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नवरात्रि में मछली-भात खाकर की जाती है माता 'दुर्गा' की पूजा, देवी को 9 दिनों तक चढ़ाया जाता है ये प्रसाद, जानें कहाँ की है ये अनोखी परंपरा

Navratri Interesting Facts: देश के इस राज्य में नवरात्रि के शुभ अवसर पर मछली-भात खाकर माता दुर्गा की पूजा करने की परंपरा रही है..

नवरात्रि में मछली-भात खाकर की जाती है माता दुर्गा की पूजा, देवी को 9 दिनों तक चढ़ाया जाता है ये प्रसाद, जानें कहाँ की है ये अनोखी परंपरा
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By Ashish Kumar Goswami

Bengali Non-Veg Tradition: देश के विभिन्न राज्यों में नवरात्रि का पर्व अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। एक तरफ देश का बड़ा हिस्सा नवरात्रि में कठोर उपवास रखता है। सात्विक भोजन करता है और प्याज-लहसुन से भी परहेज करता है। वहीं दूसरी ओर बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान मांस, मटन और मछली जैसे पारंपरिक व्यंजनों का खुलकर सेवन करने की परंपरा है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि, बंगाल में देवी दुर्गा को एक दिव्य शक्ति के रूप में ही नहीं, बल्कि बंगाल की बेटी के रूप में पूजा जाता है।

बंगाली परंपरा के अनुसार, इस समय माता दुर्गा अस्थायी यात्रा के बाद अपने मायके (पृथ्वीलोक) आती है। जिसकी प्रसन्नता में मछली भात बनाने की परंपरा है। माता को मछली भात का भोग लगाया जाता है, जिसे बाद में परिवार के लोग प्रसाद के रूप में खाते है। बंगाली परंपरा के अनुसार देवी दुर्गा के शक्तिशाली और उग्र रूप की पूजा की जाती है, जो की शाक्त परंपरा के अनुरूप है। इसी कारण, देवी को उनके उग्र रूप को शांत करने के लिए, मांस और मछली जैसे विभिन्न प्रकार के भोग चढ़ाना अनुमत माना जाता है।

बंगाली परंपरा के अनुसार, मछली सिर्फ एक भोजन नहीं बल्कि सुख, समृद्धि, उर्वरता और खुशहाली का प्रतीक मानी जाती है। कई बंगाली शुभ अवसरों पर मछली के व्यंजन बनाना अनिवार्य मानते हैं। यहां तक कि, विजया दशमी के प्रभात में मंगल घट के सामने एक जोड़ी विशेष मछली रखना भी शुभ माना जाता है। इस तरह, दुर्गा पूजा के दौरान मछली का सेवन शुभता का प्रतीक माना जाता है। वहीं, बंगाली समुदाय में वैष्णव परंपरा (जो भगवान विष्णु को मानने वाली है) से जुड़े कुछ ब्राह्मण और परिवार सात्विक भोजन ही करते हैं और मांस-मछली से परहेज करते हैं।

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