Nirjala Ekadashi Vrat 2025: निर्जला एकादशी 2025: बिना जल के व्रत रखने से पहले जान लें ये नियम, वरना नहीं मिलेगा पुण्य!
एक साल में 24 एकादशी पड़ती है। जिसमें से निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन होता है, लेकिन इस व्रत में आपको पूरे साल की एकादशियों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से पहले आइए हम नियम जान लेते हैं।

Nirjala Ekadashi Vrat 2025: निर्जला एकादशी 2025: बिना जल के व्रत रखने से पहले जान लें ये नियम, वरना नहीं मिलेगा पुण्य!
एक साल में 24 एकादशी पड़ती है। जिसमें से निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन होता है, लेकिन इस व्रत में आपको पूरे साल की एकादशियों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से पहले आइए हम नियम जान लेते हैं। निर्जला एकादशी जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इस एकादशी में आपको बिना अन्न, जल ग्रहण किए उपवास रखना है। शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और नियम से इस व्रत को करेगा उसे हजार एकादशियों के बराबर पुण्य प्राप्त होगा।
कब है एकादशी-
6 जून की सुबह 2.15 बजे से 7 जून को सुबह 4.47 बजे तक व्रत करने का मुहूर्त है। खास बात यह है कि दोनो ही दिन उदया तिथि का संयोग बन रहा है ऐसे में भक्तों के बीच असमंजस की स्थिति है कि व्रत कब रखें। अगर आप ग्रृहस्थ है तो पहले दिन व्रत रखें, जो भक्त निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून को रखेंगे, वे व्रत से पूर्व यानी सूर्योदय से पहले पहले पानी पी लें और व्रत का पारण 7 जून को दोपहर 1:44 बजे से शाम 4:31 बजे के बीच करें। साधु, संतों और संन्यासियों को दूसरे दिन व्रत रखना चाहिए और व्रत का पारण 8 जून को सुबह 5:23 बजे से सुबह 7:17 बजे के बीच करें।
कैसे रखें व्रत-
व्रत के एक दिल पहले सात्विक भोजन ग्रहण करने का प्रयास करें। व्रत वाले दिन सुर्योंदय से पहले स्नान करें। पूरे दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। पीले वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें, व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को भोग लगाएं भगवान विष्णु को पंजीरी और मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं। शाम को दीपदान करें। पारण वाले दिन सुबह ब्रम्ह मुहूर्त में उठें। स्नान करने के बाद जरूरतमंदों को अपनी इच्छा के अनुरूप दान करें इसके बाद पारण करें और सभी को प्रसाद जरूर खिलाएं।
शास्त्रों में कहा गया है कि निर्जला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप धूल जाते हैं और उन्हे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि इस व्रत को भीम ने भी किया था इसलिए इस एकादशी का नाम भीमसेनी एकादशी भी है। इस दिन दान पुण्य करना भी विशेष फलदायी माना जाता है।