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Navratri 2025 : मां कुष्मांडा देवी का सबसे बड़ा मंदिर यहाँ, माँ के आँखों के नीर लगाने मात्र से ही हो जाती है आँखों की सारी समस्या दूर

Navratri 2025 : कानपुर मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर बस से घाटमपुर में यह सिद्ध पीठ स्थित है.

Navratri 2025 : मां कुष्मांडा देवी का सबसे बड़ा मंदिर यहाँ, माँ के आँखों के नीर लगाने मात्र से ही हो जाती है आँखों की सारी समस्या दूर
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By Meenu Tiwari

asia ka sabse bada maa kushmanda ka mandir : आज शारदीय नवरात्र का चौथा दिन है. आज माँ कुष्मांडा का दिन है. क्या आपको पता है की मां कुष्मांडा देवी का एशिया का सबसे बड़ा मंदिर और सिद्ध पीठ में से एक कानपुर के घाटमपुर इलाके में मौजूद है. यहाँ माता के दर्शन और उनके आँखों के नीर लगाने मात्रा से ही आँखों की सभी समस्या दूर हो जाती है.


कानपुर मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर बस से घाटमपुर में यह सिद्ध पीठ स्थित है. जहां नवरात्र में दूर-दूर से भक्त माता के दर्शन करने के लिए आते हैं. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो लोग आंखों की किसी समस्या से ग्रसित होते हैं. वह अगर मंदिर में माता की मूर्ति से नीर लेकर अपनी आंखों में लगाते हैं तो उनके आंखों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.


सोने और चांदी की आंख चढ़ाते हैं


इतना ही नहीं शारीरिक रोगों से दूर होने के लिए भी लोग इस मंदिर में आते हैं और उन्हें अत्यधिक शारीरिक लाभ मिलता है. आंखों के रोग ठीक हो जाने के बाद लोग यहां पर माता के चरणों में सोने और चांदी की आंखों को भी चढ़ाते हैं. इसकी भी विशेष मान्यता इस मंदिर में है.


माता की पिंडी से रिसता रहता है जल

यह मंदिर बेहद प्राचीन और ऐतिहासिक है. यह माता के सिद्धपीठो में से एक है और एशिया का सबसे बड़ा मां कुष्मांडा देवी का मंदिर है. यहां के लिए यह विशेष मान्यता है कि जो भी माता के चरणों में चढ़े नीर को अपनी आंखों में लगता है. उसके आंखों के सारे रोग ठीक हो जाते हैं.




मां कुष्मांडा का स्वरूप


मां दुर्गा के इस स्वरुप मां कुष्मांडा की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही काम में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं। देवी पुराण के अनुसार, विद्यार्थियों के लिए मां कुष्मांडा की पूजा करने से उनकी बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान की प्राप्ति होती है। देवी कुष्मांडा दुर्गा मां का चौथा स्वरुप है। देवी भागवत पुराण में उनकी महिमा का वर्णन है। माना जाता है कि कुष्मांडा देवी की हंसी से ही सृष्टि के आरंभ में अंधकार था, जिसे मां ने अपनी हंसी से दूर किया था। उनमें सूर्य की गर्मी सहने से शक्ति है। मां कुष्मांडा शेर की सवारी करती हैं। उनकी आठ भुजाएं हैं। उनकी आठ भुजाओं में अस्त्र हैं। उनकी भुजाओं में कमल, कलश, कमंडल, और सुदर्शन चक्र पकड़ा हुआ है। मां का यह स्वरूप उन्हें जीवन दान देती हैं। मां कुष्मांडा का रुप बहुत ही आलौकिक और दिव्य है।

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