अब छप्पर फाड़ पैसों की होगी बारिश: माता लक्ष्मी के इस मंत्र और आरती से जल्द हो जाएंगे मालामाल, बस साथ करना होगा ये उपाय
सनातन मान्यता के अनुसार माता लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है, इनकी पूजा करने से मनुष्य को कभी भी किसी आर्थिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। साथ ही उसे जीवन में तरक्की के नए-नए द्वार खुल जाते है। आज हम आपको कुछ ऐसे मंत्र और पूजा विधि के बारे में बताएंगे, जिसे करने से माता लक्ष्मी की अपार कृपा आप पर बनी रहेगी। तो आइये जानते है इसके बारे में।

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Mata Laxmi Ki Aarti: आज के समय में धन और संपत्ति सबसे बड़ी जरूरत है। धन से जीवन की तमाम जरूरतें पूरी होती हैं। लक्ष्मी जी को धन-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि जिस घर में मां लक्ष्मी का वास होता है, वहां कभी गरीबी नहीं आती। इसलिए मां लक्ष्मी को खुश रखना जरूरी है। इसी लिए उनकी पूजा की जाती है।
माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। सनातन धर्म के विष्णु पुराण में बताया गया है कि वे भृगु और ख्वाती की पुत्री हैं और स्वर्ग में वास करती थीं। समुद्रमंथन के समय उनका बहुत सम्मान हुआ और वेदों में उनकी महिमा का वर्णन है। माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को पति के रूप में चुना, जिससे उनकी शक्ति और भी बढ़ गई।
माता लक्ष्मी का अभिषेक दो हाथी करते हैं और वे कमल के आसन पर बैठती हैं। कमल का फूल कोमलता का प्रतीक है, इसलिए लक्ष्मी पूजा में कमल का खास महत्व है। उनके चार हाथ होते हैं, जो दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प, मेहनत और व्यवस्था की शक्ति का संकेत देते हैं। माता लक्ष्मी अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। उनका वाहन उल्लू है, जो निर्भीकता का प्रतीक माना जाता है। दिवाली के अलावा भी लक्ष्मी पूजा करना बेहद फलदायक होता है।
माता लक्ष्मी पूजा की सामग्री
लक्ष्मी पूजा के लिए आप अपने बजट के अनुसार सामग्री जुटा सकते हैं। मां को लाल, गुलाबी या पीले रंग के रेशमी वस्त्र, कमल और गुलाब के फूल बहुत पसंद हैं। फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार और सिंघाड़ा उनके प्रिय हैं। अनाज में चावल और शुद्ध घर की बनी मिठाई, हलवा या शिरा नैवेद्य के लिए ठीक रहती है।
पूजा में दीपक जलाने के लिए गाय का घी, मूंगफली या तिल्ली का तेल इस्तेमाल करें। साथ ही रोली, कुमकुम, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, कलश, भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, धूप, कपूर, अगरबत्ती, नारियल, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, जौ, गेहूं, दुर्वा, चंदन, सिंदूर और सुगंधित इत्र भी पूजा में शामिल करें।
माता लक्ष्मी पूजा विधि
पूजा शुरू करने से पहले जल लेकर मूर्तियों को छिड़ककर पवित्र करें। फिर खुद को और पूजा की जगह को भी साफ करें। इसके लिए मंत्रों का जाप करें ताकि पूजा पूरी तरह पवित्र हो जाए। इसके बाद प्राणायाम करें, मन को एकाग्र करें और पूजा की शुरुआत स्वस्तिवाचन से करें।
पूजा में संकल्प लेना बहुत जरूरी होता है। अक्षत, पुष्प, जल और कुछ पैसे लेकर संकल्प मंत्र बोलकर पूरी निष्ठा से मन बनाएं कि आप पूजा कर रहे हैं और शास्त्र अनुसार फल प्राप्त करेंगे। संकल्प के बाद भगवान गणेश और मां गौरी की पूजा करें, फिर कलश पूजन और नवग्रह पूजा करें। उसके बाद षोडश मातृका और रक्षाबंधन का विधान करें। अंत में महालक्ष्मी की पूजा करें।
पूजा के दौरान इस मंत्र का करें जाप
धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसुः। धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरुणं धनमस्तु ते।। अश्वदायै गोदायै धनदायै महाधने। धनं मे जुषतां देवि सर्वकामांश्च देहि मे।। मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि। पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः।।
पूजा के समय साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। दीपावली पर मां लक्ष्मी की पूजा के बाद गाय के घी या तेल से 7, 11 या 21 दीपक जलाएं। पूजा के बाद महिलाएं अपने हाथ से सोने-चांदी के आभूषण मां लक्ष्मी को अर्पित करें।
अगले दिन स्नान के बाद पूजा में अर्पित आभूषण और सुहाग की वस्तुएं पूजा का प्रसाद समझकर पहनें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है और घर में खुशहाली बनी रहती है।
माता लक्ष्मी जी की आरती
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता। उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता, मैया तुम ही जग-माता। सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता, ओम जय लक्ष्मी माता। दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैया सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता, ओम जय लक्ष्मी माता। तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैया तुम ही शुभदाता। कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता, ओम जय लक्ष्मी माता। जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता, मैया सब सद्गुण आता। सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता, ओम जय लक्ष्मी माता।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैया वस्त्र न कोई पाता। खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता, ओम जय लक्ष्मी माता। शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता, मैया क्षीरोदधि-जाता। रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता, ओम जय लक्ष्मी माता। महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता, मैया जो कोई जन गाता। उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता, ओम जय लक्ष्मी माता। ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता, तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता। ऊं जय लक्ष्मी माता।
