Matru Navami 2025 : पितृ पक्ष में मातृ नवमी 15 सितंबर को, माताओं को समर्पित श्राद्ध का यह दिन, सुहागिन ब्राह्मण महिला को कराया जाता है भोजन
Matru Navami 2025 : मातृ नवमी श्राद्ध के लिए 15 सितंबर 2025 को सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक का समय रहेगा. इसे कुतुप मुहूर्त कहते हैं.

Matru Navami 2025 : पितृ पक्ष में एक दिन ऐसा भी आता है जिस दिन सिर्फ माताओं को समर्पित होता है. इस दिन परिवार में मृत माताओं के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है. पितृ पक्ष की अलग-अलग तिथियों में किए जाने वाले श्राद्ध में एक है नवमी श्राद्ध. इसे मातृ नवमी श्राद्ध के नाम से जाना जाता है. इस साल पितृ पक्ष में मातृ नवमी श्राद्ध सोमवार 15 सितंबर 2025 को किया जाएगा.
मातृ नवमी श्राद्ध मुहूर्त
मातृ नवमी श्राद्ध के लिए 15 सितंबर 2025 को सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक का समय रहेगा. इसे कुतुप मुहूर्त कहते हैं, जोकि पितरों के श्राद्ध और तर्पण के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. इसके साथ ही रौहिण मुहूर्त और अपराह्न काल मुहूर्त में भी श्राद्ध कर सकते हैं.
रौहिण मुहूर्त- 15 सितंबर, दोपहर 12:41 से 01:30 बजे
अपराह्न काल- 15 सितंबर, दोपहर 01:30 से 03:58 बजे
मातृ नवमी श्राद्ध का महत्व
पितृ पक्ष में मातृ नवमी श्राद्ध मृत माताओं के लिए किया जाता है. पितृ पक्ष की नवमी तिथि पर परिवार की ऐसी महिलाएं जो स्वर्गवासी हो चुकी हैं, उनके लिए (माता, दादी, नानी, बहन, बुआ, चाची, पत्नी आदि) श्राद्ध कर्म किया जा सकता है. या फिर यदि किसी महिला की मृत्यु तिथि याद न हो तो, मातृ नवमी पर उनका श्राद्ध भी करने का विधान है.
जानिए क्या है माताओं के श्राद्ध के नियम
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
- कुश, जौ, तिल और जल से तर्पण करें।
- चावल, जौ और काले तिल को मिलाकर पिंड बनाएं और दिवंगत माताओं को अर्पित करें।
- श्राद्ध का भोजन तैयार करें, जिसमें खीर, पूरी, सब्जी, दाल आदि शामिल होती है।
- इस भोजन को सबसे पहले कौवे, गाय, कुत्ते और देवताओं के लिए निकालें।
- पितरों को भोजन अर्पित करने के बाद, ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।
- श्राद्ध के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और अन्य वस्तुओं का दान करें।
मातृ नवमी पर मिलता है सुहागिन महिला का आशीर्वाद
मातृ नवमी के दिन दिवंगत स्त्रियों की आत्मा को तृप्त करने के लिए किसी सुहागिन ब्राह्मण महिला को भोजन कराया जाता है और उन्हें सामर्थ्य के अनुसार दान दिया जाता है। यही नहीं उन्हें सुहाग की सामग्री भी अर्पित की जाती है। ऐसा करने से मृत सुहागिन महिलाओं को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। यही नहीं इससे आपको भी अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
