Begin typing your search above and press return to search.

Maa Chandraghanta : तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने का विधान, दुर्गा मां ने असुरों का संहार करने लिया था मां चंद्रघंटा का रूप

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. दुर्गा मां ने असुरों का संहार करने के लिए चंद्रघंटा का रूप धारण किया था.

Maa Chandraghanta  : तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने का विधान, दुर्गा मां ने असुरों का संहार करने लिया था मां चंद्रघंटा का रूप
X
By Meenu

नवरात्रि के 9 दिन दुर्गा माता के 9 स्वरूपों की पूजा करने का विधान है. नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तृतीय स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा करने का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रघंटा मां की पूजा करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और बुद्धि और ज्ञान की बढ़ोतरी होती है.

दुर्गा मां ने असुरों का संहार करने के लिए चंद्रघंटा का रूप धारण किया था. जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा विधि और प्रचलित कथा माता चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) को कल्याणकारी और शांतिदायक का रूप मानते हैं. माता के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्रमा चिन्हित है. यही कारण है कि मां को चंद्रघंटा कहते हैं.



मां चंद्रघंटा की पूजा करने से ना केवल रोगों से मुक्ति मिल सकती है बल्कि मां प्रसन्न होकर सभी कष्टों को हर लेती हैं. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि मां चंद्रघंटा की व्रत कथा क्या है. साथ ही पूजा विधि के बारे में भी पढ़ेंगे.

मां चंद्रघंटा की पूजा विधि

पूजा शुरू करने से पहले माता को केसर और केवड़ा जल से स्नान कराना जरूरी है. उसके बाद सुनहरे रंग के वस्त्र पहना कर कमल, लाल फूल और पीले गुलाब के फूल अर्पण करें. साथ ही माला भी चढ़ाएं. आप पंचामृत, मिश्री और मिठाई आदि से भोग लगाकर उनके मंत्रों का जाप करें.


मां चंद्रघंटा का आराधना मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

मां चंद्रघंटा का प्रिय भोग

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां चंद्रघंटा को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाई का भोग प्रिय होता है. इसके अलावा आप पंचामृत, मिश्री का भी भोग लगा सकते हैं. मां को भोग लगाने के बाद दूध का दान भी किया जा सकता है और ब्राह्मण को भोजन करवा कर दक्षिणा दान में दें। माता चंद्रघंटा को शहद का भोग भी लगाया जाता है।

माता चंद्रघंटा की कथा

माता दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का अवतार तब लिया था जब दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा था. उस समय महिषासुर का भयंकर युद्ध देवताओं से चल रहा था. महिषासुर देवराज इंद्र का सिंहासन प्राप्त करना चाहता था. वह स्वर्ग लोक पर राज करने की इच्छा पूरी करने के लिए यह युद्ध कर रहा था. जब देवताओं को उसकी इस इच्छा का पता चला तो वे परेशान हो गए और भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सामने पहुंचे. ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने देवताओं की बात सुन क्रोध प्रकट किया और क्रोध आने पर उन तीनों के मुख से ऊर्जा निकली. उस ऊर्जा से एक देवी अवतरित हुईं. उस देवी को भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज और तलवार और सिंह प्रदान किया. इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर तका वध कर देवताओं की रक्षा की.

ज्योतिषाचार्य पंडित दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार माँ चंद्रघंटा की विशेष आराधना ऐसे करें :-

ध्यान मंत्र : प्रिण्डज प्रवरारूढा चंडको पास्त्र कैर्युता।

प्रसादं तन्युते मह्यम चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

भोग : गौ दुग्ध के बने पदार्थों का भोग

वस्त्र : लाल रंग के वस्त्र पहने|

माँ सम्पूर्ण कष्ट निवारण, बाधा निवारण करती है l

दक्षिण दिशा की होगी शांति : अपने घर के दक्षिणी किनारे पर 'क्लूं वाराही देव्यै क्लूं ' मंत्र का जाप कर एक ताँबे का सिक्का रख दें| हनुमान चालीसा का पाठ करना न भूलें| आर्थिक हानि से मिलेगी मुक्ति|





Next Story