Jitiya Vrat 2025 : पुत्र की लम्बी आयु की कामना का निर्जला व्रत जितिया... आज नहाय खाय कल व्रत, जानें व्रत के नियम और सब कुछ
Jitiya Vrat 2025 : इस शुभ अवसर पर व्रती महिलाएं स्नान-ध्यान कर जीमूतवाहन जी की पूजा करती हैं। इसके बाद भोजन ग्रहण करती हैं। नहाय-खाय के दिन मडुआ की रोटी और नोनी की साग खाई जाती है। इसके साथ ही दही और पोहा (चूड़ा) भी खाया जाता है।

Jitiya Vrat 2025 : पुत्र की लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना का पर्व जितिया पितृ पक्ष के दौरान मनाया जाता है। इसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत विवाहित महिलाएं रखती हैं। इस व्रत की शुरुआत नहाय खाय से होती है। वहीं, समापन पारण से होता है।
हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और बंगाल में बड़ी श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ में भी कुछ महिलाये इस पर्व को धूमधाम से मानती है. इस दिन निर्जला व्रत रखती है.
कब है नहाय खाय ? (Jitiya Vrat nahay khay)
जितिया व्रत हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इससे एक दिन पूर्व यानी आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर नहाय-खाय मनाया जाता है। इस साल 13 सितंबर यानी की आज नहाय खाय है। इस शुभ अवसर पर व्रती महिलाएं स्नान-ध्यान कर जीमूतवाहन जी की पूजा करती हैं। इसके बाद भोजन ग्रहण करती हैं। नहाय-खाय के दिन मडुआ की रोटी और नोनी की साग खाई जाती है। इसके साथ ही दही और पोहा (चूड़ा) भी खाया जाता है।
कब है जितिया व्रत (Jitiya Vrat Shubh Muhurat)
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 14 सितंबर को है। इसके लिए 14 सितंबर को जितिया का व्रत रखा जाएगा। कई बार तिथि में अंतर होने के चलते जितिया व्रत 36 घंटे का भी होता है। इस साल निर्जला व्रत एक दिन रखा जाएगा। वहीं, सूर्योदय से पहले व्रती सात्विक भोजन और जल ग्रहण करती हैं।
कब किया जाएगा पारण? (Jitiya Vrat paran vidhi)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 15 सितंबर को देर रात 03 बजकर 06 मिनट पर अष्टमी तिथि का समापन होगा। इसके बाद नवमी तिथि शुरू होगी। जितिया व्रत का पारण नवमी तिथि पर किया जाता है। इस प्रकार 15 सितंबर को सूर्योदय के बाद व्रती पारण कर सकती हैं।
व्रत वाले दिन का नियम ( jitiya vrat niyam )
जितिया व्रत के दिन व्रती महिला को अन्न-जल का त्याग करना चाहिए. निर्जला व्रत रखकर शाम के समय माता जितिया और जीमूतवाहन देवता की पूजा करती चाहिए. साथ ही जितिया व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए. पूजा के बाद भी कुछ खाना-पीना नहीं चाहिए.
पारण दिन के नियम ( jitiya paran niyam )
जितिया व्रत के अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है. पारण के लिए नवमी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. इस दिन नोनी साग, मडुआ रोटी आदि जैसे पकवान बनाए जाते हैं. कई जगहों पर पांच तरह की सब्जी बनाई जाती है. आपके क्षेत्र में जैसी परंपरा हो, उसका पालन करते हुए व्रत का पारण करें. पारण से पहले पूजा-पाठ और दान-दक्षिणा अवश्य करें.
जितिया की पौराणिक कथा ( jitiya vrat katha )
जितिया व्रत में चील और सियारिन की कथा विशेष रूप से प्रचलित है। कथा के अनुसार, चील ने नियमपूर्वक व्रत किया जबकि सियारिन ने छल किया। अगले जन्म में चील शीलावती और सियारिन कर्पूरावतिका बनीं। शीलावती ने व्रत का पुण्य पाया और सात पुत्रों की मां बनीं, जबकि कर्पूरा को संतान सुख नहीं मिला। अंततः भगवान जीमूतवाहन की कृपा और इस व्रत के प्रभाव से कर्पूरा को भी पुत्र प्राप्त हुआ। तभी से इस व्रत का महत्व और बढ़ गया।
