Mahakal Bhasm Aarti Live : उज्जैन से लाइव : मस्तक पर चंद्र और गले में फूलों की माला, महाकाल दर्शन के लिए उमड़ा आस्था का सैलाब
Mahakal Bhasm Aarti Live : साल 2025 के आखिरी पड़ाव पर आज मंगलवार की सुबह उज्जैन के विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में आस्था का एक अनूठा संगम देखने को मिला।

Mahakal Bhasm Aarti Live : उज्जैन से लाइव : मस्तक पर चंद्र और गले में फूलों की माला, महाकाल दर्शन के लिए उमड़ा आस्था का सैलाब
Mahakal Bhasm Aarti Live Today 30 December : उज्जैन : साल 2025 के आखिरी पड़ाव पर आज मंगलवार की सुबह उज्जैन के विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में आस्था का एक अनूठा संगम देखने को मिला। कड़ाके की ठंड के बावजूद भोर में ही हजारों भक्तों की भीड़ बाबा की एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़ी। जब मंदिर के पट खुले, तो पूरा परिसर 'जय महाकाल' के जयघोष से गूंज उठा।
Mahakal Bhasm Aarti Live Today 30 December : दिव्य स्वरूप का वर्णन आज की भस्म आरती में भगवान महाकाल का स्वरूप अत्यंत मनमोहक और अलौकिक था। अभिषेक और पूजन के बाद जब बाबा का श्रृंगार किया गया, तो वे साक्षात शिवलोक के अधिपति नजर आ रहे थे। आज बाबा के मस्तक पर भांग और सूखे मेवों से अर्धचंद्र बनाया गया था, जो उनकी सौम्यता को दर्शा रहा था। उनकी त्रिनेत्र रूपी आंखें इतनी सजीव लग रही थीं, मानो वे अपने भक्तों को सीधे आशीष दे रहे हों। गले में ताजे फूलों की बड़ी माला और चांदी के आभूषणों से सजा बाबा का यह रूप हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देने वाला था।
भस्म आरती का नजारा अभिषेक के बाद महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से बाबा को भस्म अर्पित की गई। जैसे ही भस्म की राख बाबा के विग्रह पर गिरी, पूरा गर्भगृह धुएं और खुशबू से भर गया। ढोल-नगाड़ों और शंख की गूंज के बीच बाबा का यह 'अघोरी स्वरूप' भक्तों के रोंगटे खड़े कर देने वाला था। लोग इस पल को अपनी आंखों में कैद करने के लिए बेताब दिखे।
साल के अंत में आशीर्वाद की कामना चूंकि आज 30 दिसंबर है और कल साल का आखिरी दिन है, इसलिए श्रद्धालु भारी संख्या में पहुंच रहे हैं। हर कोई चाहता है कि साल 2025 की विदाई बाबा के दर्शन के साथ हो और आने वाला नया साल सुख-समृद्धि लेकर आए। मंदिर प्रशासन ने भी बढ़ती भीड़ को देखते हुए सुरक्षा और दर्शन के पुख्ता इंतजाम किए हैं।
दिनभर गूंजेंगे जयकारे: भस्म आरती के बाद इन स्वरूपों में दर्शन देंगे बाबा महाकाल
सुबह की दद्योदक और भोग आरती भस्म आरती के बाद बाबा महाकाल का विशेष पंचामृत अभिषेक किया जाता है। इसके बाद सुबह लगभग 7:30 से 8:15 बजे के बीच 'दद्योदक आरती' होती है। इस आरती की खासियत यह है कि इसमें भगवान को दही और चावल का भोग लगाया जाता है। इसके बाद सुबह 10:30 बजे 'भोग आरती' का आयोजन होता है। इस समय बाबा को गरमा-गरम शुद्ध सात्विक भोजन का भोग लगता है और उनका राजा के समान दिव्य श्रृंगार किया जाता है। कहते हैं जो इस समय बाबा के दर्शन करता है, उसके घर के भंडार हमेशा भरे रहते हैं।
शाम की संध्या आरती: जब जगमगा उठता है दरबार जैसे-जैसे सूरज ढलने लगता है, महाकाल मंदिर की रौनक और बढ़ जाती है। शाम को लगभग 5:00 से 5:45 बजे के बीच 'संध्या आरती' होती है। 30 दिसंबर की इस सुहानी शाम को जब मंदिर की झालरें और दीप जलेंगे, तो नजारा अलौकिक होगा। इस आरती में बाबा को भांग और सूखे मेवों से फिर से सजाया जाता है। भक्त इस समय बाबा के 'होल्कर स्वरूप' या 'मनमहेश स्वरूप' के दर्शन कर पाते हैं। शंख और डमरू की आवाज से पूरा शिप्रा तट गूंज उठता है।
शयन आरती: साल की विदाई की शांत बेला दिन की आखिरी आरती रात को लगभग 10:30 बजे होती है, जिसे 'शयन आरती' कहा जाता है। यह आरती बहुत ही सुकून देने वाली होती है। बाबा को सोने के लिए तैयार किया जाता है, उनके पास जल और भोग रखा जाता है। श्रद्धालु शांत भाव से बाबा की विदाई लेते हैं ताकि कल फिर नई सुबह (31 दिसंबर) को बाबा का आशीर्वाद पा सकें। इस आरती के बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। अगर आप आज उज्जैन में हैं, तो इस आरती का अनुभव आपकी आत्मा को शांति से भर देगा।
श्रद्धालुओं के लिए सुगम दर्शन की पुख्ता व्यवस्था
साल के अंतिम दिनों में उमड़ रही भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा और सुविधा के कड़े इंतजाम किए हैं। कड़ाके की ठंड को ध्यान में रखते हुए भक्तों के लिए कतारों में गर्म पानी और बैठने की समुचित व्यवस्था की गई है। 'चलायमान' दर्शन व्यवस्था के जरिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि हर श्रद्धालु को बाबा के दर्शन बिना किसी बाधा के मिल सकें। इसके अलावा, जगह-जगह एलसीडी स्क्रीन लगाई गई हैं ताकि कतार में खड़े भक्त भी बाबा की भस्म आरती और श्रृंगार का सजीव आनंद ले सकें। पार्किंग से लेकर पीने के पानी और चिकित्सा सहायता तक, हर मोर्चे पर टीम मुस्तैद है ताकि उज्जैन आने वाला हर श्रद्धालु एक अच्छी याद लेकर वापस लौटे।
महाकाल लोक: जहाँ कण-कण में बसती है शिव महिमा
महाकाल मंदिर के आंगन में बना श्री महाकाल लोक आज अपनी पूरी भव्यता के साथ भक्तों का स्वागत कर रहा है। यहाँ की दीवारों पर उकेरी गई शिव पुराण की कथाएँ और पत्थर की नक्काशीदार मूर्तियाँ साक्षात भगवान शिव की महिमा का गुणगान करती प्रतीत होती हैं। 900 मीटर से भी लंबे इस कॉरिडोर में घूमते हुए भक्त शिव के विभिन्न रूपों, जैसे—तांडव, सती प्रसंग और समुद्र मंथन की गाथाओं को करीब से महसूस कर सकते हैं। रात के समय जब रंग-बिरंगी रोशनी महाकाल लोक के कमल सरोवर और सप्तऋषि की मूर्तियों पर पड़ती है, तो ऐसा लगता है मानो पूरा ब्रह्मांड शिव भक्ति में लीन हो गया हो। यह केवल एक कॉरिडोर नहीं, बल्कि शिव के विराट स्वरूप का एक आध्यात्मिक अनुभव है जो हर आत्मा को असीम शांति प्रदान करता है।
