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Mahakal Aarti Live 14 December 2025 : उज्जैन में आस्था का सैलाब : बाबा महाकाल की दिव्य भस्म आरती का सीधा प्रसारण, घर बैठे करें दर्शन

Mahakal Aarti Live14 December 2025 : धर्मनगरी उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के दरबार में आज सुबह की भस्म आरती के दौरान आस्था का अद्भुत और मनोरम दृश्य देखने को मिला।

Mahakal Aarti Live14 December 2025 : उज्जैन में आस्था का सैलाब : बाबा महाकाल की दिव्य भस्म आरती का सीधा प्रसारण, घर बैठे करें दर्शन
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Mahakal Aarti Live14 December 2025 : उज्जैन में आस्था का सैलाब : बाबा महाकाल की दिव्य भस्म आरती का सीधा प्रसारण, घर बैठे करें दर्शन

By UMA

Mahakal Aarti Live14 December 2025 : उज्जैन, 14 दिसंबर, 2025 - धर्मनगरी उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के दरबार में आज सुबह की भस्म आरती के दौरान आस्था का अद्भुत और मनोरम दृश्य देखने को मिला। ठंड के मौसम में भी तड़के 4 बजे से ही भक्तों का सैलाब मंदिर के बाहर एकत्रित होना शुरू हो गया था।

Mahakal Aarti Live14 December 2025 : परंपरा अनुसार, सबसे पहले बाबा महाकाल को जल से स्नान कराया गया। इसके उपरांत, दूध, दही, घी, शहद, और फलों के रस से महाकाल का पंचामृत अभिषेक किया गया। आज विशेष रूप से बाबा का आकर्षक श्रृंगार किया गया, जिसमें उन्हें भस्म, भांग, चंदन, और विभिन्न प्रकार के फूलों से सजाया गया। जैसे ही मुख्य पुजारी ने भस्म आरती शुरू की, पूरा मंदिर परिसर जय महाकाल के उद्घोष से गूंज उठा।

Mahakal Aarti Live14 December 2025 : इस अलौकिक दृश्य को देखने के लिए देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालु कतारों में खड़े रहे और बाबा के चरणों में शीश नवाकर आशीर्वाद प्राप्त किया। आरती के दौरान वातावरण में व्याप्त शांति और भक्तिमय ऊर्जा ने सभी भक्तों को एक आध्यात्मिक अनुभूति प्रदान की। मंदिर प्रशासन द्वारा सुरक्षा और व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे, जिससे भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

महाकाल पूजा का महत्व

महाकाल की पूजा का हिंदू धर्म में अत्यंत अद्वितीय और सर्वोच्च महत्व है। चूंकि उज्जैन के श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को तीनों लोकों के स्वामी और काल (समय) के नियंत्रक भगवान शिव का प्रत्यक्ष स्वरूप माना जाता है, इसलिए उनकी उपासना करने से व्यक्ति मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है। मान्यता है कि जो भक्त महाकाल की शरण में आता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता। इसके अतिरिक्त, महाकाल की पूजा को सभी प्रकार के ग्रह दोषों और बाधाओं को शांत करने वाला माना जाता है, विशेषकर शनि और मंगल दोषों को। कहा जाता है कि महाकाल की भस्म आरती के दर्शन मात्र से ही सात जन्मों के पाप कट जाते हैं और भक्तों को भौतिक सुखों की प्राप्ति के साथ-साथ अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है, जिससे यह पूजा जीवन और मृत्यु दोनों के चक्र को नियंत्रित करने वाली एक शक्तिशाली आध्यात्मिक क्रिया बन जाती है।


श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास

महाकालेश्वर मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, और यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है, यानी जिसका मुख दक्षिण दिशा की ओर है। इसका यह विशेष महत्व है, क्योंकि मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज की दिशा दक्षिण है, और इसलिए महाकाल की पूजा से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।

मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन और गौरवशाली है। पुराणों, विशेषकर स्कंद पुराण के अवंती खंड में इसका विस्तृत वर्णन मिलता है, जो इसकी अति प्राचीनता को सिद्ध करता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस स्थान पर एक बार दूषण नामक राक्षस ने उत्पात मचाया था, तब भक्तों की पुकार पर भगवान शिव ने प्रकट होकर उसका संहार किया और फिर भक्तों के आग्रह पर वे इसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।

वर्तमान मंदिर का भवन विभिन्न शासकों द्वारा समय-समय पर जीर्णोद्धार और निर्माण का परिणाम है। 1234 ईस्वी में, दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने इस प्राचीन मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। इसके बाद, लगभग 500 वर्षों तक यह स्थल वीरान रहा। 18वीं शताब्दी में, मराठा साम्राज्य के शासन के दौरान, विशेष रूप से राणोजी शिंदे और बाद के शिंदे शासकों ने, वर्तमान मंदिर का भव्य रूप से पुनर्निर्माण करवाया। आज जो अद्भुत संरचना हम देखते हैं, वह मुख्य रूप से मराठा वास्तुकला की शानदार मिसाल है, जिसने मंदिर के खोए हुए गौरव को वापस दिलाया। इस प्रकार, महाकाल का यह दरबार हजारों वर्षों से हिंदुओं की आस्था का एक केंद्रीय और अटूट स्तंभ बना हुआ है।

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