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Kailash cave, jashpur : चारों ओर फैली हरियाली, पानी की नन्ही बूंदों की बौछारों के बीच 'गुफा' और उसके भीतर-बाहर शिवलिंग... ऐसे अद्भुत दर्शन से चूकियेगा नहीं

Kailash cave, jashpur : चारों ओर फैली हरियाली, पानी की नन्ही बूंदों की बौछारों के बीच गुफा और उसके भीतर-बाहर शिवलिंग... ऐसे अद्भुत दर्शन से चूकियेगा नहीं
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By NPG News

दिव्या सिंह

जशपुर से करीब 27 कि.मी दूर हरे-भरे जंगल के बीच पहाड़ी चट्टानों को तराशकर बनाई गई कैलाश गुफा प्रकृति प्रेमियों और धार्मिक जनों के लिए एक अति मनोरम स्थल है। इस पवित्र गुफा का निर्माण पूज्य संत रामेश्वर गहिरा गुरू जी ने करवाया था। यही उनकी तपोभूमि थी,जहां उन्होंने वर्षों तपस्या की। यहाँ गुफा के चारों ओर हरियाली, हवा के झोंकों के साथ नृत्यरत वृक्ष, पंछियों का कलरव, हर ओर केले के पेड़,बंदरों की उछलकूद और शैतानियां आपको अपनी व्यस्त दिनचर्या से दूर सुकून के अहसास से भर देती हैं। महाशिवरात्रि पर प्रतिवर्ष यहां विशाल मेला लगता है और सावन माह में दूर-दूर से कांवड़िए पैदल चलकर गुफा में स्थित शिवलिंग का जलाभिषेक करने आते हैं। आइए चलते हैं कैलाश गुफा की शाब्दिक यात्रा पर...

* ऐसा है कैलाश गुफा का अनुपम सौंदर्य

जशपुर जिला के अंतर्गत तहसील मुख्यालय से लगभग 27 कि.मी. की दुरी पर पूर्व दिशा में सामरबार नामक स्थान है, जहां पर प्राकृतिक वन सुषमा के बीच कैलाश गुफा स्थित है।शिव भक्तों के लिए यह एक पूजनीय स्थल है।कैलाश गुफा को राट गुफा और छोटा बाबा धाम के नाम से भी जाना जाता है । कैलाश गुफा का सौंदर्य अनुपम है। गुफा में प्रवेश करते ही चट्टानों से रिसता पानी आपके उपर छींटों की बौछार करता है और आपका तन-मन खिल उठता है।

बताया जाता है कि पहले यहां बाघों का निवास हुआ करता था इसलिए आज भी गुफा के पास बाघों की मूर्ति बनाकर रखी गई है। इसके अलावा भी यहां नंदी बैल और हाथी की मूर्ति, फव्वारे और पौधे आदि हैं जो गुफा की सुंदरता और आकर्षण बढ़ाते हैं। इस गुफा की सबसे खास बात यह है कि इस गुफा में साल भर पानी बहता रहता है। अक्सर ऐसा होता है कि यहां आने वाले भक्तजन पानी से भीग जाते हैं। गुफा के पास मीठे पानी की जलधारा भी है जहां पर पर्यटक अपनी प्यास बुझा सकते हैं।

गुफा में प्रवेश करने पर आप एक बड़े से हॉल में पहुंचेंगे। सामने शिव लिंग हैं जहाँ आप जलाभिषेक कर सकते हैं। यहां के माहौल में आप सहज ही धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत हो जाते हैं।

शिव जी के दर्शन करने के बाद कुछ ही दूरी में संत रामेश्वर गहिरा गुरु जी के चित्र को ध्यान अवस्था में देखा जा सकता है। इस गुफा की खोज 1985 में संत रामेश्वर गहिरा गुरु जी ने ही की थी। गहिरा गुरु जी और उनके कुछ साथियों ने बाद में लोगों के आने-जाने को आसान बनाने के लिए इस गुफा में सुधार किया ताकि लोग भगवान शिव की पूजा करने के लिए आसानी से आ सकें। इस स्थान पर दो शिव लिंग हैं, एक गुफा के ऊपर है और उसके ठीक नीचे गुफा में एक शिव लिंग है जिस स्थान पर गहिरा गुरु ने तपस्या की थी । इसलिए इसे संत गहिरा गुरु की तपोभूमि भी कहते हैं।

*अलकनंदा जलप्रपात

कैलाश गुफा के समीप अलकनंदा जलप्रपात है जो पर्यटकों और शिव भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस जलप्रपात की ऊँचाई लगभग 30 फीट है।

इसके अलावा गुफा निर्मित शिव पार्वती मंदिर, बाघ माड़ा, यज्ञ मंडप, गुरूकुल संस्कृत विद्यालय के साथ गहिरा गुरू आश्रम का भी आप यहां दर्शन कर सकते हैं।

* कैलाश गुफा के आसपास घूमने योग्य जगहें-

डांगरी वाॅटरफाॅल

यह जशपुर में स्थित सबसे खूबसूरत वॉटरफॉल है जो घने जंगलों में है। इस जलप्रपात की ऊँचाई लगभग 100 फीट है और तीन भागों में गिरता है दूर से देखने में ऐसा लगता है मानो एक साथ कई झरने हों।

खुड़िया रानी गुफा

यह मंदिर कैलाश गुफा से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

सेदम झरना

सेदम अंबिकापुर-रायगढ़ मार्ग पर अंबिकापुर से 45 किलोमीटर दूर एक टोला है। दक्षिण की दिशा में दो किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ियों के बीच एक सुंदर जलप्रपात झरता है। जलप्रपात के गिरने के बिंदु पर, एक जल कुंड का निर्माण किया गया है। इस क्षेत्र में एक शिव मंदिर भी है।

लक्ष्मणगढ़

लक्ष्मणगढ़ अंबिकापुर से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।ऐसा माना जाता है कि प्रभु श्री राम के वनवास काल के दौरान श्री लक्ष्मण जी की यात्रा के कारण इसका नाम बदल दिया गया था। यह स्थान रामगढ़ के निकट है। शिवलिंग, कमल पुष्प, गजराजसेवित लक्ष्मी जी, पत्थर की चट्टान पर मनोरम स्थान, कृष्ण जन्मों पर उकेरी गई विभिन्न वस्तुएं यहां का आकर्षण हैं।

राजपुरी झरना

राजपुरी झरना जशपुर से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर बगीचा के पास स्थित है। इसके साथ ही यह झरना पिकनिक के लिए सबसे अच्छे स्थलों में से एक है।

कैथोलिक चर्च कुनकुरी

यह चर्च ईसाई धर्मावलंबियों का आस्था का केंद्र हैं। कुनकुरी का कैथोलिक चर्च दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च है। इस चर्च में एक साथ लगभग 10 हजार लोग एक साथ प्रार्थना कर सकते हैं। इसे देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं।

* कहाँ ठहरें- अंबिकापुर में पीडब्ल्यूडी का सर्किट हाउस और अनेक निजी होटल भी हैं।

* कैलाश गुफा कैसे पहुंचे

वायु मार्ग से - निकटतम हवाई अड्डा रांची में है।कोलकाता, दिल्ली, पटना, मुंबई, वाराणसी, लखनऊ और काठमांडू जैसे विभिन्न स्थानों पर रांची से नियमित उड़ानें हैं। आप रायपुर हवाई अड्डे से भी टैक्सी या बस से यहां पहुंच सकते हैं।

ट्रेन से - निकटतम रेलवे स्टेशन अंबिकापुर स्टेशन है।

बस द्वारा - बगीचा बस स्टैंड निकटतम है। कैलाश गुफा बगीचा ब्लॉक से लगभग 29 किलोमीटर दूर है। यहाँ से अंबिकापुर,जशपुर, रांची आदि के लिए अच्छी सड़कें उपलब्ध हैं।

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