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Hatkeshwar Mahadev: रायपुर का ये मंदिर 600 साल पुराना, एक लोटा जल से भक्तों के होते हैं कष्ट दूर... जानें क्या हैं मान्यताएं?

Hatkeshwar Mahadev: रायपुर का ये मंदिर 600 साल पुराना, एक लोटा जल से भक्तों के होते हैं कष्ट दूर... जानें क्या हैं मान्यताएं?
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By Sandeep Kumar

Hatkeshwar Mahadev रायपुर। छत्तीसगढ़ में कई चमत्कारी मंदिर है, जिनकी कई मान्यताएं हैं और कई दिलचस्प कहानियाँ भी...ठीक ऐसे ही एक मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। इस मंदिर का नाम हाटकेश्वर महादेव मंदिर है। ये रायपुर शहर से 7 किलोमीटर दूर स्थित है, जिसे हाटकेश्वर मंदिर अर्थात महादेव घाट के नाम से भी जाना जाता है। हाटकेश्वर महादेव मंदिर खारुन नदी के तट पर स्थित है।

कहा जाता है कि रायपुर शहर की शुरुआती बसाहट खारुन नदी के तट पर स्थित महादेव घाट क्षेत्र में हुई थी। रायपुर के कलचुरी राजाओं ने सर्वप्रथम इस क्षेत्र में अपनी राजधानी बनाई थी। बताया जाता है कि 1402 ईस्वी में कल्चुरि राजा रामचंद्र के पुत्र ब्रह्मदेव राय के शासन काल में हाजीराज नाइक ने मंदिर का निर्माण कराया था।। यह मंदिर प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में एक है, इसलिए देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते है। गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग के पास ही रामजानकी, लक्ष्मण और बरहादेव की प्रतिमा भी है।

मान्यता है कि 600 साल पुराने इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते है। इस मंदिर के मुख्य आराध्य भगवान हटकेश्वर महादेव नागर ब्राह्मणों के संरक्षक देवता माने जाते हैं।

खारुन नदी के तट के पास छोटे-बड़े कई मंदिर बन गए हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण हटकेश्वर महादेव का मंदिर है। मंदिर बाहर से आधुनिक प्रतीत होती है, मंदिर की पूरी संरचना को देखने से इसके उत्तर-मध्यकालीन होने का अनुमान लगाया जा सकता है। कार्तिक-पूर्णिमा के समय एक बड़ा मेला लगता है। महादेव घाट में ही विवेकानंद आश्रम के संस्थापक स्वामी आत्मानंद (1929-1981) की समाधि भी स्थित है।

यहां पर खारुन नदी के किनारे कार्तिक पूर्णिमा और महाशिवरात्रि पर विशाल मेला लगता है। आसपास के गांवों से हजारों श्रद्धालु नदी में पुण्य की डुबकी लगाने आते हैं। इस दौरान महादेव के दर्शन करने के बाद मेला का आनंद भी लेते हैं।

महादेव घाट स्थित जूना अखाड़े का अखंड धूना करीब 500 सालों से जल रहा है। इस धूना में अखंड ज्योत जल रही है। धूना के ताप से में रुद्राक्ष की माला भी पक जाती है। श्रद्धालु अपने कष्टों के निवारण के लिए इस माला के दानों को प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं। चंद्र और सूर्य ग्रहण के समय यह अखंड धूना में मंत्रों से हवन होता है। धूना की भभूत भक्त अपने माथे पर धारण करते हैं और अपने कष्टों से मुक्ति पाते हैं।

एक मान्यता ये भी है कि जब भगवान राम वनवास काट रहे थे इस दौरान वे यहां आए थे। इस दौरान लक्ष्मण भगवान के हाथों शिवलिंग की स्थापना हुई थी। कहा जाता है कि हनुमान ने अपने कंधे पर रख कर भगवान शिव को यहां लाये थे।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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