजते हैं भगवान शिव

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से लगभग 78 किमी की दूरी पर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है. यह एकमात्र मंदिर है जो नर्मदा नदी के उत्तर में स्थित है. यहां पर भगवान शिव नदी के दोनो तट पर स्थित हैं. महादेव को यहां पर ममलेश्वर व अमलेश्वर के रूप में पूजा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग के आस-पास कुल 68 तीर्थ स्थित हैं और यहां भगवान शिव 33 करोड़ देवताओं के साथ विराजमान हैं. महाशिवरात्रि के अवसर पर इस मंदिर में शिवभक्तों की भारी भीड़ दर्शन और पूजन के लिए उमड़ती है. इसी को ध्यान रखते हुए इस साल महाशिवरात्रि के अवसर भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिंग 24 घंटे दर्शन के लिए खुला रहेगा. ओंकारेश्वर मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां पर दर्शन एवं पूजन करने पर व्यक्ति के सारे पाप दूर हो जाते हैं.


Next Story