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Navratri Kanya Bhojan : अगर कन्या भोजन के लिए ना मिले 9 कन्या और एक बालक, तो क्या करें ?, जानें कन्या पूजन के नियम

Navratri Kanya Bhojan : कुल 09 कन्याओं और एक लंगूर के लिए प्लेट में भोग प्रसाद लगाएं. इसके बाद जिन थालियों के सामने कन्याएं नहीं हैं, उन थालियों को ही कन्या मानकर तिलक और अक्षत अर्पित करें.

Navratri Kanya Bhojan : अगर कन्या भोजन के लिए ना मिले 9 कन्या और एक बालक, तो क्या करें ?, जानें कन्या पूजन के नियम
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By Meenu Tiwari

आज शारदीय नवरात्र की महानवमी है. आज नवरात्र के 9 दिनों में माँ भगवती की आराधना, पूजा-अर्चना में बाद माँ के 9 स्वरूपों के रूप में 2 से 10 साल तक की 9 कन्याओं का एक लंगूर-भैरव बाबा के साथ पूजा और भोजन कराया जाता है. लेकिन कई बार लोगों को एक साथ 09 कन्याएं नहीं मिल पाती हैं, फिर पूरी तैयारी के बीच बड़ी समस्या हो जाती है. ऐसे में किस विधि से कन्या पूजन करना चाहिए ? आइए तो फिर आपके सारे सवालों के जवाब है यहाँ.


कन्या न मिलें तो ये काम करें


नवरात्रि के समय में अगर आस-पड़ोस में कोई कन्या न हो तो आप मंदिर या ऐसी किसी स्थान पर जा सकते हैं, जहां जरूरतमंद या गरीबों के बच्चे मिल जाएं. ऐसे स्थानों पर जाकर लड़कियों को भोजन कराएं और दान दक्षिणा देकर कन्या पूजन सम्पन्न कर सकते हैं. कई बार लोग अन्य कारणों या फिर स्कूल जाने की वजह से भी दूसरों के घर अपनी बच्चियों को नहीं भेज पाते. ऐसे में आप चाहें तो कन्याओं के लिए उनके घर पर ही प्रसाद और दक्षिणा आदि पहुंचा सकते हैं.




यह भी कर सकते हैं

कन्या पूजन के लिए 09 लड़कियां एक साथ न मिलें तो आप बिल्कुल भी निराश न हों और जितनी भी कन्याएं आपके घर में आई हों उन्हें आदर के साथ अपने घर के भीतर पैर धोकर बिठाएं. इसके बाद उनका पूजन करने के बाद जब भोग निकालें तो यदि वे एक, दो या तीन की संख्या में हो तो बाकी संख्या में थाली या प्लेट में भोग जरूर निकालें. यानि कुल 09 कन्याओं और एक लंगूर के लिए प्लेट में भोग प्रसाद लगाएं. इसके बाद जिन थालियों के सामने कन्याएं नहीं हैं, उन थालियों को ही कन्या मानकर तिलक और अक्षत अर्पित करें. इसके बाद बाकी कन्याओं को भोग प्रसाद खाने को कहें और अपने मन में इस भाव को लाएं कि नवदुर्गा का प्रति​निधित्व करने वाली कन्याएं आपके द्वारा दिये गये भोग को ग्रहण कर रही हैं.

इसके बाद जब एक दो या तीन जो भी कन्या भोजन कर लें तो उन्हें आदर के साथ उपहार, धन आदि देकर विदा करें और बाकी थालियों का प्रसाद इकट्ठा करके रखें और जब बाद में वे कन्याएं आएं तो उन्हें वह प्रसाद दक्षिणा और उपहार के साथ दें. यदि बाद में भी आपको कन्याएं नहीं मिलती हैं तो आप बाहर किसी मंदिर या कालोनी आदि में जाकर जो कोई भी कन्या मिले उसे वह भोग प्रसाद, धन और उपहार दे दें.

यदि बाहर जाने पर भी आपको कोई कन्या न मिले तो उस भोग को गोमाता या फिर किसी जरूरतमंद व्यक्ति को खाने के लिए दें. कन्या को दिये जाने वाला उपहार और धन किसी देवी मंदिर में पुजारी को यह सोचकर दान करें दें कि आपका दिया उपहार और दक्षिणा उसके जरिये भगवती दुर्गा तक पहुंच रही है.


जब कन्या के साथ बालक न मिले तो क्या करें

यदि नवरात्रि की नवमी तिथि पर 09 कन्याओं के साथ बालक न मिले तो आप उसके लिए अलग से थाली में भोग निकाल दें और कन्या पूजन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद उस भोग को बाद में बाहर किसी बालक को ले जाकर खाने के लिए दे सकते हैं. यदि बाद में भी कोई बालक न मिले तो आप उसे किसी कुत्ते या ​बंदर को खिला सकते हैं क्योंकि इन दोनों को क्रमश: भैरव और हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है.


कन्या पूजन की सही विधि व नियम

नवमी के दिन कन्याओं को अपने घर पूजन के लिए आमंत्रित करें. इनकी आयु 2 वर्ष से 10 वर्ष के बीच हो सकती है. जब कन्याएं आपके घर आएं तो उनका स्वागत फूल-मालाओं से करें. इसके बाद कन्याओं को बैठने के लिए आसन दें. फिर कन्याओं के पैर जल से धोएं. चावल, फूल, रोली आदि से उनकी पूजा करें. उनके सिर पर लाल रंग की चुनरी रखें. इसके बाद कन्याओं को भोजन में पूड़ी, हलवा, काले चने, खीर, नारियल, फल आदि खिलाएं. जब वे खा लें तो उन्हें पानी पिलाएं. इसके बाद उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार उपहार और दक्षिणा दें. उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें. इसके बाद उन्हें अगले साल फिर आने का निमंत्रण देकर विदा करें.

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