Krishna Janmashtami 2025: जहां जन्माष्टमी मनाना चाहते हैं कृष्ण भक्त, जाने कौन सी है वो जगहें
Krishna Janmashtami 2025: देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है. आधी रात को जैसे ही श्रीकृष्ण के जन्म का समय हुआ, मंदिरों में घंटे और जय श्री कृष्ण की गूंज और ‘जय कन्हैया लाल की’ के नारों से आसमान गूंज उठता है. इस मौके पर पूरे भारत में मंदिरों को सजाया जाता है, भजन-कीर्तन से वातावरण भक्तिमय बना रहाता है और श्रद्धालु बालकृष्ण के दर्शन के लिए उमड़ पड़ते है. भारत में कुछ खास ऐसी जगहें हैं जहां पर जन्माष्टमी के अवसर भक्तों को अलग ही आनंद की अनुभूति होती है. आइए जानते हैं.

Krishna Janmashtami 2025: देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है. आधी रात को जैसे ही श्रीकृष्ण के जन्म का समय हुआ, मंदिरों में घंटे और जय श्री कृष्ण की गूंज और ‘जय कन्हैया लाल की’ के नारों से आसमान गूंज उठता है. इस मौके पर पूरे भारत में मंदिरों को सजाया जाता है, भजन-कीर्तन से वातावरण भक्तिमय बना रहाता है और श्रद्धालु बालकृष्ण के दर्शन के लिए उमड़ पड़ते है. भारत में कुछ खास ऐसी जगहें हैं जहां पर जन्माष्टमी के अवसर भक्तों को अलग ही आनंद की अनुभूति होती है. आइए जानते हैं.
श्री द्वारकाधीश मंदिर, गुजरात
द्वारका में स्थित यह मंदिर श्रीकृष्ण की कर्मभूमि मानी जाती है. समुद्र किनारे स्थित इस मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालु कतारों में लगे नजर आते हैं. मंदिर को फूलों, झालरों और दीपों से सजाया जाता है.
कृष्ण जन्मभूमि परिसर, मथुरा
मथुरा में सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बीच हजारों लोग श्रीकृष्ण जन्मस्थान पहुंचे. कारागार के गर्भगृह को आकर्षक रूप में सजाया गया और ठीक रात 12 बजे बालकृष्ण की आरती हुई.
बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन
यहां की खासियत है कि भगवान के दर्शन कुछ समय के लिए ही कराए जाते हैं और बार-बार पर्दा डाला जाता है. जन्माष्टमी के दिन मंदिर परिसर में रासलीला, फूल बंगला और संकीर्तन का आयोजन होता है.
प्रेम मंदिर, वृंदावन
संगमरमर से बना यह भव्य मंदिर रात के समय रंगीन लाइट्स से रोशन होता है. मंदिर की दीवारों पर श्रीकृष्ण-राधा की लीलाओं को उकेरा गया है. हर साल यहां जन्माष्टमी में यहां लाखों की भीड़ उमड़ती है.
इस्कॉन मंदिर, वृंदावन
दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर से लेकर वृंदावन तक इस्कॉन के मंदिरों में जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है. विदेशी भक्तों की बड़ी संख्या में भाग लेते हैं , और दिनभर हरे रामा-हरे कृष्णा की धुन गूंजती रहती है.
जगन्नाथ मंदिर, पुरी
पुरी में भगवान जगन्नाथ के रूप में कृष्ण की पूजा होती है. जन्माष्टमी पर पारंपरिक ओड़िया शैली में पूजा की जाती है. भक्त रातभर कीर्तन में हिस्सा लेते हैं.
यहां श्रीकृष्ण को बालक के रूप में पूजा जाता है. केरल की पारंपरिक वेशभूषा में सजे श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं और विशेष पूजन समारोह का हिस्सा बनता है.
उडुपी कृष्ण मंदिर, कर्नाटक
यह मंदिर ‘कनकना खिड़की’ नामक एक छोटी जालीदार खिड़की से दर्शन के लिए प्रसिद्ध है. जन्माष्टमी पर खास कढ़ी-चावल प्रसाद और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
कांकरोली मंदिर, राजस्थान
राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित यह मंदिर वल्लभाचार्य परंपरा से जुड़ा है. जन्माष्टमी के दिन गोस्वामी परंपरा के अनुसार बाल गोपाल की झांकी सजाई गई.
गीता मंदिर, मथुरा
इस मंदिर की दीवारों पर पूरी भगवद्गीता श्लोकों के रूप में उकेरी गई है. यहां जन्माष्टमी पर गीता पाठ, प्रवचन और ध्यान शिविरों का आयोजन होता है.
भीड़ को देखते हुए सभी बड़े मंदिरों में पुलिस और वालंटियरों की विशेष व्यवस्था की जाती है. कई मंदिरों ने दर्शन के लिए ऑनलाइन बुकिंग और लाइव स्ट्रीमिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई.
