Karva Chauth 2025 : छल से शुरू हुई छलनी से चाँद देखने की परम्परा, जानिए क्या है रहस्य
Karva Chauth 2025 : करवा चौथ पर चंद्र देवता की पूजा करते समय सुहागिन महिलाओं द्वारा छलनी से चांद देखने को लेकर एक धार्मिक कथा जुड़ी हुई है.

akhir kyon dekha jata hai chalani se chand aur sajan ji ko : आज करवा चौथ है. आज शाम की चन्द्रमा और करवा माता की पूजा के दौरान चंद्र देव और पति देव को छलनी से देखने की परम्परा है. पर क्या आपको पता है ये परम्परा क्यों बनाई गई है. आखिर इसके पीछे क्या रहस्य है. तो चलिए फिर जानते हैं. क्या है इसके पीछे की कहानी.
करवा चौथ पर चंद्र देवता की पूजा करते समय सुहागिन महिलाओं द्वारा छलनी से चांद देखने को लेकर एक धार्मिक कथा जुड़ी हुई है. हिंदू मान्यता के अनुसार एक समय वीरवती नाम की पतिव्रता महिला ने करवा चौथ का निर्जल व्रत रखा. शाम होते-होते जब वह भूख-प्यास से व्याकुल होने लगी तो उसके भाईयों ने चंद्रोदय से पहले ही एक पेड़ की ओट में छलनी लगाकर उसके पीछे आग जला दी और अपने बहन के पास जाकर बोले कि 'देखो चंद्रमा निकल आया है. अब तुम अर्घ्य देकर अपना व्रत पूरा कर सकती हो. इसके बाद वीरवती ने उस झूठे चांद को देखकर अपना व्रत खोल लिया.
जिसके कारण उसका व्रत खंडित हो गया और उस दोष के चलते उसके पति की मृत्यु हो गई, लेकिन वीरवती को अपने व्रत और तप पर पूरा विश्वास था, जिसके कारण उसने अपने मृत पति को सुरक्षित रखा और अगले साल एक बार फिर विधि-विधान से करवा चौथ व्रत को पूरा किया. मान्यता है कि उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर चौथा माता ने उसके पति को दोबारा जीवित कर दिया. तब से लेकर आज तक करवा चौथ पर छलनी से चांद को देखने की परंपरा चली आ रही है. हालांकि इसके पीछे मान्यता ये भी है कि छलनी से चांद देखने पर जितने प्रतिबिंब बनते हैं, उतनी आयु पति की बढ़ जाती है.
चंद्रमा ने उड़ाया था भगवान गणेश का मजाक
वहीं दूसरी ओर एक कथा ये भी है कि एक बार गणेश भगवान मूस की सवारी कर रहे थे कि अचानक वो मूस से नीचे गिर पड़े। जिस पर चंद्रमा को काफी तेज हंसी आ गई इस पर गणपति जी को गुस्सा आ गया। वो बोले कि मूर्ख तू किसी के चोट पर हंसता है ना, तुझे खुद पर बड़ा अभिमान है तो जा मैं तुझे श्राप देता हूं आज के बाद तू घटता-बढ़ता रहेगा और जो कोई तुझे देखेगा ना उसे कलंक लगेगा इसलिए तेरा अब तिरस्कार होगा। जिस पर चंद्रमा घबरा गए, उन्होंने तुरंत माफी मांगी। चंद्रमा ने गणेश भगवान से कहा कि मुझे श्राप मुक्त कर दें लेकिन गणेश जी का गुस्सा शांत नहीं हुआ, ऐसे में चंद्रमा नारद मुनि के पास पहुंचे और अपनी बात कह सुनाए। इस पर नारद मुनि ने चंद्रमा को गणेश जी की उपासना करने को कहा, चंद्रमा ने ठीक वैसे ही किया, जिस पर गणेश भगवान प्रसन्न हुए और उनके सामने प्रकट हुए, चंद्रमा ने गणेश भगवान से कहा कि मुझे श्राप मुक्त कर दें। तुम्हारी परछाई की पूजा से किसी को कलंक नहीं लगेगा (Karwa Chauth Vrat 2025) इस पर भगवान गणेश ने कहा कि 'मैं अपने शब्द तो वापस नहीं ले सकता हूं लेकिन अब तुम महीने में एक दिन पूरे आकार में होगे उस दिन पूर्णिमा होगी, तुम बहुत सुंदर होगे। उस दिन तुम पूजे जाओगे लेकिन जो कोई भी तुम्हारी छलनी से पूजा करेगा या तुम्हारी परछाई को देखेगा, उसे कलंक नहीं लगेगा बल्कि उसके यश में वृद्धि होगी।' तब से ही चांद को छलनी से निहारा जाने लगा।
