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Hindu dharm ke Top 5 powerful Nag: हिंदू धर्म के 5 सर्वशक्तिशाली नाग! इनमें से एक की पूजा करने पर मिलेगी सर्पदोष से मुक्ति...

Hindu dharm ke Top 5 powerful Nag: सांपों का नाम सुनते ही हमारे मन में डर और आध्यात्मिक जिज्ञासा सामने आने लगती है। हिंदू धर्म और पौराणिक ग्रंथों में नागों का स्थान अत्यंत पूजनीय है। नागों को देवताओं के समान माना गया है। यहां तक कि महाभारत और रामायण में नाग लोक का विस्तृत वर्णन मिलता है,जहां नागों की अपनी अलग दुनिया बसती है। मान्यताओं के अनुसार, महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू से नागवंश की उत्पत्ति हुई थी, जिसमें एक हजार शक्तिशाली नागों का जन्म हुआ। इन सभी नागों में पांच नाग ऐसे हैं जिन्हें सर्वाधिक शक्तिशाली माना जाता है। आज हम इन्हीं पांच नागों के बारे में जानेंगे।

Hindu dharm ke Top 5 powerful Nag: हिंदू धर्म के 5 सर्वशक्तिशाली नाग! इनमें से एक की पूजा करने पर मिलेगी सर्पदोष से मुक्ति...
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By Chirag Sahu

Hindu dharm ke Top 5 powerful Nag: सांपों का नाम सुनते ही हमारे मन में डर और आध्यात्मिक जिज्ञासा सामने आने लगती है। हिंदू धर्म और पौराणिक ग्रंथों में नागों का स्थान अत्यंत पूजनीय है। नागों को देवताओं के समान माना गया है। यहां तक कि महाभारत और रामायण में नाग लोक का विस्तृत वर्णन मिलता है,जहां नागों की अपनी अलग दुनिया बसती है। मान्यताओं के अनुसार, महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू से नागवंश की उत्पत्ति हुई थी, जिसमें एक हजार शक्तिशाली नागों का जन्म हुआ। इन सभी नागों में पांच नाग ऐसे हैं जिन्हें सर्वाधिक शक्तिशाली माना जाता है। आज हम इन्हीं पांच नागों के बारे में जानेंगे।

1. शेषनाग/Sheshnag

शेषनाग को समस्त नागों में सर्वाधिक शक्तिशाली माना जाता है। इन्हें अनंत और आदिशेष के नामों से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार शेषनाग महर्षि कश्यप और देवी कद्रू के सबसे बड़े पुत्र हैं और उन्हें ब्रह्मांड का प्रथम नाग माना गया है। इनके हजारों फन हैं और इनका कोई अंत नहीं है, इसीलिए इन्हें अनंत भी कहा जाता है। श्रीमद्भागवत गीता में भी शेषनाग को विशेष सम्मान प्राप्त है। पृथ्वी को स्थिरता प्रदान करने के लिए शेषनाग ने इसे अपने फन पर उठाया हुआ है। इसी कारण उन्हें धरणीधर भी कहा जाता है। क्षीर सागर में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर ही विराजमान रहते हैं। शेषनाग ही त्रेता युग में लक्ष्मण और द्वापर युग में बलराम का अवतार धारण किया था।

2. वासुकी नाग/Vasuki Nag

वासुकी नाग, शेषनाग के छोटे भाई हैं और नागों के सम्राट माने जाते हैं। जब शेषनाग ने पृथ्वी को अपने फन पर धारण करने के लिए पाताल लोक में स्थान ग्रहण किया तो वासुकी को नागलोक का राजा बनाया गया। वासुकी भगवान शिव के परम भक्त हैं और भगवान शंकर के गले में सदैव विराजमान रहते हैं। शैव परंपरा में वासुकी का विशेष महत्व है। देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन के दौरान मंदराचल पर्वत में वासुकी नाग को ही रस्सी के रूप में उपयोग किया था। वासुकी नाग के सिर पर एक दिव्य मणि भी है, जिसे नागमणि कहा जाता है।

3. तक्षक नाग/Takshak Nag

तक्षक नाग पाताल लोक के 8 प्रमुख नागों में से एक हैं और इन्हें नागवंश का सबसे खतरनाक और भयंकर सर्प माना जाता है। तक्षक भी महर्षि कश्यप और कद्रू के पुत्र हैं। तक्षक नाग देवराज इंद्र के परम मित्र माने जाते हैं। ऋषि शमीक के पुत्र ऋषि श्रृंगी के श्राप से राजा परीक्षित की मृत्यु और कलयुग के आगमन का कारण तक्षक नाग को ही माना जाता है। इन्होंने ही राजा परीक्षित को डस कर उनके प्राण हर लिए थे। राजा परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए उनके पुत्र जनमेजय ने एक भयंकर नाग यज्ञ या सर्प यज्ञ का आयोजन किया, लेकिन आस्तीक मुनि ने यज्ञ को रुकवाया और शेष नाग वंश की रक्षा हुई।

4. कर्कोटक नाग/Karkotaka Nag

कर्कोटक नाग भगवान शिव के प्रमुख गणों में से एक हैं। इनके नाम कर्कोटक का अर्थ है वह सर्प जिसका शरीर अत्यंत कठोर है। कर्कोटक भी महर्षि कश्यप और कद्रू के पुत्र हैं। इनकी कहानी उज्जैन के हरसिद्धि माता मंदिर के प्रांगड़ में स्थित 84 शिवलिंग में से एक कर्कोटेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी हुई है। जब नागों की माता कद्रू ने नागों को श्राप दे दिया कि वे सभी जनमेजय के यज्ञ में भस्म हो जाएंगे, तो इससे भयभीत होकर

कर्कोटक नाग उज्जैन के महाकाल वन में आ गए और यहां स्थित एक शिवलिंग की घोर तपस्या की और शिवलिंग में ही प्रवेश कर गए और तब से उस शिवलिंग को कर्कोटेश्वर के नाम से जाना जाता है। इनके दर्शन से सर्पदोषों से मुक्ति मिलती है।

5. कालिया नाग/Kaliya Nag

कालिया नाग की कथा श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं की सबसे प्रसिद्ध घटनाओं में से एक है। कालिया एक अत्यंत विषैला और शक्तिशाली नाग था जो यमुना नदी में अपनी अनेक पत्नियों के साथ निवास करता था। कालिया के विष की शक्ति से यमुना नदी का जल पूरी तरह जहरीला हो गया था। इससे ब्रज के निवासियों को बहुत कष्ट होता था। तभी भगवान कृष्ण ने अपनी लीलाओं से कालिया नाग को पराजित कर उसे खदेड़ दिया।

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