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Maa Skandma : देश भर में माँ स्कंदमाता का आशीर्वाद, जानिए कहाँ-कहाँ विराजी है माँ

Maa Skandma : देश के कई राज्यों में मां स्कंदमाता को समर्पित भव्य और प्राचीन मंदिर स्थापित है.

Maa Skandma : देश भर में माँ स्कंदमाता का आशीर्वाद, जानिए कहाँ-कहाँ विराजी है माँ
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By Meenu Tiwari

maa skandmata mandir : नवरात्रि का पांचवां दिन माँ स्कंदमाता का दिन होता है. माँ स्कंदमाता को मोक्ष प्रदान करने वाली और समस्त इच्छाओं की पूर्ति करने वाली देवी माना जाता है। देश के कई राज्यों में मां स्कंदमाता को समर्पित भव्य और प्राचीन मंदिर स्थापित हैं, जिनका ऐतिहासिक, पौराणिक और धार्मिक महत्व है। आइये फिर जानें माँ स्कंदमाता के मंदिरों और उनकी महिमा के बारे में.

वाराणसी में मां स्कंदमाता का मंदिर




उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जगतपुरा क्षेत्र स्थित बागेश्वरी देवी मंदिर परिसर में मां स्कंदमाता का मंदिर है। इसका उल्लेख काशी खंड और देवी पुराण में मिलता है। मान्यता है कि प्राचीन समय में देवासुर नामक राक्षस ने काशी में संतों और आम लोगों पर अत्याचार करना शुरू किया था, तब मां स्कंदमाता ने उस दानव का वध कर धर्म की रक्षा की। उसी समय से यहां माता की पूजा होती है। कहा जाता है कि माता यहां विराजमान होकर काशी की रक्षा करती हैं और अपने भक्तों को हर बुरी शक्ति से बचाती हैं।


वडोदरा शहर में स्कंदमाता मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में




गुजरात के वडोदरा शहर में स्थित स्कंदमाता मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में हुआ था। यह मंदिर अपनी भव्य वास्तुकला और उत्कृष्ट मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि नवरात्रि में यहां स्कंदमाता का दर्शन करने से भक्तों पर माता की कृपा बनी रहती है और उनके घर में खुशहाली आती है।


हिमाचल प्रदेश : चंबा जिले में 8वीं शताब्दी में निर्मित स्कंदमाता मंदिर




हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में 8वीं शताब्दी में निर्मित स्कंदमाता मंदिर अपनी अनूठी काष्ठ कला के लिए प्रसिद्ध है। लकड़ी की नक्काशी और मंदिर की संरचना देखने योग्य है। मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से जीवन की सारी परेशानियों से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख-शांति आती है।

उत्तराखंड : अल्मोड़ा जिले में स्थित स्कंदमाता मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में




उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित स्कंदमाता मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में हुआ था। यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां दर्शन करने से बुद्धि का विकास होता है। छात्र-छात्राएं यदि यहां विधि-विधान से पूजा करें तो उन्हें पढ़ाई में सफलता मिलती है।

मध्य प्रदेश : ग्वालियर शहर में 18वीं शताब्दी में निर्मित स्कंदमाता मंदिर




मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में 18वीं शताब्दी में निर्मित स्कंदमाता मंदिर अपनी भव्यता और दिव्यता के लिए जाना जाता है। नवरात्रि के समय यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। कहा जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। इसी तरह, विदिशा में पुराने बस स्टैंड के पास सांकल कुएं के निकट स्कंदमाता मंदिर 1998 में स्थापित किया गया। इससे पहले यहां दशकों तक झांकी सजाई जाती थी। भक्तों की आस्था और मां की ज्योति के कारण मंदिर का निर्माण हुआ। पंचमी के दिन यहां विशेष आरती का आयोजन होता है।

तमिलनाडु : मदुरै स्थित स्कंदमाता मंदिर 7वीं शताब्दी का




दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में मदुरै स्थित स्कंदमाता मंदिर 7वीं शताब्दी का है। यह मंदिर अपनी भव्यता और धार्मिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है। यहां हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है। मान्यता है कि विधिवत पूजा करने से भक्तों को जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है और माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


तारकासुर का आतंक बढ़ने लगा तब मां पार्वती ने स्कंदमाता का रूप धारण किया


मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. मां स्कंदमाता अपने चार भुजाएं हैं. दाहिनी ऊपरी भुजा में भगवान स्कंद गोद में बैठे होते हैं. दाहिनी निचली भुजा में मां के हाथ में कमल होता है. इस रूप में माता बहुत ही मोहक और प्यारी लगती हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, स्कंदमाता की उत्पत्ति तारकासुर के वध के लिए हुआ था. दरअसल तारकासुर नामक राक्षस को ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु केवल शिव जी के संतान के हाथों ही संभव है. जब तारकासुर का आतंक बढ़ने लगा तब मां पार्वती ने स्कंदमाता का रूप धारण किया और अपने पुत्र स्कंद यानी कार्तिकेय को युद्ध के लिए तैयार करने लगी. स्कंदमाता से युद्ध की शिक्षा प्राप्त करने के बाद कार्तिकेय ने तारकासुर का संहार कर दिया.


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