Jagannath Rath Yatra 2025: न दर्शन होंगे, न आरती... भगवान जगन्नाथ हुए अस्वस्थ, आज से एकांतवास
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर हर वर्ष भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ते हैं और 15 दिनों के एकांतवास पर चले जाते हैं। इस बार यह तिथि 11 जून को पड़ रही है। परंपरा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ को इस दिन 108 कलशों से जल स्नान कराया जाता है, जिसे 'स्नान यात्रा' कहा जाता है। मान्यता है कि अधिक जल से स्नान करने के कारण भगवान अस्वस्थ हो जाते हैं, जिसके बाद उन्हें विशेष कक्ष में विश्राम के लिए रखा जाता है। इस दौरान वैद्य और सेवक मिलकर उनकी जड़ी-बूटियों से सेवा करते हैं। इन 15 दिनों तक भक्त भगवान के दर्शन नहीं कर पाते।

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर हर वर्ष भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ते हैं और 15 दिनों के एकांतवास पर चले जाते हैं। इस बार यह तिथि 11 जून को पड़ रही है। परंपरा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ को इस दिन 108 कलशों से जल स्नान कराया जाता है, जिसे 'स्नान यात्रा' कहा जाता है। मान्यता है कि अधिक जल से स्नान करने के कारण भगवान अस्वस्थ हो जाते हैं, जिसके बाद उन्हें विशेष कक्ष में विश्राम के लिए रखा जाता है। इस दौरान वैद्य और सेवक मिलकर उनकी जड़ी-बूटियों से सेवा करते हैं। इन 15 दिनों तक भक्त भगवान के दर्शन नहीं कर पाते।
भगवान के एकांतवास से जुड़ी एक मार्मिक कथा भी है। कहा जाता है कि भगवान के परम भक्त माधवदास, जो जगन्नाथ पूरी में एकांत में भजन किया करते थे। भगवान उन्हे रोज दर्शन देते थे। माधवदास एक बार गंभीर रूप से बीमार हो गए। बीमारी में उन्होने किसी की सहायता नहीं ली वे हमेशा ये बात कहते थे कि भगवान जगन्नाथ ही उनकी सेवा करेंगे इसी उम्मीद के सहारे उन्होने भगवान का इंतजार किया फिर कुछ दिनों बाद भक्त माधवदास की बीमारी इतनी बढ़ गई कि वे दुर्बल और बेसुध हो गए फिर भगवान जगन्नाथ ने माधवदास की सेवा की।
भगवान ने लगातार 15 दिनों तक माधवदास की सेवा की फिर उन्हे होश आया। माधव ने होश में आते ही भगवान को पहचान लिया और कहा कि आप भगवान होकर मेरी सेवा कर रहे है जबकि आप तो क्षणभर में ही मेरा कष्ट दूर कर सकते हैं। भगवान ने कहा कि तुम्हारी बीमारी का कष्ट अभी 15 दिन और बचा है तो माधवदास के अनुरोध करने पर भगवान ने माधव का कष्ट दूर कर दिया और उसके कष्ट खुद पर ले लिए और तब से लेकर आज तक हर साल भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं। इस दौरान वे भक्तों को दर्शन नहीं देते केवल मंदिर प्रमुख और वैद्य ही भगवान की सेवा करते हैं।
जब भगवान स्वस्थ होते हैं, तब विशाल रथ यात्रा निकाली जाती है। इस बार रथ यात्रा 27 जून को होगी। रथ यात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजमान होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। यह यात्रा भव्य और धार्मिक उल्लास से परिपूर्ण होती है, जिसमें लाखों भक्त भाग लेते हैं। रथ यात्रा न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि भगवान और भक्त के गहरे रिश्ते की मिसाल भी है।