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Kajari Teej 2024 In Raipur : इस समाज की महिलायें तीज में नहीं जाती मायके... ससुराल में मनती है तीज

Kajari Teej 2024 In Raipur : कजरी तीज में माहेश्वरी समाज की सुहागिन महिलाएं सिर्फ शादी के पहले साल ही मायके जाती हैं. तीज के दिन पति पूजा के लिए ससुराल पहुँचता है. कजरी तीज के दिन महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हैं. झूला झूलती हैं और भगवान शिव, माता पार्वती की पूजा करती हैं. इस दिन नीमड़ी माता की पूजा का भी विधान है.

By Meenu

Kajari Teej 2024: आज कजरी तीज है. छत्तीसगढ़ में निवासरत माहेश्वरी समाज की महिलाएं कजरी तीज का उत्सव और व्रत धूमधाम से कर रही हैं. कजरी तीज उत्तर भारत में मनाए जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है. इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए निर्जला उपवास करती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति की कामना के लिए व्रत रखती हैं. कजरी तीज के दिन महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हैं. झूला झूलती हैं और भगवान शिव, माता पार्वती की पूजा करती हैं. इस दिन नीमड़ी माता की पूजा का भी विधान है.

कजरी तीज में माहेश्वरी समाज की सुहागिन महिलाएं सिर्फ शादी के पहले साल ही मायके जाती हैं. तीज के दिन पति पूजा के लिए ससुराल पहुँचता है. उसके बाद के साल से महिलाएं कजरी तीज का पर्व ससुराल में ही पति के साथ मनाती हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में शादी होने के बाद से लेकर हर साल तीज मायके में ही मनाई जाती है और यह परम्परा बुढ़ापे तक चलती है. छत्तीसगढ़ में तीज के लिए भाई या मायके का कोई सदस्य ससुराल लिवाने आता है.


सिंजारा का बहुत महत्व



माहेश्वरी समाज की अर्चना राठी के अनुसार कजरी तीज व्रत और पर्व में सिंजारा का बहुत महत्त्व होता है. सिंजारा में घर की बुजुर्ग महिलाएं बहु बेटियो के लिए प्रेम से भरे उपहार जैसे खाने की चीजे, गहनें, कपडे और सुहाग का सामान भेजती हैं. कजरी तीज के पहले दिन यानी की बीता कल सिंजारा किया गया. सिंजारा में मायके से खाने का सामान और सुहाग सामान, कपडा बेटियों बहुओं के लिए आता है. परिवार की बड़ी-बुजुर्ग महिलाएं उपवास के पहली रात सुहागिनों को एक से बढ़कर एक व्यंजन खिलाती है और कजरी तीज की पहली रात मेहँदी लगाना मुख्य होता है. उसके बाद दूसरे दिन कजरी तीज के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है फिर शाम को पूजा करने के बाद सत्तू की मिठाई से व्रत तोडा जाता है.






स्नान और व्रत का संकल्प

माहेश्वरी समाज की अर्चना राठी ने बताया की आज कजरी तीज का व्रत रखा जा रहा है. कजरी तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:50 से सुबह 7:30 के बीच था. हमने सुबह जल्दी उठकर स्नान कर और स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लिया है. संकल्प लेने के बाद मन ही मन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने के बाद आज हम महिलाऐं पूरा दिन व्रत रखेंगी फिर शाम को पूजन करेंगी.

शिव-पार्वती की पूजन विधि

कजरी तीज पर पूजा के लिए साफ-सुथरा स्थान चुनें और वहां एक चौकी रखें. चौकी पर एक साफ कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें. भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों या चित्रों को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से स्नान कराएं. इसके बाद जल से स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र अर्पित करें. चंदन, रोली, मौली, सिंदूर, कुमकुम और फूलों से शिव-पार्वती का श्रृंगार करें. बेलपत्र, धतूरा, और पुष्प अर्पित करें. मिठाई और नैवेद्य का भोग लगाएं.

नीमड़ी माता की पूजा



राठी ने बताया की कजरी तीज के दिन नीमड़ी माता की पूजा भी की जाती है. इसके लिए दीवार पर मिट्टी व गोबर से एक तालाब जैसी आकृति बनाएं. इसके पास ही एक नीम की टहनी को रोप दें. तालाब में कच्चा दूध और जल डालते हैं और किनारे पर एक दीया जलाकर रखते हैं. फिर नीमड़ी माता को जल की छींटे दें और उन्हें रोली, अक्षत व मोली अर्पित करें. इसके बाद पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाएं और कलावा बांधें. फिर नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर अंगुली से मेहंदी, रोली और काजल की 13-13 बिंदिया लगाएं.

रोली और मेहंदी की बिंदी अनामिका अंगुली और काजल की बिंदी तर्जनी अंगुली से लगाएं. इसके बाद नीमड़ी माता को इच्छानुसार किसी एक फल के साथ दक्षिणा चढ़ाएं. फिर नीमड़ी माता से पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन की कामना करें. इसके बाद किसी तालाब के किनारे दीपक के उजाले में नींबू, नीम की डाली, ककड़ी, नाक की नथ और साड़ी का पल्लू देखें. आखिर में चंद्रमा को अर्घ्य दें और सुख-संपन्नता के लिए प्रार्थना करें.

चंद्रोदय का समय

कजरी तीज पर शाम को नीमड़ी माता की पूजा के बाद चंद्र देव को अर्घ्य दिया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, कजरी तीज के दिन चंद्रोदय रात 8 बजकर 20 मिनट पर होगा.


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