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Hariyali Teej 2024 in Raipur : शहर में हरियाली तीज की धूम, मार्केट और मेहंदी दुकान गुलजार...बेटियों और सासु माँ के लिए "बायना और सिंजारा" की तैयारियों में लगी महिलाएं

Hariyali Teej 2024 in Raipur : शहर में भी हरियाली तीज को मामने वालों की कमी नहीं है. महिलाये मेंहदी लगवाने से लेकर शॉपिंग में मशगूल है. बेटियों और सासु माँ के लिए "बायना और सिंजारा" की तैयारियों में लगी महिलाएं.

Hariyali Teej 2024 in Raipur : शहर में हरियाली तीज की धूम, मार्केट और मेहंदी दुकान गुलजार...बेटियों और सासु माँ के लिए बायना और सिंजारा की तैयारियों में लगी महिलाएं
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By Meenu

Hariyali Teej 2024 in Raipur : हिंदू धर्म में हरियाली तीज का बहुत ज्यादा महत्व है. इस दिन सुहागिनें सोलह श्रृंगार कर व्रत रखती हैं. इस दिन हरे रंग को काफी महत्व दिया जाता है. हरी चूड़ियां और हरी साड़ी पहनकर महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं. शादी-शुदा औरतों के साथ ही कुंवारी युवतियां भी इस व्रत को रखती हैं. मान्यता हैं कि इस व्रत को करने से सारी मनोकामना पूरी हो जाती है. वहीँ इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं अपनों से बड़ी महिलाएं और सासु माँ को बायना भी देती हैं. साथ ही मायके से बेटी के लिए सिंधारा या सिंजारा का भी बहुत महत्त्व होता है.

हरियाली तीज सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस साल हरियाली तीज 7 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। यह त्योहार रंग-बिरंगे कपड़ों, मेहंदी, झूले और पारंपरिक गीतों के साथ मनाया जाता है। रायपुर शहर में भी हरियाली तीज की धूम है. महिलाये मेंहदी लगवाने से लेकर शॉपिंग में मशगूल है. भारी बारिश के बीच भी तीज की तैयारियों के लिए शहर के कपडा मार्किट, फैंसी शॉप और मेहँदी दुकान गुलजार है.



छत्तीसगढ़ में प्रमुखतः हरितालिका तीज को मनाया जाता है लेकिन, हरियाली तीज को भी मामने वालों की कमी नहीं है. यह व्रत उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान में इसे विशेष रूप से मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में निवासरत उन राज्यों की महिलाएं इस त्यौहार से शहर का माहौल भी अपने राज्य सा बना देती हैं.


सिंजारा या सिंधारा का बहुत महत्व



शहर की समाज सेविका रंजना संघी ने बताया की सिंजारा यह प्राय आजकल कई धर्म त्यौहार में मनाया जाता है, लेकिन राजस्थानी समाज में इसका बहुत महत्व है इसमें तीज के दिन सावन में यह सिंजारा उत्सव हम सभी मानते हैं और राजस्थान संस्कृति में हम अपने से बड़ों के लिए मिठाई रखकर बायना के रूप में रुपए रखकर अपने से बड़े जेठानी, सास, ताई, नंद आदि रिश्तोंको देते हैं. यह एक प्रकार का बहू बेटियों का लाड़ होता है, जिसे अपने से बड़ो का प्यार दुलार मिलता है. हम सभी लोग मिलकर तीज का त्यौहार कुछ इंजॉय के पल को लेकर भी मनाते हैं जैसे झूला और थोड़े बहुत गेम्स खेलकर भी मनाते हैं.

सिंजारा पर्व यानी सिंधारा दूज का दिन सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। सिंधारा में मिठाई और श्रृंगार का सामान दिया जाता है। यदि बेटी ससुराल में है तो ये सिंधारा उसके मायके से भेजा जाता है और अगर बहू मायके में है तो सिंधारा ससुराल से आता है। हालांकि कई जगह पर ससुराल से सिंधारा शादी केवल पहले वर्ष में दिया जाता है। सिंधारा में आई मेहंदी को महिलाएं अपने हाथों में रचाती हैं और फिर अगले दिन हरियाली तीज का व्रत रखती हैं। जानिए इस साल सिंधारा दूज कब है।

इस साल सिंजारा पर्व 6 अगस्त को मनाया जाएगा। पंचांग अनुसार ये पर्व श्रावण शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। जो इस बार 6 अगस्त को पड़ रही है। फिर इसके अगले दिन हरियाली तीज मनाई जाती है।

सिंजारा सामग्री

सिंजारा की सुहाग सामग्री में हरी चूड़ी, काजल , मेहंदी , नथ, बिंदी, सिंदुर, गजरा, सोने के आभूषण, मांग टीका, कमरबंद, बिछिया, पायल, झुमके, बाजूबंद, अंगूठी, कंघा आदि चीजें दी जाती हैं। तो वहीं मिठाई में घेवर, रसगुल्ला, मावे की बर्फी भेजी जाती है। इसके अलावा बहू-बेटी के लिए कपड़े भेजे जाते हैं। सिंजारा यानी सिंधारा दूज का त्योहार श्रृंगार दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहू बेटियों को 9-9 प्रकार के मिष्ठान और पकवान बनाकर खिलाए जाते हैं। इसके अलावा सिंजारे में मिली मेहंदी को महिलाएं अपने हाथों में रचाती हैं। सिंजारे में हरियाली तीज का व्रत रखने वाली महिला को श्रृंगार का सारा सामान दिया जाता है। कहते हैं सिंधारे में मिले कपड़ों और गहनों को पहनकर ही महिलाएं हरियाली तीज व्रत की पूजा करती हैं। कई जगह सिंधारे में आए उपहार को आपस में बांटने की परंपरा निभाई जाती है।


इस दिन मां पार्वती और शंकर की पूजा




अनीता खंडेलवाल ने बताया की अपने सुहाग और बेटे की कामना के लिए औरते मां पार्वती और शंकर की पूजा करती हैं. हरियाली तीज को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के तौर पर मनाया जाता है. ऐसे में इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. सुहागिनें पति की लंबी उम्र की कामना के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती है. आपको बता दें कि पूजा के दौरान महिलाएं माता पार्वती को सुहाग का सामान भी अर्पित करती हैं. जिसे काफी शुभ माना जाता है.


हरा रंग पहनने का विधान


अब कई लोग सोचते होंगे कि हरियाली तीज पर हरे रंग की चूड़ी और साड़ी क्यों पहनी जाती है? दरअसल हरियाली तीज पर हरे रंग का बहुत महत्व है. इसे अखंड सौभाग्य के प्रतीक के तौर पर माना जाता है. हिंदू धर्म में हरे रंग को काफी पवित्र माना गया है. इसके अलावा हरे रंग को लेकर ये मान्यता है कि हरा रंग महादेव को भी काफी प्रिय है. हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है, यानी भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भी हरे रंग का इस्तेमाल होता है.


आइये जानें तीज को लेकर कुछ फैक्ट्स




हरियाली तीज 2024 कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 6 अगस्त की शाम को शुरू होकर 7 अगस्त की सुबह समाप्त होगी। इसलिए हरियाली तीज का व्रत 7 अगस्त को किया जाएगा।

हरियाली तीज का धार्मिक महत्व क्या है?


धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार माता पार्वती ने 107 बार जन्म लिया था, भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए, और उन्होंने अपने 108वें जन्म में उन्हें स्वीकार किया। यही कारण है कि मान्यता है कि इस व्रत को करने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और पतियों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती हैं।

हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है?


हरियाली तीज (Hariyali Teej) भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है। मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए 108 जन्मों तक कठोर तप किया था, जिसके बाद शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी स्वीकार किया।

हरियाली तीज पर झूला झूलने का क्या महत्व है?

हरियाली तीज (Hariyali Teej) पर झूला झूलने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन झूला झूलकर लोकगीत गाने से भगवान शिव और माता पार्वती जल्दी प्रसन्न होते हैं। महिलाएं सावन के मौसम का आनंद लेते हुए हर्षोउल्लास से यह त्योहार मनाती हैं।

हरियाली तीज के पूजन में कौन सी सामग्री लगेगी?

हरियाली तीज (Hariyali Teej) पर माता पार्वती को 16 श्रृंगार की सामग्री जैसे साड़ी, चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर, मेहंदी आदि अर्पित करते हैं। शिव जी को भांग, धतूरा, बेलपत्र, सफेद फूल, गंध, धूप आदि चढ़ाया जाता है। पूजन में अक्षत, कलश, दूर्वा, पंचामृत आदि भी शामिल होते हैं।

हरियाली तीज की पूजा विधि क्या है?

हरियाली तीज पर सुबह स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्तियां स्थापित करें। फिर उन्हें पूजा सामग्री अर्पित करके तीज की कथा सुनें और आरती करें।

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