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Kamada Ekadashi : कामदा एकादशी व्रत 19 अप्रैल को, सभी प्रकार के दोष हो जाते हैं नष्ट, भगवान विष्णु को लगायें पंचामृत, पीली मिठाई-फल व खीर का भोग

कामदा एकादशी व्रत के दिन रवि योग, वृद्धि योग और ध्रुव योग बन रहे हैं. रवि योग में कामदा एकादशी व्रत की पूजा करना ठीक रहेगा. इस योग में सभी प्रकार के दोष नष्ट हो जाते हैं और उस समय मघा नक्षत्र होगा.

Kamada Ekadashi : कामदा एकादशी व्रत 19 अप्रैल को,  सभी प्रकार के दोष हो जाते हैं  नष्ट, भगवान विष्णु को लगायें पंचामृत, पीली मिठाई-फल व खीर का भोग
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By Meenu

इस साल कामदा एकादशी का व्रत 19 अप्रैल दिन शुक्रवार को रखा जाएगा. कामदा एकादशी व्रत के दिन रवि योग, वृद्धि योग और ध्रुव योग बन रहे हैं. रवि योग में कामदा एकादशी व्रत की पूजा करना ठीक रहेगा. इस योग में सभी प्रकार के दोष नष्ट हो जाते हैं और उस समय मघा नक्षत्र होगा.

जो लोग कामदा एकादशी का व्रत रखेंगे, वे भगवान विष्णु की पूजा के समय कामदा एकादशी व्रत कथा जरूर पढ़ें. इससे आपको व्रत का महत्व पता चलेगा और इसका पूर्ण फल भी प्राप्त होगा.



कामदा एकादशी 2024 मुहूर्त और पारण

  • चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभ : 18 अप्रैल, गुरुवार, 05:31 पीएम से
  • चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि का समापन : 19 अप्रैल, शुक्रवार, 08:04 पीएम पर
  • दिन का शुभ मुहूर्त : 11:54 एएम से 12:46 पीएम तक
  • रवि योग : 05:51 एएम से 10:57 एएम तक
  • वृद्धि योग : प्रात:काल से देर रात 01:45 एएम तक, फिर ध्रुव योग
  • मघा नक्षत्र : प्रात:काल से 10:57 एएम तक, फिर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र
  • कामदा एकादशी व्रत पारण समय : 20 अप्रैल, 05:50 एएम से 08:26 एएम के बीच

कामदा एकादशी की व्रत कथा

एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से चैत्र शुक्ल एकादशी की महिमा बताने का निवेदन किया. तब भगवान श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि चैत्र शुक्ल एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जानते हैं. एक बार राजा दिलीप ने वशिष्ठ ऋषि से भी यही सवाल किया था, तो उन्होंने जो बताया, वही आप से कहता हूं.

भोगीपुर में पुंडरीक नाम का राजा राज करता था. उस नगर में गंधर्व, अप्सराएं और किन्नर रहते थे. उस राज्य में ललित और ललिता नाम के स्त्री और पुरुष रहते थे. एक बार पुंडरीक की सभा में ललित गंधर्वों के साथ गान कर रहा था. तभी उसका ध्यान ललिता पर चला गया और उसका स्वर बिगड़ गया. गान भी खराब हो गया.

तब पुंडरीक ने उस पर नाराज हो गया. उसने ललित को राक्षस बनकर अपराध का फल भोगने का श्राप दे दिया. उसके प्रभाव से ललित विशाल राक्षस बन गया और कष्ट भोगने लगा. इस बारे मे ललिता को पता चला. तो वह दुखी हो गई और एक दिन श्रृंगी ऋषि के आश्रम में गई और अपनी व्यथा उनसे कही.

तब श्रृंगी ऋषि ने कहा कि तुम परेशान न हो. चैत्र शुक्ल की एकादशी आने वाली है. कामदा एकादशी का व्रत रखकर उसका पुण्य अपने पति ललित को दे दो. इससे वह राक्षस योनि से मुक्त हो जाएगा और राजा का श्राप भी प्रभावहीन हो जाएगा.

ऋषि के सुझाव पर ललिता ने कामदा एकादशी का व्रत रखा और विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की. द्वादशी के दिन उसने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि इस व्रत का पुण्य उसके पति को प्राप्त हो जाए और व​ह राक्षस योनि से मुक्त हो जाए. भगवान विष्णु की कृपा से ललित राक्षस योनि से मुक्त हो गया.व​शिष्ठ मुनि ने राजा दिलीप से कहा कि जो भी इस व्रत को करता है, वह पाप मुक्त हो जाता है. इस व्रत कथा को सुनने और पढ़ने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है.

भगवान विष्णु को लगायें ये भोग

  • भगवान विष्णु को केले का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि भगवान विष्णु को केला चढ़ाने से आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। साथ ही कुंडली से गुरु दोष खत्म हो जाता है।
  • केले का भोग लगाने के अलावा भगवान विष्णु को पंचामृत का भोग भी लगाया जाता है। इस पंचामृत में तुलसी के पत्तों को जरूर शामिल करें। तुलसी के पत्तों वाला पंचामृत बहुत ही शुभ माना जाता है।
  • भगवान विष्णु को पीले रंग की चीजें बहुत प्रिय होती हैं, इसलिए आप पीले रंग की केसरयुक्त कोई भी मिठाई भगवान विष्णु को चढ़ा सकते हैं।
  • भगवान विष्णु को खीर का भोग भी लगाया जाता है। खीर बनाते समय इसमें केसर जरूर डालें। इससे भोग की महत्ता बढ़ जाती है।
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