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Jyotirlinga Darshan 6 (Baidyanath Dham) : रावण के कठोर तप से प्रगट हुए शिवलिंग... विष्णु जी ने छल से किया स्थापित और जन कल्याण के लिए यही के हो गए बाबा वैद्यनाथ, जानें इनके नाम की महिमा

Jyotirlinga Darshan 6 (BaidyanathDham) : बैद्यनाथ धाम भारत के झारखंड राज्य के देवघर में स्थित एक प्रसिद्ध शिव मंदिर और एक सिद्धपीठ है.

Jyotirlinga Darshan 6 (Baidyanath Dham) : रावण के कठोर तप से प्रगट हुए शिवलिंग... विष्णु जी ने छल से किया स्थापित और जन कल्याण के लिए यही के हो गए बाबा वैद्यनाथ, जानें इनके नाम की महिमा
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By Meenu Tiwari

Jyotirlinga DarshanBaidyanath-Temple : भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग पांचवां ज्योतिर्लिंग है। बैद्यनाथ धाम भारत के झारखंड राज्य के देवघर में स्थित एक प्रसिद्ध शिव मंदिर और एक सिद्धपीठ है. 12 ज्योतिर्लिंग दर्शन की कड़ी में आज NPG NEWS आज आपको बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग के बारे में रूबरू करा रहे हैं. तो आइये जानें फिर इनके नाम की महिमा और इनके पीछे के रहस्य.


पौराणिक कथा के अनुसार एक बार रावण के मन में इच्छा हुई कि वो अपने प्रिय भगवान् शिवजी को अपने राज्य लंका में स्थापित करे। इसके लिए उसने घोर तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न किया। रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने नौ सिर काटकर यज्ञ में अर्पित कर दिए। जब वह दसवां सिर काटने जा रहा था, तभी भगवान शिव प्रकट हो गए और रावण को वरदान में अपना आत्मलिंग (शिवलिंग) दिया। साथ ही यह शर्त रखी कि यह शिवलिंग जहाँ एक बार जमीन पर रखा जाएगा, वहीं स्थायी रूप से स्थापित हो जाएगा।


अगर रावण वो शिवलिंग लंका में स्थापित कर लेता, तो अनर्थ हो जाता। रावण की इसके पीछे मंशा भी ठीक नहीं थी। जब भगवान विष्णु रावण की चाल को समझ गए, तो उन्होंने देवताओं के हित के लिए एक योजना बनाई। जब रावण आत्मलिंग को लेकर लंका जा रहा था, तब देवताओं ने वरुण देव को कहा कि रावण को लघुशंका की आवश्यकता हो। रावण जब लघुशंका के लिए जाने लगा, तो उसे एक ग्वाला दिखा। वो ग्वाला भगवान विष्णु थे। रावण ने उस ग्वाले से शिवलिंग पकड़ने की विनती की और लघुशंका के लिए चला गया। उसके जाते ही विष्णु जी ने शिवलिंग वहीं जमीन पर रख दिया, जिससे वो वहीं स्थापित हो गया।

रावण थोड़ी देर में लौटा, लेकिन तब तक ग्वाला लिंग को ज़मीन पर रख चुका था। रावण ने लाख कोशिशें कीं, पर वह शिवलिंग ज़मीन से हिला नहीं सका। क्रोध में आकर उसने उसे दबाने की कोशिश की, जिससे लिंग का कुछ हिस्सा ज़मीन में धँस गया। लेकिन तब से यहां बैद्यनाथ के रूप में शिवजी वास करने लगे और इसी रूप में उन्हें पूजा जाने लगा।





बैद्यनाथ धाम में पंचशूल


आपने हमेशा भगवान शिव के मंदिर में त्रिशूल लगा देखा होगा परंतु बैद्यनाथ धाम में पंचशूल लगा है. मान्यता है कि जब तक पंचशूल इस मंदिर में है, तब तक इस मंदिर का बाल भी बांका नहीं हो सकता. ये पंचशूल यहां सुरक्षा कवच के रूप में स्थापित है. ऐसी मान्यता है कि यह पंचशूल मानव शरीर के पांच विकार काम, क्रोध, मोह, लोभ और मद का प्रतीक है.

इस स्थान का नाम बैद्यनाथ क्यों पड़ा ?


जब रावण के कटे हुए सिरों की पीड़ा को भगवान शिव ने ठीक किया, तब वे वैद्य (चिकित्सक) रूप में प्रकट हुए थे। इस कारण से इस स्थान को "बैद्यनाथ" कहा गया। यहाँ जो भी श्रद्धापूर्वक भगवान श्री वैद्यनाथ का अभिषेक करता है, उसका शारीरिक और मानसिक रोग अतिशीघ्र नष्ट हो जाता है। इसलिए वैद्यनाथधाम में रोगियों व दर्शनार्थियों की विशेष भीड़ दिखाई पड़ती है. हालांकि इसे रावणेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है।


बैद्यनाथ धाम में गिरा था माता सती का हृदय


धार्मिक पुराणों में शिव के इस पावन धाम को चिताभूमि कहा गया है. यहां आने वाला भक्त कभी खाली हाथ नहीं जाता है, इसलिए बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है. बैद्यनाथ धाम शक्तिपीठ को लेकर भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां माता का हृदय गिरा था. यही कारण है कि इस स्‍थान को हार्दपीठ के नाम से भी जाना जाता है.

विग्रह वैजनाथ नाम से भी जाने जाते हैं बाबा बैद्यनाथ

जनश्रुति के अनुसार, वैद्यनाथ को वैजनाथ कहा जाता है. प्राचीन काल में एक गोप था, जो नित्य इस लिंग विग्रह की पूजा किया करता था. एक दिन वह पूजा करना भूल गया. जब वह भोजन करने के लिए मुख में ग्रास ले रहा था, उसे अचानक पूजा का स्मरण हुआ. वह उसी अवस्था में दौड़ते हुए लिंग विग्रह के पास आया और मुख के ग्रास को लिंग विग्रह पर डाल देता है. शिव उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए. शिव ने उसे वरदान दिया कि आज से यह लिंग विग्रह वैजनाथ नाम से जाना जाएगा. इस जनश्रुति से भी वैजनाथ नाम की अर्थपणता का प्रकाशन होता है.




ऐसे पहुंचे

बैद्यनाथ धाम (देवघर, झारखंड) पहुँचने के लिए आप हवाई, रेल या सड़क मार्ग का उपयोग कर सकते हैं. देवघर का अपना हवाई अड्डा है, जबकि जसीडीह जंक्शन सबसे नज़दीकी प्रमुख रेलवे स्टेशन है. आप बस सेवा का उपयोग करके भी यहाँ पहुँच सकते हैं, क्योंकि यह प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. बैद्यनाथ धाम पहुँचने के बाद, आप ऑटो-रिक्शा, टैक्सी या स्थानीय बस से मंदिर तक पहुँच सकते हैं.


हवाई मार्ग से


देवघर हवाई अड्डा (BBA): यह देवघर शहर के पास स्थित है. मुंबई, दिल्ली, पटना और रांची जैसे प्रमुख शहरों से यहाँ उड़ानें उपलब्ध हैं.

हवाई अड्डे से, आप टैक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन का उपयोग करके बैद्यनाथ धाम तक पहुँच सकते हैं.


रेल मार्ग से


जसीडीह जंक्शन: यह बैद्यनाथ धाम का मुख्य नज़दीकी रेलवे स्टेशन है.

यह दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, पटना और वाराणसी जैसे प्रमुख शहरों से सीधे जुड़ा हुआ है.

जसीडीह जंक्शन से देवघर शहर (बैद्यनाथ धाम) तक पहुँचने के लिए आप टैक्सी, ऑटो-रिक्शा या बस ले सकते हैं.

देवघर में बैद्यनाथ धाम जंक्शन और देवघर स्टेशन भी हैं, लेकिन जसीडीह मुख्य स्टेशन है.


सड़क मार्ग से


बस: झारखंड राज्य सड़क परिवहन निगम लिमिटेड (JSRTC) और पश्चिम बंगाल राज्य सड़क परिवहन निगम लिमिटेड (WBSTC) राज्य के विभिन्न शहरों से देवघर के लिए नियमित बस सेवाएँ प्रदान करते हैं.

आप रांची, धनबाद, और बोकारो जैसे प्रमुख शहरों से बसें पकड़ सकते हैं.

प्राइवेट टैक्सी या बसों का उपयोग करके भी देवघर पहुँच सकते हैं.


कब जाएँ


बैद्यनाथ धाम की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक का शीतकाल माना जाता है क्योंकि इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और भीड़ कम होती है, हालांकि श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) में श्रावणी मेला के दौरान यात्रा करना धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन इस समय बहुत भीड़ होती है.

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