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Lohri 2024: लोहड़ी कब और क्यों मनाई जाती है, जानते हैं इस त्योहार का महत्व

Lohri-2024 kab manai jati haयह त्योहार हर साल मकर संक्रांति से पहले मनाया जाता है। पंजाब में ये त्‍योहार काफी महत्‍वपूर्ण है। काफी दिन पहले से लोग इसे मनाने की तैयारी शुरु कर देते हैं

Lohri 2024: लोहड़ी कब और क्यों मनाई जाती है, जानते हैं इस त्योहार का महत्व
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By Shanti Suman

lohri-2024 kab manai jati hai हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी मनाने की परंपरा है। इस साल सूर्यदेव दिनांक 15 जनवरी को सुबह 02 बजकर 43 मिनट पर धनु राशि (धनु राशि उपाय) से निकलकर मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इसलिए इसी दिन मकर संक्रांति मनाई जाएगी।

उत्तर भारत के त्योहारों में लोहड़ी खास हैं। इस पर्व को पंजाब(Punjab), हरियाणा (Haryana), हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में लोग मनाते हैं। लोहड़ी का पर्व जनवरी माह के दूसरे सप्ताह पोष महीने में मनाया जाता है। हालांकि बाकी त्यौहारों जैसे दीपावली (Deepawali) , बैसाखी, होलीकी तरह इस त्यौहार का कोई धार्मिक महत्व तो नहीं हैं पर अनेक मान्यताएं जुड़ी होने के कारण लोहड़ी का त्योहार पंजाबी संस्कृति का अभिन्न अंग बन गया हैं।

बसंत ऋतु के आगमन, कड़ाके की ठंड से बचने और भाईचारे की सांझ का मेल हैं लोहड़ी का त्यौहार। पहले लोग घर में लड़का होने या लड़के की शादी होने पर इस पर्व को दिलचस्पी से मनाते थे।

लोहड़ी क्यों कहते है

लोहड़ी शब्‍द में ल का मतलब लकड़ी, ओह से गोहा यानी जलते हुए सूखे उपले और ड़ी का मतलब रेवड़ी से होता है। इसलिए इस पर्व को लोहड़ी कहा जाता है। लोहड़ी के बाद मौसम में परिवर्तन होना शुरू हो जाता है और ठंड का असर धीरे-धीरे कम होने लगता है ठंड की इस रात को परिवार व दोस्तों के साथ सेलिब्रेट किया जाता हैं।

सबसे पहले आपको बताते हैं कि क्‍यों इस पर्व को लोहड़ी कहा जाता है, दरअसल ये फसल और मौसम से जुड़ा पर्व है। इस मौसम में पंजाब में किसानों के खेत लहलहाने लगते हैं। रबी की फसल कटकर आती है ऐसे में नई फसल की खुशी और अगली बुवाई की तैयारी से पहले इस त्योहार को धूमधाम मनाया जाता है।

लोहड़ी का शुभ मुहूर्त

प्रदोष काल में लोहड़ी का शुभ मुहूर्त - शाम 05 बजकर 34 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।

शुभ मुहूर्त की अवधि - 2 घंटे 38 मिनट की होगी।

संक्राति क्षण - शाम 07 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।

कैसे मनाते हैं लोहड़ी त्यौहार को

लोहड़ी के दिन चार से लेकर दस बच्चों तक के समूह में बच्चे टोलियाँ बना कर लोगो के घरो में जाकर सुंदर मुंद्रीय टेरा कौन विचारा दुल्ला भट्टी वाला “दे माई लोहड़ी जीवे तेरी जोड़ी खोल माई कुंडा जीवे तेरा मुंडा” जैसे लोक गीत गाते हुए लोहड़ी मांगते हैं और लोग भी इन बच्चों को मूंगफली, रेवड़ियाँ, तिल या रुपये देकर ख़ुशी महसूस करते हैं। लोहड़ी को ढोल की ठाप पर नाचते गाते हुए और रात को अग्नि को सेंकते हुए मनाया जाता है। रात को अग्नि सेंकते हुए उसमे मूंगफली, रेवड़ियाँ, तिल को फेंका जाता है इस प्रक्रिया को लोग शगुन भी कहते हैं। पंजाब में लोहड़ी का त्यौहार एक संस्कृति का प्रतीक है इसे पंजाबी बड़ी श्रद्धा व उत्साह के साथ अपने परिवार के लोगों व दोस्तों के बीच मनाते हैं।

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