Nag Panchami 2024 : घर में है नाग आने का डर... तो गोबर से नाग की आकृति बनाकर करें पूजा... जानिए नाग है प्राणघातक फिर भी क्यों पूजे जाते हैं
Nag Panchami 2024 : माना जाता है की ऐसा करने से नाग देवता के प्रकोप से बचा जा सकता है और पुरे साल नाग देवता हमारे घर की बुरी शक्तियों और अपनी प्रजाति से हमारी रक्षा करते हैं.
shape of a snake in the house with cow dung : कल नाग पंचमी है. कल सुबह से ही रायपुर से लेकर छत्तीसगढ़ के हर अंचल में सुबह से ही घरों के मुख्य द्वार पर गोबर से नाग देवता की आकृति बनी हुई दिख जाएगी. माना जाता है की ऐसा करने से नाग देवता के प्रकोप से बचा जा सकता है और पुरे साल नाग देवता हमारे घर की बुरी शक्तियों और अपनी प्रजाति से हमारी रक्षा करते हैं.
हिंदू धर्म में गाय के गोबर से नाग की आकृति बनाना एक प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा है। नाग पंचमी के दिन घरों के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से नाग की आकृति बनाई जाती है। सनातन धर्म में नाग देवता को जल और अन्न का देवता माना जाता है। गोबर से बने नाग की आकृति से नाग देवता की पूजा की जाती है और उनसे वर्षा और समृद्धि की कामना की जाती है।
गोबर से बनी सांप की आकृति घर में शुभता लेकर आता है
नाग देवता भगवान शिव के गले में रहते हैं। गोबर से बनी सांप की आकृति से शिव और पार्वती की पूजा भी की जाती है। जिससे घर परिवार में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार होता है। ऐसा माना जाता है कि गोबर से बनी सांप की आकृति घर में शुभता लेकर आता है। इस बनाने से घर में कभी नाग भय नहीं रहता है।
सांप की आकृति बनाने से घर में समृद्धि आती है
नाग देवता को धन-धान्य का देवता भी माना जाता है। मुख्य द्वार पर सांप की आकृति बनाने से घर में समृद्धि आती है, ऐसा माना जाता है। इतना ही नहीं, मुख्य द्वार पर सांप की आकृति बनाने से घर में प्रवेश करने वाले सभी लोगों पर नाग देवता की कृपा बनी रहती है, ऐसा माना जाता है। साथ ही मुख्य द्वार पर सांप की आकृति बनाने से भगवान शिव की कृपा भी बनी रहती है।
नागों की आकृति बनाकर उनकी पूजा
कई घरों में दीवार पर गेरू पोतकर पूजन का स्थान बनाया जाता है। फिर उस दीवार पर कच्चे दूध में कोयला घिसकर या फिर गोबर से एक घर की आकृति बनाई जाती है और उसके अन्दर नागों की आकृति बनाकर उनकी पूजा की जाती है। साथ ही कुछ लोग घर के मुख्य दरवाजे के दोनों तरफ हल्दी से, चंदन की स्याही से अथवा गोबर से नाग की आकृति बनाकर उनकी पूजा करते हैं ।
देवताओं के बीच नागों का हमेशा से अहम स्थान
हमारे देवताओं के बीच नागों का हमेशा से अहम स्थान रहा है। विष्णु जी शेष नाग की शैय्या पर सोते हैं और भगवान शंकर अपने गले में नागों को यज्ञोपवीत के रूप में रखते हैं। भगवद् गीता में भगवान कृष्ण ने अपने को सर्पों में वासुकि और नागों में अनंत कहा है। नाग पंचमी का ये त्योहार सर्प दंश के भय से मुक्ति पाने के लिए और कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिये मनाया जाता है। लिहाजा अगर आपको भी इस तरह का कोई भय है या आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो उससे छुटकारा पाने के लिए आपको इन आठ नागों की पूजा करनी चाहिए- वासुकि, तक्षक, कालिया, मणिभद्र, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कर्कोटक और धनंजय।
कब मनाई जाएगी नाग पंचमी?
नाग पंचमी 09 अगस्त को मनाई जा रही है। पूजा के लिए शुभ समय सायं 05: 47 मिनट से लेकर 08:27 मिनट तक है। वहीं पूजा का दोपहर का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:13 मिनट से लेकर 1:00 बजे तक का रहेगा। प्रदोष काल में भी पूजा का शुभ महूर्त: सायं 06:33 मिनट से रात को 08:20 मिनट तक रहेगा।