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Mahakal Bhasma Aarti Live : उज्जैन से महाकाल लाइव : शिव-भक्ति में लीन हुए श्रद्धालु, आप भी घर बैठे करें भोलेनाथ के सुंदर स्वरुप का दर्शन

विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज, मंगलवार, 16 दिसंबर 2025 की सुबह होने वाली अलौकिक भस्म आरती आस्था और भक्ति के साथ संपन्न हुई।

Mahakal Bhasma Aarti Live : उज्जैन से महाकाल लाइव : शिव-भक्ति में लीन हुए श्रद्धालु, आप भी घर बैठे करें भोलेनाथ के सुंदर स्वरुप का दर्शन
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Mahakal Bhasma Aarti Live : उज्जैन से महाकाल लाइव : शिव-भक्ति में लीन हुए श्रद्धालु, आप भी घर बैठे करें भोलेनाथ के सुंदर स्वरुप का दर्शन

By UMA

Mahakal Bhasma Aarti Live : उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज, मंगलवार, 16 दिसंबर 2025 की सुबह होने वाली अलौकिक भस्म आरती आस्था और भक्ति के साथ संपन्न हुई। बाबा महाकाल के दर्शन के लिए तड़के 4 बजे से ही भक्तों का तांता लगा रहा।

Mahakal Bhasma Aarti Live : दिव्य श्रृंगार और प्रथम पूजा

प्रातःकाल 4 बजे मंदिर के कपाट खुलते ही, सबसे पहले भगवान महाकाल को शीतल जल से स्नान कराया गया। इसके बाद, पुजारियों ने उन्हें नवीन वस्त्र और विभिन्न प्रकार के आभूषण अर्पित किए। आज बाबा महाकाल को विशेष रूप से चंदन, सुगंधित पुष्पों और बहुमूल्य रुद्राक्ष की मालाओं से सजाया गया, जिसमें उनका रूप अत्यंत मनमोहक लग रहा था।

Mahakal Bhasma Aarti Live : महानिर्वाणी अखाड़े की परंपरा

श्रृंगार के बाद, महानिर्वाणी अखाड़े के पुजारियों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भस्म आरती की विधि शुरू की। ढोल-नगाड़ों और शंख की ध्वनि के बीच, मंत्रों का उच्चारण हुआ और बाबा महाकाल को भस्म अर्पित की गई। आरती के समय पूरा गर्भगृह और नंदी हॉल "जय महाकाल" और हर हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा। इस अद्भुत दृश्य का साक्षी बनने के लिए देश-विदेश से आए श्रद्धालु भक्ति में लीन दिखाई दिए।

भक्तों का उत्साह

सुबह की इस भस्म आरती में उपस्थित श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया और वर्ष के अंतिम माह की इस मंगलमय सुबह को सफल बनाया। मंदिर समिति ने बढ़ती भीड़ को देखते हुए दर्शन व्यवस्था को सुगम बनाए रखा, जिससे सभी भक्त शांतिपूर्वक दर्शन कर सके।

भारत की सात मोक्षदायिनी पुरियों में से एक, उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख है। यह एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहाँ शिव स्वयंभू रूप में विराजित हैं और जिसका मुख दक्षिण दिशा की ओर है। इस विशेष कारण से इसे 'दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग' कहा जाता है, जिसे तंत्र-मंत्र की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

शिव महिमा: काल के अधिपति

'महाकाल' का अर्थ है काल (समय) के भी स्वामी या अधिपति। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव यहाँ अपने संहारक स्वरूप, 'काल भैरव' के रूप में विद्यमान हैं और सृष्टि के कालचक्र का संचालन करते हैं। यह माना जाता है कि महाकाल के दर्शन मात्र से भक्तों के जन्म-मरण के भय और कष्ट दूर हो जाते हैं। शिव पुराण में इस ज्योतिर्लिंग की महिमा का विस्तार से वर्णन है, जहाँ यह बताया गया है कि महाकाल साक्षात मोक्ष प्रदान करने वाले हैं। भस्म आरती, जो यहाँ की विश्व प्रसिद्ध परंपरा है, यह दर्शाती है कि जीवन अंततः भस्म है और शिव ही अंतिम सत्य हैं।

मंदिर का गौरवशाली इतिहास

वर्तमान मंदिर का इतिहास कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना अनादि काल से है। माना जाता है कि मंदिर का निर्माण सबसे पहले राजा चंद्रसेन ने करवाया था। 1234 ईस्वी में, दिल्ली के शासक इल्तुतमिश ने इस प्राचीन मंदिर को ध्वस्त कर दिया था।

सैकड़ों वर्षों तक खंडहर में रहने के बाद, 18वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य के विस्तार के साथ ही इसका पुनरुद्धार हुआ। 1734 ईस्वी के आसपास मराठा शासक राणोजी शिंदे के दीवान रामचंद्र बाबा शेणवी ने वर्तमान भव्य मंदिर का निर्माण करवाया और दर्शन व्यवस्था को पुनः स्थापित किया। इसके बाद, इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने भी मंदिर के जीर्णोद्धार और यहाँ पूजा-पाठ की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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