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मार्गशीर्ष पूर्णिमा कब है जानिए इस दिन स्नान-दान का महत्व व पूजा विधि

मार्गशीर्ष पूर्णिमा कब है जानिए इस दिन स्नान-दान का महत्व व पूजा विधि
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By NPG News

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2022 : 7 और 8 दिसंबर के दिन इस साल 2022 में मार्गशीर्ष पूर्णिमा है। हर माह की शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि पूर्णिमा कहलाती है। पूर्णिमा पर ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन दान का फल अन्य पूर्णिमा व दिनों की तुलना में 32 गुना अधिक प्राप्त होता है। इसलिए इसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा आरंभ:मार्गशीर्ष पूर्णिमा 7 दिसंबर को प्रातः 08 . 01 मिनट पर शुरू होकर

मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा समापन: 08 दिसंबर 2022 को सुबह 09 .37 मिनट पर समाप्‍त होगा। यानी इस बार दो दिनों तक स्नान-दान कर पूर्णिमा का फल मिलेगा।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि

पूर्णिमा के दिन भगवान शिव और चंद्र देव की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान् सत्यनारायण की कथा का पाठ करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर के पूरे घर में सफाई के बाद गौमूत्र छिड़के। घर के बाहर रंगोली बनाएं और मुख्य द्वार पर बंदनवार लगाएं।अगर संभव हो तो पूजा के स्थान पर गाय के गोबर से लीपें और गंगाजल छिड़कें। तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं और प्रणाम कर के तुलसी पत्र तोड़ें। ताजे कच्चे दूध में गंगाजल मिलाकर भगवान विष्णु-लक्ष्मी और श्रीकृष्ण एवं शालिग्राम का अभिषेक करें। अबीर, गुलाल, अक्षत, चंदन, फूल, यज्ञोपवित, मौली और अन्य सुगंधित पूजा सामग्री के साथ भगवान की पूजा करें और तुलसी पत्र चढ़ाएं।इसके बाद सत्यनारायण भगवान की कथा कर के नैवेद्य लगाएं और आरती के बाद प्रसाद बांटें।

पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की दूध से अर्घ्य देने पर मानसिक शांति का वरदान मिलता है। चंद्र देव की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। सभी कष्ट दूर होते हैं और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। पूर्णिमा पर चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव को कच्चे दूध में मिश्री और चावल मिलाकर अर्घ्य अर्पित करें।

पूर्णिमा पर सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं अगर संभव हो तो किसी तीर्थ में नहाएं। इस दिन तामसिक चीजों जैसे लहसुन, प्याज, मांसाहार, मादक वस्तुएं और शराब से दूर रहें। दिन में न सोएं और झूठ न बोलें।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का मह्त्व

पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजन का भी खास महत्व है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी संग तुलसी पूजन अवश्य करें। साथ ही, शाम के समय तुलसी जी के पास शुद्ध घी के दीपक जलाएं।

पूर्णिमा के दिन घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक चिन्ह बनाएं। इसके साथ आम के पत्तों की तोरण बनाककर घर के मुक्य द्वार पर लगाएं। इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

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