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International Family Day (15 May) : केवल साझा छत नहीं, साझा परवाह से बनते हैं परिवार बेहतर, इन छोटी-छोटी बातों का रखिए ध्यान...

International Family Day (15 May) : केवल साझा छत नहीं, साझा परवाह से बनते हैं परिवार बेहतर, इन छोटी-छोटी बातों का रखिए ध्यान...
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By Divya Singh

International Family Day (15 May) : घर दुनिया का सबसे सुंदर डेस्टिनेशन है और यह सुंदर बनता है अच्छे पारिवारिक संबंधों से। थका-हारा इंसान घर लौटने के लिए छटपटाता है। इसलिए नहीं कि उस चारदीवारी में उसके ठहरने का इंतज़ाम है, बल्कि इसलिए कि वहां उसके अपने हैं जो उसका इंतज़ार करते हैं, उसकी परवाह करते हैं। परवाह ही परिवार का असल आधार है। परिवार सभी सदस्यों के लिए इतना ही प्यारा हो, इसके लिए कुछ प्रयास किए जाने चाहिए जिससे बाॅन्डिंग मजबूत हो। आइए जानते हैं कि इसे कैसे डेवलप किया जाए।

कम्यूनिकेशन हो बेहतर, कंफर्ट लेवल हो हाई

परिवार ही एक ऐसी जगह है जहाँ आपस में तोल-मोल कर नहीं बोलना पड़ता। परिजन आपस में हर बात बिना संकोच शेयर कर सकते हैं। खुशी का उत्सव तो कहीं भी मनाया जा सकता है लेकिन नाकामयाबी और भूलवश हुई गलतियां जैसी बातें भी इंसान परिवार में निस्संकोच शेयर कर सके, आपस में इतना खुलापन होना चाहिए। परिवार के सदस्यों को यह कंफर्ट आपस में ज़रूर महसूस होना चाहिए।

परवाह करें, बच्चे देखकर ही सीखेंगे

अगर परिवार में कोई बीमार है, हार से जूझ रहा है तो उसकी स्पेशल केयर करें। साथ बैठें। वापसी में मददगार बनें। बच्चे आपको देखकर सद्व्यवहार का महत्व समझेंगे और बेहतर इंसान बनेंगे।

क्वालिटी टाइम

चाहे हर सदस्य अपने-अपने काम में कितना ही व्यस्त क्यों न हो, परिवार को साथ में क्वालिटी टाइम ज़रूर बिताना चाहिए। कम से कम डिनर में सब साथ बैठें। वीकेंड में कहीं घूम आएं। साथ मूवी देखें या महीने में एक बार बाहर सब साथ डिनर के लिए जाएं। साथ बैठने, बातें सुनने-सुनाने से ही तो जुड़ाव होता है। व्यस्त रुटीन में क्वालिटी टाइम के लिए वक्त ज़रूर निकालें।

डिसिप्लिन भी हो

स्वतंत्रता अच्छी है, स्वच्छंदता परिवार बिगाड़ देती है। कोई तो लिमिट होनी चाहिए। जैसे शब्दों में, घर लौटने के समय में आदि। मनमानी नहीं चलेगी, ये बात सबको जानना और मानना चाहिए।

निर्णय हों साझा

साथ मिलकर निर्णय करने, बच्चों से भी उनकी राय लेने की सलाह बरसों से दी जा रही है। इसका फायदा भी है। इससे हर सदस्य को महसूस होता है कि उसकी वैल्यू है। कहीं घूमने जाना हो, घर के लिए कोई बड़ा सामान लेना हो, सबकी सहमति से निर्णय हो, तो मज़ा दोगुना हो जाता है।

पार्टनर्स का संबंध हो अच्छा

गिले-शिकवे किस कपल में नहीं होते। उनसे जल्दी बाहर आने की कोशिश करनी चाहिए। विवादों को खींचने से संबंध बिगड़ते हैं। बुज़ुर्गों ने भी कहा है, मतभेद हों, मनभेद न होने पाए। गलतियों को माफ करने, भुलाने की कोशिश करें। खुश रहें, बहस में कम पड़ें। माता-पिता का अच्छा रिश्ता बच्चों को भी अच्छा संदेश देता है। वे भी शादी के बाद पार्टनर का सम्मान रखना सीखते हैं।

फ्लैक्सिबल भी होना चाहिए

नियंत्रण इतना भी कठोर नहीं होना चाहिए कि सांस लेना भी दूभर लगे। अगर ज़रूरी है तो तय नियमों में थोड़ी ढील की गुंजाइश भी रहे। परिवार जेल नहीं है।

जाॅइंट रुटीन भी है बेहतर परिवार की कुंजी

अगर साथ में वाॅक पर, जिम या स्वीमिंग के लिए जाना संभव हो तो ऐसा ज़रूर करें। निश्चिंतता के ये साझा पल अच्छे संबंधों को बूस्ट करते हैं।

पास-पड़ोस में भी इन्वाॅल्व हों

पड़ोसियों के यहां कोई पूजा, शादी या फंक्शन हो, और आपको आमंत्रित किया गया हो तो बच्चों को साथ लेकर ज़रूर जाएं। कामों में मदद करें, बच्चों से भी करवाएं। सामाजिकता खुद के लिए और भविष्य के बेहतर इंसान गढ़ने के लिए भी ज़रूरी है।

खुद का भी रखें ध्यान

परिवार अच्छा रहे, इसके लिए पर्सनली खुद की सेहत का ध्यान रखना भी ज़रूरी है। आप खुश और एनर्जेटिक होंगे तभी संबंधों को जिंदादिली से निभा पाएंगे। कहते हैं न, 'एक तंदुरूस्ती, हज़ार नियामत', खुद बीमार, ढले हुए से रहेंगे तो सब आपकी चिंता में घुलेंगे। फिर परिवार में खुशनुमा माहौल कैसे रहेगा? अपनी फिटनेस के लिए 30-40 मिनट का समय ज़रूर निकालें।

Divya Singh

दिव्या सिंह। समाजशास्त्र में एमफिल करने के बाद दैनिक भास्कर पत्रकारिता अकादमी, भोपाल से पत्रकारिता की शिक्षा ग्रहण की। दैनिक भास्कर एवं जनसत्ता के साथ विभिन्न प्रकाशन संस्थानों में कार्य का अनुभव। देश के कई समाचार पत्रों में स्वतंत्र लेखन। कहानी और कविताएं लिखने का शौक है। विगत डेढ़ साल से NPG न्यूज में कार्यरत।

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