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May 2024 Vrat Tyohar : मई महीने में इस बार "अक्षय तृतीया" जैसा महत्‍वपूर्ण पर्व, आइए जानते हैं मई के व्रत त्‍योहार के बारे में

मई के महीने में इस बार अक्षय तृतीया जैसा महत्‍वपूर्ण पर्व मनाया जाएगा। इसी महीने में गंगा जयंती और जानकी जयंती भी पड़ रही हैं.

May 2024 Vrat Tyohar :  मई  महीने में इस बार अक्षय तृतीया जैसा महत्‍वपूर्ण पर्व, आइए जानते हैं मई के व्रत त्‍योहार के बारे में
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By Meenu

मई के महीने में इस बार अक्षय तृतीया जैसा महत्‍वपूर्ण पर्व मनाया जाएगा। इसी महीने में गंगा जयंती और जानकी जयंती भी पड़ रही हैं।

गंगा जयंती पर धरती पर गंगा का अवतरण हुआ था और जानकी जयंती को लेकर ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन राजा जनक के घर मां सीता का प्राकट्य हुआ था।

आइए जानते हैं मई के व्रत त्‍योहार के बारे में विस्‍तार से कि कब क्‍या मनाया जाएगा।




वरुथिनी एकादशी 4 मई

एकादशी का सभी व्रतों में सबसे प्रमुख माना गया है. इस बार वरुथिनी एकादशी 4 मई, शनिवार को मनाई जाएगी. इस एकादशी व्रत को सुख और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर दोनों पर पड़ता है. इसके अलावा एकादशी के व्रत से अशुभ संस्कारों को भी नष्ट किया जा सकता है.

रवि प्रदोष व्रत 5 मई

हर महीने में प्रदोष व्रत दो बार आता है। यह व्रत हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। जब व्रत रविवार को पड़ता है, तो उसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है। जिस तरह एकादशी का महत्व है, उसी तरह प्रदोष तिथि का महत्व है। प्रदोष व्रत रखने से सूर्य नारायण की विशेष कृपा होती है।

अक्षय तृतीया, भगवान परशुराम जयंती 10 मई

अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) इस साल 10 मई को है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर अक्षय तृतीया मनाई जाती है। हिंदू धर्म इस त्‍योहार को एक अबूझ मुहूर्त के तौर पर भी देखा जाता है। इस दिन सोने चांदी की खरीद करना और दान पुण्‍य करना शुभ होता है। इस दिन आप जो भी खरीदते या फिर दान करते उसमें अक्षय वृद्धि होती है। इस तिथि को युगादि भी कहा जाता है। भगवान विष्‍णु के अवतार परशुरामजी का जन्म अक्षय तृतीया को ही माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण खरीदने से आपके घर में संपन्‍नता आती है।

श्रीगंगा जयंती 14 मई

वैशाख शुक्‍ल सप्‍तमी को गंगा सप्‍तमी और गंगा जयंती के रूप में मनाया जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि को ही देवी गंगा का प्राकट्य हुआ था। भगवान विष्णु के चरण धोकर ब्रह्माजी ने जल को अपने कमंडल में रख लिया था। इसी जल से गंगा उत्पन्न हुई थीं। इसलिए देवी गंगा को पतित पावनी कहा जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्‍नान करने से आपको विशेष पुण्‍य की प्राप्ति होती है।

जानकी जयंती 16 मई

वैशाख मास के शुक्‍ल पक्ष की नवमी को जनक नंदिनी का प्राकट्य हुआ था। राजा जनक के घर में इस दिन खुशियां आई थीं और लक्ष्‍मी स्‍वरूपा सीता का प्राकट्य हुआ था। महाराज जनक को पुष्य नक्षत्र में भूमि से एक बालिका की प्राप्ति हुई थी। हल की नोंक को भी सीता कहा जाता है, इसलिए बालिका का नाम जनक ने सीता रखा। इस दिन व्रत करने का विशेष महत्‍व है। मान्यता है कि इस व्रत के रखने से मां सीता जैसी पवित्रता और पतिव्रता होने का वरदान और प्रेरणा मिलती है।

मोहिनी एकादशी 19 मई

वैशाख शुक्ल एकादशी को मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया था। इसलिए इसे मोहिनी एकादशी कहा जाता है। शास्त्रों में मोहिनी एकादशी का व्रत सबसे उत्तम बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर असुरों का वध किया था।

वैशाख बुद्ध पूर्णिमा 23 मई

वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को वैशाख पूर्णिमा कहा जाता है और यह बुद्ध पूर्णिमा भी कहलाती है। मान्‍यता है कि इस दिन गौतम बूद्ध का भी जन्‍म हुआ था। इस पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान करने और पितरों के नाम का दान तर्पण आदि करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पितृ दोष भी दूर होता है।

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