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Maa Kalratri : वाराणसी में यहाँ है मां कालरात्रि का प्रसिद्ध मंदिर, भगवान शिव से जुडी है इनकी कहानी

Maa Kalratri : एक बार भगवान शंकर ने माता पार्वती से मजाक करते हुए कहा कि देवी आप सांवली लग रही हैं और इस पर माता नाराज होकर काशी के इसी प्रांगण में चली आईं और सैकड़ों वर्षों तक कठोर तपस्या की।

Maa Kalratri : वाराणसी में यहाँ है मां कालरात्रि का प्रसिद्ध मंदिर, भगवान शिव से जुडी है इनकी कहानी
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By Meenu Tiwari

maa kalratri mandir, : शारदीय नवरात्र का आज सातवां दिन है. आज माँ दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा-आराधना की जाती है. मां कालरात्रि काजल के स्वरूप वाली हैं. उनके यह स्वरूप बेहद ही दयालु है. मां कई प्रकार के आयुध से विराजमान रहती हैं. आज हम माँ कालरात्रि के दिवस पर माँ के भारत में एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ मां के दर्शन-पूजन कर अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है. यहां दर्शन मात्र से बुरी शक्तियों का साया टल जाता है.

हम बात कर रहे हैं शिव की नगरी काशी का यह अद्भुत और इकलौते मंदिर की, जहां भगवान शंकर से नाराज होकर माता पार्वती ने सैकड़ों वर्षों तक कठोर तपस्या की थी.


माता कालरात्रि मंदिर कहां है ?


देश में माता कालरात्रि का मंदिर आपको देश के कई मंदिरों और स्थानों पर मिल जाएगा। लेकिन वाराणसी में मीरघाट के समीप कालिका गली में स्थित मां का मंदिर काफी प्रसिद्ध माना जाता है। कहा जाता है माता के मंदिर जो भी भक्त शीष झुकाता है और उनसे जो भी कुछ मांगता है, मां उसे जरूर पूरा करती हैं। चार भुजाओं वाली माता का स्वरूप दिखने में जितना विकराल लगता है, असल में उतना है नहीं। माता काफी सौम्य स्वभाव की है और उनके दर्शन मात्र से ही सभी नकारात्मक शक्तियां दूर चली जाती है।


माता कालरात्रि मंदिर की कथा


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार भगवान शंकर ने माता पार्वती से मजाक करते हुए कहा कि देवी आप सांवली लग रही हैं और इस पर माता नाराज होकर काशी के इसी प्रांगण में चली आईं और सैकड़ों वर्षों तक कठोर तपस्या की। इसके बाद फिर माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ इस पवित्र स्थान पर आकर माता से बोले कि चलिए देवी आप गोरी हो गई और माता को साथ कैलाश ले गए थे।




मंदिर में प्रवेश करने का समय

भक्तों के दर्शन करने के लिए माता का मंदिर सुबह 06:00 बजे के रात के 10:00 बजे तक खुला रहता है। वहीं, दोपहर 12:00 बजे से शाम 04:00 बजे तक परिसर बंद रहता है। लेकिन नवरात्रि के दिनों में मंदिर को सुबह 04:30 या 05:00 बजे तक खोल दिया जाता है और दिनभर खुला रहता है।

माता कालरात्रि मंदिर कैसे पहुंचें

नजदीकी एयरपोर्ट - वाराणसी एयरपोर्ट (30 किमी.)

नजदीकी रेलवे स्टेशन - वाराणसी कैंट जंक्शन (9 किमी.) या बनारस रेलवे स्टेशन (8 किमी.)

नजदीकी बस स्टेशन - वाराणसी कैंट (9 किमी.)


मां कालरात्रि पूजा का महत्व




शारदीय नवरात्रि की महासप्तमी पर मां कालरात्रि पूजा करने से भक्त को भयमुक्त जीवन और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है. माता के आशीर्वाद से तांत्रिक बाधा, जादू-टोना, भूत-प्रेत या अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है. मां कालरात्रि को ही काली, शुभंकरी और भयहरणी भी कहा जाता है. मां कालरात्रि कृष्णवर्णा (गहरे श्याम रंग) हैं. माता की चार भुजाएं हैं, मां के एक हाथ में खड्ग (तलवार), दूसरे में वज्र या आयुध और दो हाथ अभय और वरद मुद्रा में हैं. माता का वाहन गर्दभ (गधा) है और बाल बिखरे हुए, गले में विद्युत् जैसी ज्योति, शरीर पर तेल का लेप, और गले में माला है.


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